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केंद्रीय बजट 2024-25: Halwa Ceremony का महत्व और इतिहास

Halwa Ceremony

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय बजट 2024-25 (Union Budget 2024-25) तैयार करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण को रेखांकित करने वाला ‘हलवा समारोह (Halwa ceremony)’ नई दिल्ली में आयोजित किया गया। ‘केंद्रीय बजट 2024-25’ को 23 जुलाई, 2024 को पेश किया जाएगा।

हलवा समारोह (Halwa ceremony) क्या है?

बजट हलवा समारोह एक पारंपरिक कार्यक्रम है जो भारत में हर साल केंद्रीय बजट पेश होने से 9-10 दिन पहले आयोजित किया जाता है। यह बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल आयोजित किया जाता है।

Halwa ceremony का इतिहास 

  • इसकी शुरुआत वर्ष 1980 में हुई थी तथा इस समारोह का आयोजन वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट होता है। इसमें वित्त मंत्री (Finance Minister), बजट के निर्माण या छपाई से सीधे जुड़े अन्य कर्मचारी शमिल होते हैं।
  • लगभग 9 से 10 दिनों के लिए, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और बजट के निर्माण या छपाई से सीधे जुड़े अन्य कर्मचारियों को अलग-थलग रखा जाता है और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग कर दिया जाता है।
  • आपात स्थिति के मामले में, अधिकारियों के परिवार के सदस्यों के पास निर्दिष्ट नंबर पर संदेश छोड़ने का विकल्प होता है, हालांकि सीधे संचार की अनुमति नहीं होती है।
  • वित्त मंत्री द्वारा लोकसभा में बजट पेश करने के बाद ही कर्मचारियों को नॉर्थ ब्लॉक से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है।
  • इन कठोर नियमों के पीछे का कारण 1950 में बजट लीक से जुड़ा हैं। 1950 के केंद्रीय बजट का एक हिस्सा राष्ट्रपति भवन में बजट दस्तावेज़ की छपाई के दौरान लीक हो गया था। लीक के बाद, तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
  • 1980 से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट को बजट छपाई के लिए स्थायी स्थान के रूप में स्थापित किया गया है।

बजट हलवा समारोह का महत्व:

  • बजट दस्तावेज तैयार होने का प्रतीक: यह समारोह इस बात का प्रतीक है कि बजट दस्तावेज़ को अंतिम रूप दे दिया गया है और अब इसे छपाई के लिए भेजा जाएगा।
  • टीम वर्क की सराहना (Appreciation of teamwork): यह समारोह उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के अथक परिश्रम और समर्पण को मान्यता देता है जिन्होंने Budget तैयार करने में योगदान दिया है।
  • गोपनीयता बनाए रखने की शुरुआत (Beginning to maintain confidentiality): इस समारोह के बाद, Budget दस्तावेज़ पर काम करने वाली टीम के सदस्यों को Budget पेश होने तक वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में एकांतवास (Isolation) में रखा जाता है ताकि Budget की गोपनीयता बनी रहे।

समारोह की प्रक्रिया:

  1. हलवा बनाना: एक बड़े बर्तन में पारंपरिक (Traditional) रूप से हलवा बनाया जाता है।
  2. हलवा बांटना: वित्त मंत्री, अधिकारियों और कर्मचारियों को हलवा परोसते हैं।
  3. ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया की शुरुआत (Beginning of isolation): इसके बाद टीम के सदस्य Budget पेश होने तक बेसमेंट में चले जाते हैं।

बजट (Budget) का अर्थ क्या है?

“बजट” शब्द अंग्रेजी के शब्द “bowgette“ से लिया गया है, जिसकी उत्पत्ति फ्रेंच शब्द “bougette” से हुई है। “bougette” शब्द भी “Bouge” से बना है जिसका अर्थ चमड़े का बैग होता है।

बजट, एक निश्चित अवधि में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है अर्थात Budget में यह बताया जाता है कि सरकार के पास रुपया कहां से आया और कहां गया? Budget भाषण में वित्त मंत्री (Finance Minister) पूरे देश को यह बताता है कि पिछले, वर्तमान और अगले वित्त वर्ष में उसको किन-किन श्रोतों से पैसा मिला/मिलेगा और किन-किन मदों पर खर्च किया जायेगा?

