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वैश्विक ताप वृद्धि का खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव (Impact of Climate Warming on Global Food Security) | UPSC

Impact of Climate Warming on Global Food Security

Impact of Climate Warming on Global Food Security

संदर्भ:

हाल ही में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) द्वारा 2017–2025 के बीच 45 देशों में किए गए 393 IPC आकलनों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई, जिसमें स्थानीय तापमान वृद्धि और खाद्य असुरक्षा के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक तापमान के 1°C की वृद्धि के कारण खाद्य सुरक्षा के पैटर्न को गहरा प्रभाव पड़ा है, जो लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा हैं।

वैश्विक तापवृद्धि और खाद्य असुरक्षा पर WFP विश्लेषण के मुख्य बिंदु:

    • IPC आकलन मॉडलिंग: अध्ययन 45 देशों में 393 IPC आकलनों के डेटा पर आधारित है, जिसमें स्थानीय तापमान विसंगति (temperature anomaly) और एक्यूट फूड इनसिक्योरिटी का प्रत्यक्ष संबंध मापा गया। मॉडल में HDI, मुद्रास्फीति (CPI inflation) और संघर्ष जोखिम जैसे आवश्यक कारकों को नियंत्रित किया गया है।

  • तापमान वृद्धि: WFP के बहुवर्षीय विश्लेषण से स्पष्ट है कि स्थानीय तापमान में मात्र 1°C की बढ़ोतरी भी खाद्य असुरक्षा को तेज़ी से बढ़ाती है। अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि तापमान असामान्य होने पर समुदायों की उपलब्ध भोजन तक पहुंच, कृषि उत्पादन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे IPC Phase 3+ की गंभीर स्थिति में लोगों की संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाती है।

  • 1°C वृद्धि से प्रभावित जनसंख्या: विश्लेषण के अनुसार यदि सभी 45 देशों में तापमान 1992–2016 औसत से 1°C अधिक हो जाए, तो अतिरिक्त 70 मिलियन लोग IPC Phase 3+ की स्थिति में पहुँच सकते हैं। इससे गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित आबादी का अनुपात 17.3% से बढ़कर 22.1% हो जाता है, जो जलवायु परिवर्तन के गहरे मानवीय प्रभाव को रेखांकित करता है।

  • वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त लोग: WFP की उपस्थिति वाले 84 देशों पर यही प्रभाव लागू करने पर यह पाया गया है कि लगभग 276 मिलियन अतिरिक्त लोग खाद्य असुरक्षित श्रेणी में आ सकते हैं। जिससे जलवायु-संवेदनशील देशों में तापमान वृद्धि खाद्य प्रणालियों को अस्थिर कर सकती है।

  • अन्य संभावित खतरे: अध्ययन के अनुसार धीरे-धीरे बढ़ती गर्माहट भी बहुत अधिक खतरनाक है। तापमान में क्रमिक वृद्धि से फसल उपज, जल उपलब्धता, और पोषण-सुरक्षा प्रभावित होती है, जिससे समुदाय बिना बड़े मौसमीय हादसे के भी संकट की ओर फिसलते जाते हैं।

  • नीति निर्धारण हेतु सुझाव: अध्ययन के आधार पर यह सुझाव दिया गया है कि जलवायु परिवर्तन को खाद्य सुरक्षा नीति, जोखिम-पूर्वानुमान, और मानवीय योजना के केंद्र में रखना अत्यंत आवश्यक है। देशों को स्थानीय तापमान परिवर्तन के आधार पर पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ, लचीली कृषि प्रणालियाँ, और सुदृढ़ सामाजिक सुरक्षा संरचनाएँ विकसित करनी होंगी, ताकि बढ़ते तापमान के प्रभाव को सीमित किया जा सके।

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP):

परिचय:

विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme, WFP) संयुक्त राष्ट्र का खाद्य सहायता संस्था है, जिसकी स्थापना 1961 में हुई थी। इसका मुख्यालय रोम, इटली में स्थित है और यह खाद्य सुरक्षा, पोषण व आपात सहायता प्रदान करने के लिए वैश्विक स्तर पर काम करता है।

उद्देश्य:

WFP का मिशन है “भूख मिटाना, आपदा के दौरान राहत देना, कमजोर समुदायों का समर्थन करना और सतत विकास को बढ़ावा देना।” यह आपातकालीन खाद्य सहायता के साथ-साथ दीर्घकालिक विकास परियोजनाओं, स्कूल भोजन कार्यक्रमों और पोषण पहल जैसे “स्थायी” उद्देश्यों पर भी केंद्रित है। इसका लक्ष्य 17 सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करना है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • WFP का नेतृत्व एक कार्यकारी निदेशक (Executive Director) करता है, जिसे यूएन महासचिव और खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के निदेशक के संयुक्त नेतृत्व में नियुक्त किया जाता है।
    यह एजेंसी देश‐कार्यालयों और क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से दुनिया भर में लगभग 120 देशों में काम करती है, और लाखों असहाय लोगों तक भोजन पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम को संघर्ष के क्षेत्रों में खाद्य सहायता प्रदान करने के प्रयासों के लिए 2020 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • नवीनतम वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट (Annual Performance Report) के अनुसार, WFP अपनी संसाधन क्षमता का उपयोग कृषि समर्थन, स्थानीय उत्पादन और जलवायु-संबलित विकास कार्यक्रमों के माध्यम से दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करती है।

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