India aims for two PSBs on world top 20 list by 2047
संदर्भ:
हाल ही में आयोजित पीएसबी मंथन 2025 में वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि सरकार की कोशिश है कि कम से कम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक परिसंपत्तियों के आधार पर दुनिया के शीर्ष 20 बैंकों में जगह बना सकें।
बैठक मे कुछ अन्य मुद्दो पर भी हुई चर्चा–
- बैंकों की स्वायत्तता बढ़ाने
- निदेशक मंडल की भूमिका मजबूत करने
- एनपीए अनुपात कम रखने,
- प्रौद्योगिकी व साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने
- ग्राहक सेवा एवं शिकायत निवारण को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया
- कृषि और MSME सेक्टर की फंडिंग बढ़ाने पर जोर
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (Public Sector Banks – PSBs):
परिभाषा: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वे बैंक हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी कुल शेयरों का 50% या उससे अधिक होती है।
- इन बैंकों की वित्तीय नीतियाँ और संचालन का बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- चूँकि ये बैंक सरकारी स्वामित्व में होते हैं, इसलिए जनता को इन पर अधिक भरोसा रहता है कि उनकी जमा पूंजी सुरक्षित है।
विशेषताएँ:
- सरकारी नियंत्रण:
- 50% से अधिक हिस्सेदारी सरकार की होती है।
- नीतियाँ और दिशा-निर्देश सरकार ही तय करती है।
- जनहितकारी भूमिका:
- ग्रामीण क्षेत्रों, गरीबों और किसानों तक बैंकिंग सुविधाएँ पहुँचाना।
- सरकारी योजनाओं जैसे जनधन योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, मुद्रा लोन, सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ आदि का संचालन।
- सुरक्षा और विश्वास: लोग अपनी जमा पूंजी को सुरक्षित मानते हैं क्योंकि सरकार की गारंटी रहती है।
- कम शुल्क: निजी बैंकों की तुलना में इनके शुल्क कम होते हैं।
- लाभकारी और स्थिर: ये बैंक केवल मुनाफे के लिए नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी कार्य करते हैं।
भारत के बैंकों की वैश्विक स्थिति:
- भारतीय स्टेट बैंक (SBI): दुनिया के सबसे बड़े बैंकों की सूची में 43वें स्थान पर।
- एचडीएफसी बैंक (HDFC): निजी क्षेत्र का प्रमुख बैंक, 73वें स्थान पर।
- सरकार का लक्ष्य: आने वाले समय में भारत के कम–से–कम दो बैंक इतने मजबूत बनाए जाएं कि वे दुनिया के शीर्ष 20 बैंकों में शामिल हो सकें।
- 2025 की स्थिति:
- जुलाई 2025 के आँकड़ों के अनुसार, रैंकिंग बाज़ार पूंजीकरण पर आधारित है।
- सूची में अमेरिका और चीन के बैंकों का दबदबा है।
- जेपी मॉर्गन चेस (अमेरिका) पहले स्थान पर।
- चीन के चार बड़े बैंक शीर्ष 10 में शामिल।
निष्कर्ष:
यह पहल न केवल भारत के बैंकिंग क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगी बल्कि देश की वित्तीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को भी मजबूत करेगी। यदि भारत के कम से कम दो बैंक विश्व के शीर्ष 20 बैंकों में स्थान बनाने में सफल होते हैं, तो यह भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य (विकसित भारत 2047) की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगी।