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Budget Important Facts ( बजट के महत्वपूर्ण तथ्य )

Budget

Budget का अर्थ क्या है?

“बजट” शब्द अंग्रेजी के शब्द “bowgette” से लिया गया है, जिसकी उत्पत्ति फ्रेंच शब्द “bougette” से हुई है। “bougette” शब्द भी “Bouge” से बना है जिसका अर्थ चमड़े का बैग होता है।

बजट, एक निश्चित अवधि में सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है अर्थात बजट में यह बताया जाता है कि सरकार के पास रुपया कहां से आया और कहां गया? बजट भाषण में वित्त मंत्री पूरे देश को यह बताता है कि पिछले, वर्तमान और अगले वित्त वर्ष में उसको किन-किन श्रोतों से पैसा मिला/मिलेगा और किन-किन मदों पर खर्च किया जायेगा?

हमारे देश में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक वित्त वर्ष माना जाता है। केंद्रीय बजट इसी समय के लिए पेश किया जाता है। बजट के जरिए सरकार यह तय करने की कोशिश करती है कि आने वाले वित्त वर्ष में वह अपनी कमाई की तुलना में किस हद तक खर्च कर सकती है।  यूनियन बजट को दो भागों में बांटा गया है। वे दो भाग हैं पूंजीगत बजट और राजस्व बजट।

पूंजीगत बजट: पूंजीगत बजट में पूंजी प्राप्तियां (जैसे- उधार, विनिवेश) और लंबी अवधि के पूंजीगत व्यय (जैसे- संपत्ति, निवेश का सृजन) शामिल होते हैं। 

राजस्व बजट: राजस्व बजट में राजस्व प्राप्तियां और इस प्राप्ति से किये जाने वाले व्यय शामिल होते हैं राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व (जैसे- आयकर, उत्पाद शुल्क आदि) और गैर- कर राजस्व (जैसे ब्याज रसीदें, लाभ आदि) दोनों शामिल होते हैं।

बजट की नींव कैसे रखी जाती है?

देश में किसी भी साल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा बाजार कीमत को नॉमिनल जीडीपी कहते हैं। इसे ही बजट की बुनियाद कहा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिना नॉमिनल जीडीपी जाने अगले साल का बजट बनाना संभव नहीं होगा।

क्या होती है नॉमिनल जीडीपी

एक साल में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों की गणना बाजार मूल्यों या वर्तमान मूल्य पर की जाती है। ऐसे में जो जीडीपी की वैल्यू प्राप्त होती है उसे नॉमिनल जीडीपी कहते हैं। नॉमिनल जीडीपी में देश की महंगाई की वैल्यू जुड़ी होती है।

केंद्रीय Budget का महत्व

बजट महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यहां सामाजिक न्याय और समानता के साथ-साथ हमारे देश का तेज और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करना होता है। यह देश की दशा और दिशा तय करने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। केंद्रीय बजट के माध्यम से सरकार अपने देश में उपलब्ध संसाधनों का अलग अलग सेक्टर में विभाजित करता है ताकि संसाधनों का सही उपयोग किया जा सके। 

केंद्रीय बजट का एक लक्ष्य देश में बढ़ रही गरीबी को खत्म करना भी है। इसके लिए रोजगार पर कितने पैसे खर्च किए जाने है इसका खाका तैयार किया जाता है। केंद्रीय बजट से सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि भारत के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं मिल सके। इसके साथ ही सरकार को इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि देश के नागरिक अपने लिए रोटी, कपड़ा और मकान जैसे बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हों। 

कैसे शुरू होती है Budget बनाने की प्रक्रिया?

बजट बनाने में वित्त मंत्री के अलावा कई लोगों की अहम भूमिका होती है। जिसमें वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव शामिल हैं। बजट बनाने के दौरान हर रोज कई बार वित्त मंत्री से उनकी बजट के सिलसिले पर बातचीत होती है। इस दौरान जो बैठकें होती हैं वह या तो नॉर्थ ब्लॉक में होती है या वित्त मंत्री के आवास पर।

बजट बनाने के दौरान पूरी टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष का पूरा सहयोग मिलता रहता है। इसके अलावा कई क्षेत्रों के एक्सपर्ट भी बजट टीम में काम करते हैं।

बजट बनाने की प्रक्रिया इसके पेश होने से 6 महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। बजट बनाए जाने के तहत अलग-अलग प्रशासनिक निकायों से आंकड़े मंगाए जाते हैं। जिससे पता किया जाता है कि इन निकायों को कितने फंड की जरूरत है।

इसके साथ ही जनकल्याण योजनाओं के लिए कितने पैसों की जरूरत होगी इस पर भी विचार किया जाता है। इसी हिसाब से अलग-अलग मंत्रालयों को कितना फंड मुहैया कराया जाएगा इसपर भी चर्चा होती है।

स्वतंत्र भारत का पहला Budget

स्वतंत्र भारत का सबसे पहला बजट साल 26 नवंबर 1947 में षणमुगम चेट्टी ने पेश किया था। हालांकि इसमें केवल देश के अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी, कोई टैक्स नहीं लगाया गया था। उस वक्त बजट में शामिल किए गए प्रस्तावों को संसद से मंजूरी का जरूरत पड़ती थी। मंजूरी मिल जाने के बाद ये प्रस्ताव 1 अप्रैल से लागू किया जाता था और अगले साल के 31 मार्च तक चलता था। 

साल 1947 से लेकर साल 2022 तक हमारे देश में कुल 73 आम बजट पेश किया जा चुका है, 14 अंतरिम बजट या चार खास या मिनी बजट पेश किए जा चुके हैं। 

सबसे ज्यादा बार किसने किया Budget पेश 

देश के इतिहास में कई पूर्व प्रधान‍मंत्रियों ने पीएम पद पर रहते हुए भी वित मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए संसद में बजट को पेश किया। इनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी शामिल हैं।

7) हलवा परोसे जाने की रस्म

देश के आम बजट की प्रिंटिंग की प्रक्रिया हलवा परोसे जाने की रस्म के साथ वर्षों से चली आ रही है। एक बड़ी कड़ाही में हलवा बनाया जाता है और वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को परोसा जाता है। इसके साथ ही बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारियों को अपने परिवार तक से अलग होकर नॉर्थ ब्लॉक के प्रेस में रहना होता है।

8) सात दिन कड़ी निगरानी में रहते हैं अधिकारी

बजट पेश किए जाने से सात दिन पहले वित्त मंत्रालय के बजट से जुड़े अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग का काम करने वाले तथा अन्य संबंधी लोग दुनिया से अलग होकर नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय के भूतल में स्थित कक्ष में रहकर बजट को अंतिम रूप देते हैं। इस दौरान इन लोगों पर नजर रखने के लिए खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों का दल इनकी आवाजाही पर नजर रखता है।

9) यहां होती है बजट की प्रिंटिंग

पहले बजट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया जिसके बाद प्रिंटिग के काम को मिन्टो रोड स्थित सरकारी प्रेस में भेज दिया गया। 1980 से बजट नॉर्थ ब्लॉक यानी वित्त मंत्रालय में प्रिंट किया जाता है। बजट की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने तक सभी कर्मचारियों को मंत्रालय में ही रोका जाता है।

 

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वहीं अंतरिम बजट सरकार को आम चुनावों का फैसला होने और नई सरकार बनने के बाद फुल बजट की घोषणा करने तक, देश को चलाने के लिए धन उपलब्ध कराता है। अंतरिम बजट शब्द आधिकारिक नहीं है। आधिकारिक तौर पर इसे वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है।

बजट के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य जो शायद ही आपको पता हों।

1) जेम्स विल्सन ने पेश किया पहला बजट

जेम्स विल्सन को भारतीय बजट का संस्थापक भी कहते हैं। भारत में पहला बजट 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में जेम्स विल्सन ने ही पेश किया था। यह उन दिनों की बात है जब भारत एक गुलाम देश था। हालांकि इस वजह से बजट के दौरान भारतीयों को बोलने तक का अधिकार नहीं था।

2) स्वतंत्र भारत का पहला बजट

स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आर।के। शनमुखम चेट्टी ने नवंबर 26 नवंबर 1947 में पेश किया था। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था।

3) बजट पेश न करने वाले वित्त मंत्री

के.सी. नेगी भारत के ऐसे वित्त मंत्री थे जिन्होंने बजट नहीं पेश किया था। वे केवल 35 दिनों तक वित्त मंत्री रहे।

4) RBI के गवर्नर बने वित्त मंत्री

सी।डी। देशमुख भारत के पहले ऐसे वित्त मंत्री थे, जो मंत्री बनने से पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके थे। बता दें वह रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे।

5) जन्मदिन के मौके पर पेश किया बजट

मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में सबसे अधिक 10 बार देश का बजट पेश किया। केवल वही एक ऐसे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1964 और 1968 में दो बार, 29 फरवरी को अपने जन्मदिन के मौके पर बजट पेश किया था।

6) पीएम पद पर रहते हुए पेश किया बजट

देश के इतिहास में कई पूर्व प्रधान‍मंत्रियों ने पीएम पद पर रहते हुए भी वित मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए संसद में बजट को पेश किया। इनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी शामिल हैं।

7) हलवा परोसे जाने की रस्म

देश के आम बजट की प्रिंटिंग की प्रक्रिया हलवा परोसे जाने की रस्म के साथ वर्षों से चली आ रही है। एक बड़ी कड़ाही में हलवा बनाया जाता है और वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को परोसा जाता है। इसके साथ ही बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारियों को अपने परिवार तक से अलग होकर नॉर्थ ब्लॉक के प्रेस में रहना होता है।

8) सात दिन कड़ी निगरानी में रहते हैं अधिकारी

बजट पेश किए जाने से सात दिन पहले वित्त मंत्रालय के बजट से जुड़े अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग का काम करने वाले तथा अन्य संबंधी लोग दुनिया से अलग होकर नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय के भूतल में स्थित कक्ष में रहकर बजट को अंतिम रूप देते हैं। इस दौरान इन लोगों पर नजर रखने के लिए खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों का दल इनकी आवाजाही पर नजर रखता है।

9) यहां होती है बजट की प्रिंटिंग

पहले बजट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया जिसके बाद प्रिंटिग के काम को मिन्टो रोड स्थित सरकारी प्रेस में भेज दिया गया। 1980 से बजट नॉर्थ ब्लॉक यानी वित्त मंत्रालय में प्रिंट किया जाता है। बजट की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने तक सभी कर्मचारियों को मंत्रालय में ही रोका जाता है।

 

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मोरारजी देसाई ने अब तक अन्य वित्त मंत्री की तुलना में सबसे ज्यादा बार बजट पेश किया है। उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर दस बार बजट पेश किया। इसके बाद वह देश के प्रधानमंत्री भी बने। उनके इस्तीफे के बाद साल 1987-1989 के बीच राजीव गांधी ने बजट पेश किया था। इसके बाद एनडी तिवारी ने 1988-89 का बजट पेश किया था और एसबी चव्हाण ने 1989-90 का बजट पेश किया था। 1990-91 का मधु दंडवते ने बजट पेश किया था।

फुल और अंतरिम Budget होता क्या है?