भारत का केंद्रीय बजट (Union Budget of India):

  • भारत के संविधान में ‘Budget’ शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, भारत के केंद्रीय Budget को “वार्षिक वित्तीय विवरण” कहा जाता है।
  • भारत का वार्षिक बजट हर साल फरवरी के पहले कार्यदिवस को भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
  • पहले इसे फरवरी के आखिरी कार्यदिवस को पेश किया जाता था।
  • हमारे देश में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक वित्त वर्ष माना जाता है। केंद्रीय Budget इसी समय के लिए पेश किया जाता है।

बजट का इतिहास

भारत में बजट की परंपरा ब्रिटिश काल से शुरू हुई थी।

पहला बजट (1860): भारत का पहला Budget 18 फरवरी 1860 को ब्रिटिश वायसराय जेम्स विल्सन द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

स्वतंत्रता के बाद का पहला बजट (1947): आजादी के बाद पहला Budget देश के पहले वित्तमंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। यह Budget 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक की अवधि के लिए था।

26 जनवरी 1950 को गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला Budget 28 फरवरी 1950 को जॉन मथाई ने पेश किया गया था।

बजट पेश करने का समय: 2017 तक Budget फरवरी के अंतिम कार्यदिवस को पेश किया जाता था। 2017 से इसे फरवरी के पहले दिन को पेश किया जाने लगा।

रेल बजट : 2017 से पहले रेल Budget और आम Budget अलग-अलग पेश किए जाते थे। 2017 में इन्हें एकीकृत कर दिया गया।

केंद्रीय बजट के प्रकार

बजट को मुख्यतः दो प्रकारों में विभाजित किया जाता है:

  1. राजस्व बजट (Revenue Budget): इसमें सरकार की आय और व्यय का विवरण होता है जो कि सामान्य प्रशासनिक कार्यों और सेवाओं को पूरा करने के लिए होता है।
    • राजस्व प्राप्तियाँ (Revenue Receipts): इसमें कर राजस्व (जैसे आयकर, वस्तु एवं सेवा कर) और गैर-कर राजस्व (जैसे लाभांश, शुल्क) शामिल होते हैं।
    • राजस्व व्यय (Revenue Expenditure): इसमें सरकार की नियमित व्यय शामिल होती हैं जैसे वेतन, पेंशन, ब्याज भुगतान आदि।
  2. पूंजी बजट (Capital Budget): इसमें सरकार की लंबी अवधि के निवेश और वित्तीय योजनाओं का विवरण होता है।
    • पूंजी प्राप्तियाँ (Capital Receipts): इसमें ऋण, ऋणों की वसूली, और संपत्तियों की बिक्री शामिल होती है।
    • पूंजी व्यय (Capital Expenditure): इसमें नए निर्माण, उपकरणों की खरीद और निवेश योजनाओं का व्यय शामिल होता है।

भारत के संविधान में केंद्रीय बजट से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद

भारत के संविधान में केंद्रीय Budget से संबंधित कई महत्वपूर्ण अनुच्छेद हैं, जो सरकार की वित्तीय शक्तियों और Budget प्रक्रिया को परिभाषित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अनुच्छेद निम्नलिखित हैं:

●       अनुच्छेद 112: यह अनुच्छेद “वार्षिक वित्तीय विवरण” (Annual Financial Statement) को परिभाषित करता है, जिसे आम तौर पर “बजट” कहा जाता है। यह विवरण सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है।

●       अनुच्छेद 114: अनुच्छेद 114 के तहत विनियोग बिल का प्रावधान है। इस बिल के जरिए सरकार लोकसभा से अनुमति मांगती है। जिससे संचित निधि से पैसे निकाल सके। विनियोग विधेयक के लागू होने तक सरकार भारत की संचित निधि से धन नहीं निकाल सकती।

●       अनुच्छेद 265: इस अनुच्छेद के अनुसार, संसद की पूर्व स्वीकृति के बिना कोई कर नहीं लगाया जा सकता है। यह अनुच्छेद सरकार की कर लगाने की शक्ति को नियंत्रित करता है।

●       अनुच्छेद 266: यह अनुच्छेद भारत की समेकित निधि (Consolidated Fund of India) और आकस्मिकता निधि (Contingency Fund of India) की स्थापना का प्रावधान करता है। समेकित निधि में सरकार की सभी प्राप्तियाँ जमा होती हैं और सभी व्यय इसी निधि से किए जाते हैं। आकस्मिकता निधि का उपयोग अप्रत्याशित व्यय के लिए किया जाता है।

●       अनुच्छेद 280: यह अनुच्छेद वित्त आयोग (Finance Commission) की स्थापना का प्रावधान करता है। वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच करों के बंटवारे की सिफारिश करता है।

●       अनुच्छेद 150: इस अनुच्छेद के तहत, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) की नियुक्ति का प्रावधान है। CAG सरकार के खातों की लेखा परीक्षा करता है और संसद को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

इनके अलावा, संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 264 से 293 तक वित्त, संपत्ति, संविदाओं और वादों से संबंधित प्रावधान हैं। ये अनुच्छेद केंद्र और राज्यों की उधार लेने की शक्तियों, वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा, और अन्य वित्तीय मामलों को भी कवर करते हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु:

●       भारतीय संविधान बजट को एक “धन विधेयक” (Money Bill) के रूप में परिभाषित करता है। धन विधेयक को राज्यसभा द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।

●       Budget को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है।

●       Budget पारित होने के बाद, सरकार को इसे लागू करने का अधिकार मिल जाता है।

भारत के केंद्रीय बजट को तैयार करने की प्रक्रिया

भारत के केंद्रीय Budget को तैयार करने की प्रक्रिया एक लंबी, विस्तृत और गोपनीय है। इसमें विभिन्न चरण शामिल होते हैं और कई महीनों की मेहनत लगती है। आइए इस प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझें:

  • बजट-पूर्व परामर्श (Pre-Budget Consultations): –वित्त मंत्रालय विभिन्न हितधारकों, जैसे कि उद्योग संघों, कृषि संगठनों, अर्थशास्त्रियों, ट्रेड यूनियनों, और नागरिक समाज संगठनों के साथ व्यापक परामर्श करता है। इन परामर्शों का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की मांगों, अपेक्षाओं और सुझावों को समझना है।
  • विभागीय अनुमान (Departmental Estimates): – सभी सरकारी मंत्रालय और विभाग अपनी अनुमानित वित्तीय आवश्यकताओं और व्यय प्रस्तावों को वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत करते हैं। वित्त मंत्रालय इन प्रस्तावों की जांच करता है और उन्हें उपलब्ध संसाधनों के अनुसार समायोजित करता है।
  • राजस्व अनुमान (Revenue Estimates): वित्त मंत्रालय विभिन्न करों (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) और गैर-कर राजस्व (ब्याज, लाभांश, विनिवेश) से होने वाली आय का अनुमान लगाता है। ये अनुमान आर्थिक विकास दर, मुद्रास्फीति, और कर नीतियों में प्रस्तावित परिवर्तनों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं।
  • व्यय अनुमान (Expenditure Estimates): वित्त मंत्रालय विभिन्न क्षेत्रों (जैसे रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा) में व्यय का अनुमान लगाता है। ये अनुमान सरकार की नीतियों, प्राथमिकताओं और सामाजिक-आर्थिक विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं।
  • बजट प्रस्तावों को अंतिम रूप देना (Finalization of Budget Proposals): वित्त मंत्री, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श के बाद, Budget प्रस्तावों को अंतिम रूप देते हैं। इन प्रस्तावों में करों में बदलाव, नई योजनाओं की घोषणा, सब्सिडी में कटौती या वृद्धि आदि शामिल हो सकते हैं।
  • बजट की छपाई और गोपनीयता (Printing and Secrecy): Budget प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के बाद, उन्हें अत्यंत गोपनीयता के साथ छापा जाता है। Budget दस्तावेजों को वित्त मंत्रालय के “हलवा समारोह” के बाद एक सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है, जहां Budget टीम के सदस्य Budget पेश होने तक रहते हैं।
  • संसद में बजट का प्रस्तुतीकरण (Presentation in Parliament): वित्त मंत्री आम तौर पर फरवरी के पहले कार्य दिवस को संसद में Budget पेश करते हैं। बजट भाषण में वित्त मंत्री सरकार की आर्थिक नीतियों, उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं का विवरण देते हैं।
  • बजट पर चर्चा और अनुमोदन (Discussion and Approval): बजट पेश होने के बाद, संसद में उस पर विस्तृत चर्चा होती है। विभिन्न राजनीतिक दल Budget प्रस्तावों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं और संशोधन प्रस्तावित कर सकते हैं। अंत में, Budget को संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
  • बजट का कार्यान्वयन (Implementation): Budget अनुमोदित होने के बाद, सरकार बजट प्रस्तावों को लागू करना शुरू करती है। विभिन्न मंत्रालय और विभाग अपने-अपने Budget आवंटन के अनुसार कार्यक्रम और योजनाएँ लागू करते हैं।
  • बजट की निगरानी और मूल्यांकन (Monitoring and Evaluation): – वित्त मंत्रालय बजट के कार्यान्वयन की निगरानी करता है और समय-समय पर इसका मूल्यांकन करता है। यदि आवश्यक हो, तो Budget प्रस्तावों में संशोधन किया जा सकता है।

