India-Bhutan relations
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 नवंबर 2025 को दो दिवसीय राजकीय दौरे पर भूटान पहुंचे। इस यात्रा का उद्देश्य भारत और भूटान के बीच दशकों पुराने भरोसेमंद संबंधों को और मजबूत बनाना है। दोनों देशों के बीच यह संवाद ऐसे समय में हो रहा है जब दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग और ऊर्जा साझेदारी का महत्व बढ़ रहा है।
- यात्रा के दौरान 1020 मेगावाट पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया गया।
- प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के 70वें जन्मोत्सव में भी भाग लिया।
भारत–भूटान संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- भारत और भूटान के संबंध स्वतंत्रता के तुरंत बाद से ही मजबूत रहे हैं। भारत ने 1947 में भूटान की संप्रभुता को मान्यता दी थी।
- 1949 में हस्ताक्षरित भारत–भूटान मित्रता संधि ने दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग की नींव रखी। 2007 में इस संधि को संशोधित किया गया, ताकि भूटान की स्वतंत्र विदेश नीति को सम्मान मिल सके।
- आज दोनों देश लोकतंत्र, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के साझा मूल्यों पर साथ काम कर रहे हैं।
- दोनों देशों के बीच बौद्ध धर्म एक साझा धरोहर है।
सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
- भारत 1961 से भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं में भागीदार रहा है। सड़कों, पुलों, अस्पतालों और सरकारी इमारतों के निर्माण में भारत का सहयोग रहा है।
- भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (2018–2023) के लिए भारत ने लगभग ₹5,000 करोड़ की सहायता दी।
- डिजिटल क्षेत्र में ‘डिजिटल द्रुकयुल’ कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने भूटान को इंटरनेट गेटवे और ई-गवर्नेंस में तकनीकी सहायता दी है।
- ऊर्जा क्षेत्र में 1988 की चुखा परियोजना (336 MW), 2006 की ताला परियोजना (1020 MW) और 2019 की मांगदेछू परियोजना (720 MW) जैसे उदाहरण हैं जो दोनों देशों की दीर्घकालिक साझेदारी को दर्शाते हैं।
आर्थिक और रणनीतिक महत्त्व
- भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024–25 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 1.78 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
- भूटान अपनी 90% निर्यातित बिजली भारत को बेचता है।
- भूटान का भौगोलिक स्थान भी भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह चीन और भारत के बीच एक स्थिर बफर राज्य के रूप में कार्य करता है।
- डोकलाम क्षेत्र, जो भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास है, दोनों देशों की सुरक्षा के लिए संवेदनशील क्षेत्र है।
चुनौतियाँ
- भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय है। साथ ही, जलविद्युत परियोजनाओं में देरी और व्यापार असंतुलन भूटान की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हैं।
निष्कर्ष
2025 की यह यात्रा इस मित्रता के नए अध्याय की शुरुआत है, जिसमें शिक्षा, हरित ऊर्जा और डिजिटल सहयोग के नए अवसर खुल रहे हैं। यह यात्रा भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति का सशक्त उदाहरण है और दक्षिण एशिया में स्थायी शांति एवं विकास की दिशा में एक ठोस कदम है।

