India assumes chairmanship of the Kimberley Process

संदर्भ:
भारत 1 जनवरी 2026 से तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैश्विक मंच किम्बर्ले प्रोसेस (Kimberley Process – KP) की अध्यक्षता संभालेगा। यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े हीरा विनिर्माण (हीरा तराशने और पॉलिश करने) केंद्रों में से एक है।
- इससे पहले भारत ने 2008, 2019 में अध्यक्ष और 2025 में उपाध्यक्ष के रूप में भूमिका निभाई थी।
किम्बर्ले प्रोसेस (KP) क्या है?
किम्बर्ले प्रोसेस (KP) सरकारों, अंतरराष्ट्रीय हीरा उद्योग और नागरिक समाज (Civil Society) की एक त्रिपक्षीय पहल है। इसका उद्देश्य ‘कॉन्फ्लिक्ट डायमंड्स’ (Conflict Diamonds) या ‘ब्लड डायमंड्स’ के व्यापार को रोकना है।
- स्थापना: इसकी शुरुआत मई 2000 में दक्षिण अफ्रीका के किम्बर्ले में हुई और 1 जनवरी 2003 को किम्बर्ले प्रोसेस सर्टिफिकेशन स्कीम (KPCS) लागू हुई।
- प्रतिभागी: वर्तमान में इसके 60 प्रतिभागी हैं (यूरोपीय संघ को एक इकाई मानकर), जो दुनिया के 99% से अधिक कच्चे हीरे के व्यापार को नियंत्रित करते हैं।
- प्रमाणन प्रणाली: प्रत्येक निर्यात खेप के साथ एक ‘किम्बर्ले प्रोसेस सर्टिफिकेट’ होना अनिवार्य है, जो पुष्टि करता है कि हीरे संघर्ष-मुक्त हैं।
- कॉन्फ्लिक्ट डायमंड्स की परिभाषा: ये वे कच्चे हीरे होते हैं जिनका उपयोग विद्रोही समूहों द्वारा वैध सरकारों के खिलाफ युद्ध और हिंसा को वित्तपोषित करने के लिए किया जाता है।
भारत की अध्यक्षता के मुख्य प्राथमिकता क्षेत्र:
- डिजिटल प्रमाणन और ट्रैसेबिलिटी: ब्लॉकचेन और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से हीरों की उत्पत्ति का पता लगाना और प्रमाणपत्रों को डिजिटल बनाना।
- पारदर्शिता और शासन: डेटा-संचालित निगरानी के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में जवाबदेही को मजबूत करना।
- उपभोक्ता विश्वास: नैतिक सोर्सिंग सुनिश्चित करके विश्व स्तर पर संघर्ष-मुक्त हीरों के प्रति ग्राहकों का भरोसा बढ़ाना।
- समावेशी ढांचा: KP को अधिक समावेशी और प्रभावी बहुपक्षीय मंच बनाना।
महत्व:
- आजीविका का आधार: भारत के हीरा उद्योग में 10 लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं। यह उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7% का योगदान देता है और प्रमुख विदेशी मुद्रा अर्जकों में से एक है।
- आर्थिक योगदान: भारत सालाना लगभग 24 अरब डॉलर के तराशे हुए हीरों का निर्यात करता है। भारत दुनिया के 90% से अधिक हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग करता है, जिससे यह उद्योग विश्व का प्रमुख केंद्र बन गया है।
- अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व: यह भारत की “नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था” (Rule-based Global Order) को मजबूत करने की क्षमता को रेखांकित करता है।
सीमाएं:
- नैतिक खनन का अभाव: यह प्रमाणपत्र केवल विद्रोहियों की हिंसा को रोकता है; यह बाल श्रम या खराब कार्य परिस्थितियों जैसे मानवाधिकार उल्लंघनों को कवर नहीं करता।
- तस्करी की चुनौती: कुछ क्षेत्रों में हीरों की अवैध तस्करी और फर्जी प्रमाणीकरण अभी भी एक समस्या बनी हुई है।