केंद्रीय बजट में शामिल दस्तावेज़ (Documents included in the Union Budget):

(A) वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement): यह मुख्य Budget दस्तावेज़ है जिसे आम तौर पर “बजट” कहा जाता है। यह सरकार की अनुमानित आय और खर्च का विस्तृत ब्यौरा देता है। इसमें 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के वित्तीय वर्ष के अनुमान शामिल होते हैं।

(B) अनुदान की मांगें (Demands for Grants): यह दस्तावेज़ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा मांगे गए धन का विवरण प्रस्तुत करता है। प्रत्येक मंत्रालय/विभाग अपनी जरूरतों के अनुसार अलग-अलग अनुदान की मांग करता है। इसमें राजस्व व्यय, पूंजीगत व्यय, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिए जाने वाले अनुदान, और ऋण और अग्रिम राशि शामिल होते हैं।

(C) प्राप्ति बजट (Receipts Budget): यह दस्तावेज़ वार्षिक वित्तीय विवरण में शामिल प्राप्तियों (आय) का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करता है। इसमें राजस्व प्राप्तियों और पूंजीगत प्राप्तियों के रुझान, और विदेशी सहायता का विवरण शामिल होता है।

(D) व्यय बजट भाग 1 (Expenditure Budget Vol. No. 1): यह दस्तावेज़ राजस्व और पूंजीगत व्यय का विवरण देता है। इसमें योजना और गैर-योजना व्यय के अनुमानों को समझाया जाता है। इसके अलावा, इसमें सामान्य व्यय, गैर-योजना व्यय, योजना परिव्यय, लैंगिक Budget, बच्चों के कल्याण के लिए योजनाओं का Budget प्रावधान, केंद्र सरकार द्वारा दी गई गारंटी की स्थिति, और मार्च के अंत में बकाया राशि की जानकारी भी शामिल होती है।

(E) व्यय बजट भाग 2 (Expenditure Budget Vol. 2): यह दस्तावेज़ अनुदान की मांगों में प्रस्तावित व्यय के उद्देश्यों को समझाने में मदद करता है। इसमें प्रमुख कार्यक्रमों पर व्यय की जानकारी, Budget अनुमानों और संशोधित अनुमानों के बीच अंतर के कारण, और चालू वर्ष के बजट अनुमानों का विवरण होता है।

(F) वित्त विधेयक (Finance Bill): यह विधेयक Budget में प्रस्तावित करों में बदलाव, नए कर, कर माफी, और कर नियमों में परिवर्तन की जानकारी देता है। इसके साथ एक ज्ञापन भी होता है जो इसमें शामिल प्रावधानों को समझाता है।

(G) वित्त विधेयक में प्रावधानों की व्याख्या का ज्ञापन (Memorandum Explaining the Provisions in the Finance Bill): यह दस्तावेज़ वित्त विधेयक में शामिल कर प्रस्तावों को समझने में मदद करता है। इसमें प्रावधानों और उनके प्रभावों की व्याख्या की जाती है।

(H) एक नज़र में बजट (Budget at a Glance): यह दस्तावेज़ संक्षेप में प्राप्तियों और व्यय का विवरण दिखाता है। इसमें कर और गैर-कर राजस्व, योजना और गैर-योजना व्यय, क्षेत्रवार योजना परिव्यय, मंत्रालयों/विभागों को आवंटन, केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हस्तांतरित संसाधनों का विवरण, राजस्व घाटा, सकल प्राथमिक घाटा, और सकल राजकोषीय घाटा शामिल होता है।

(I) बजट की मुख्य विशेषताएं (Highlights of Budget): यह दस्तावेज़ बजट की मुख्य विशेषताओं को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां, नई पहल, महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निधि आवंटन, और कर प्रस्तावों का सारांश शामिल होता है।