केंद्रीय बजट देश का सालाना फाइनेंशियल लेखा-जोखा होता है। यूं कहें कि बजट किसी खास वर्ष के लिए सरकार की कमाई और खर्च का अनुमानित विवरण होता है।

बजट के जरिए सरकार यह तय करने का प्रयास करती है कि आगामी वित्त वर्ष में वह अपनी कमाई की तुलना में किस हद तक खर्च कर सकती है। सरकार को हर वित्त वर्ष की शुरुआत में बजट पेश करना होता है। भारत में वित्त वर्ष का पीरियड 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है।

वहीं अंतरिम बजट सरकार को आम चुनावों का फैसला होने और नई सरकार बनने के बाद फुल बजट की घोषणा करने तक, देश को चलाने के लिए धन उपलब्ध कराता है। अंतरिम बजट शब्द आधिकारिक नहीं है। आधिकारिक तौर पर इसे वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है।

बजट के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य जो शायद ही आपको पता हों।

1) जेम्स विल्सन ने पेश किया पहला बजट

जेम्स विल्सन को भारतीय बजट का संस्थापक भी कहते हैं। भारत में पहला बजट 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में जेम्स विल्सन ने ही पेश किया था। यह उन दिनों की बात है जब भारत एक गुलाम देश था। हालांकि इस वजह से बजट के दौरान भारतीयों को बोलने तक का अधिकार नहीं था।

2) स्वतंत्र भारत का पहला बजट

स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री आर।के। शनमुखम चेट्टी ने नवंबर 26 नवंबर 1947 में पेश किया था। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया था।

3) बजट पेश न करने वाले वित्त मंत्री

के.सी. नेगी भारत के ऐसे वित्त मंत्री थे जिन्होंने बजट नहीं पेश किया था। वे केवल 35 दिनों तक वित्त मंत्री रहे।

4) RBI के गवर्नर बने वित्त मंत्री

सी।डी। देशमुख भारत के पहले ऐसे वित्त मंत्री थे, जो मंत्री बनने से पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रह चुके थे। बता दें वह रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे।

5) जन्मदिन के मौके पर पेश किया बजट

मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री के रूप में सबसे अधिक 10 बार देश का बजट पेश किया। केवल वही एक ऐसे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1964 और 1968 में दो बार, 29 फरवरी को अपने जन्मदिन के मौके पर बजट पेश किया था।

6) पीएम पद पर रहते हुए पेश किया बजट

देश के इतिहास में कई पूर्व प्रधान‍मंत्रियों ने पीएम पद पर रहते हुए भी वित मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभालते हुए संसद में बजट को पेश किया। इनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी शामिल हैं।

7) हलवा परोसे जाने की रस्म

देश के आम बजट की प्रिंटिंग की प्रक्रिया हलवा परोसे जाने की रस्म के साथ वर्षों से चली आ रही है। एक बड़ी कड़ाही में हलवा बनाया जाता है और वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को परोसा जाता है। इसके साथ ही बजट की तैयारियों में लगे अधिकारी और कर्मचारियों को अपने परिवार तक से अलग होकर नॉर्थ ब्लॉक के प्रेस में रहना होता है।

8) सात दिन कड़ी निगरानी में रहते हैं अधिकारी

बजट पेश किए जाने से सात दिन पहले वित्त मंत्रालय के बजट से जुड़े अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग का काम करने वाले तथा अन्य संबंधी लोग दुनिया से अलग होकर नॉर्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय के भूतल में स्थित कक्ष में रहकर बजट को अंतिम रूप देते हैं। इस दौरान इन लोगों पर नजर रखने के लिए खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों का दल इनकी आवाजाही पर नजर रखता है।

9) यहां होती है बजट की प्रिंटिंग

पहले बजट की प्रिंटिंग राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन 1950 में बजट लीक हो गया जिसके बाद प्रिंटिग के काम को मिन्टो रोड स्थित सरकारी प्रेस में भेज दिया गया। 1980 से बजट नॉर्थ ब्लॉक यानी वित्त मंत्रालय में प्रिंट किया जाता है। बजट की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने तक सभी कर्मचारियों को मंत्रालय में ही रोका जाता है।

 

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