(J) वित्त मंत्री के बजट भाषण में की गई घोषणाओं के कार्यान्वयन की स्थिति (Status of Implementation of Announcements Made in Finance Ministers Budget Speech): यह दस्तावेज़ पिछले Budget में की गई घोषणाओं पर की गई कार्रवाई और जारी कार्रवाई की जानकारी देता है। इसमें रिपोर्टिंग वर्ष के फरवरी के पहले सप्ताह तक की जानकारी होती है।

(K) राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम से संबंधित दस्तावेज़ (Fiscal Responsibility and Budget Management Act Related Documents): * वृहद आर्थिक रूपरेखा विवरण (Macro-economic Framework Statement) * मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति विवरण (Medium Term Fiscal Policy Statement) * राजकोषीय नीति रणनीति विवरण (Fiscal Policy Strategy Statement)

ये दस्तावेज़ अर्थव्यवस्था की विकास संभावनाओं, सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं, कराधान, व्यय, ऋण, निवेश, प्रशासित मूल्य निर्धारण, उधार और गारंटी से संबंधित रणनीतियों, और राजस्व घाटा, राजकोषीय घाटा, कर-जीडीपी अनुपात और कुल बकाया ऋण जैसे राजकोषीय संकेतकों के लिए तीन साल के लक्ष्यों को दर्शाते हैं।

अंतरिम बजट क्या हैं?

अंतरिम Budget एक अस्थायी बजट होता है जो आम चुनावों से पहले मौजूदा सरकार द्वारा पेश किया जाता है। यह आमतौर पर तब होता है जब सरकार का कार्यकाल पूरा होने वाला होता है और नई सरकार के गठन में कुछ समय लग सकता है। अंतरिम Budget का मुख्य उद्देश्य अगली सरकार के गठन तक सरकारी खर्चों को जारी रखने के लिए धन की व्यवस्था करना होता है।

अंतरिम बजट और पूर्ण बजट के बीच अंतर:

विशेषता

अंतरिम बजट

पूर्ण बजट

उद्देश्य

अगली सरकार के गठन तक सरकारी खर्चों को जारी रखने के लिए धन की व्यवस्था करना।

सरकार की आर्थिक और वित्तीय नीतियों को रेखांकित करना, विकास को बढ़ावा देना, और सामाजिक कल्याण सुनिश्चित करना।

प्रकृति

संक्षिप्त दस्तावेज़, नए कर प्रस्ताव या बड़े नीतिगत बदलाव नहीं।

विस्तृत दस्तावेज़, नए कर प्रस्ताव, नीतिगत बदलाव, और विभिन्न क्षेत्रों के लिए आवंटन।

वैधता

कुछ महीनों के लिए वैध, जब तक कि नई सरकार अपना पूर्ण बजट पेश नहीं करती।

एक वित्तीय वर्ष के लिए वैध।

संसदीय अनुमोदन

आवश्यक नहीं।

आवश्यक।

 

भारत के केंद्रीय बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य 

● स्वतंत्र भारत का पहला Budget 26 नवंबर 1947 को आर. के. षणमुखम चेट्टी द्वारा पेश किया गया था। यह एक अंतरिम बजट था, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति का आकलन किया गया था।

● 1955 तक, Budget केवल अंग्रेजी में छापा जाता था। उसके बाद, इसे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छापा जाने लगा।

● मोरारजी देसाई ने सबसे अधिक 10 बार Budget पेश किया है।

● 1999 तक, ब्रिटिश परंपरा के अनुसार Budget शाम 5 बजे पेश किया जाता था। 1999 में, तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसे सुबह 11 बजे पेश करने की परंपरा शुरू की।

● निर्मला सीतारमण ने 2020 में सबसे लंबा Budget भाषण दिया, जो 2 घंटे 42 मिनट तक चला।

● निर्मला सीतारमण भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं।

● 2021 में, भारत के इतिहास में पहली बार बजट को पेपरलेस बनाया गया।

● Budget दस्तावेजों की छपाई अत्यंत गोपनीयता के साथ की जाती है। बजट पेश होने से पहले, Budget टीम के सदस्य वित्त मंत्रालय के बेसमेंट में एकांतवास में रहते हैं।

● बजट की छपाई शुरू होने से पहले, वित्त मंत्रालय में एक “हलवा समारोह” आयोजित किया जाता है।

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