India dairy sector
संदर्भ:
पिछले एक दशक में भारत में दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 146 मिलियन टन से बढ़कर 239 मिलियन टन से अधिक हो गया है यानी 63% से ज्यादा की बढ़ोतरी। भारत लगातार विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना हुआ है और अब यह वैश्विक दूध आपूर्ति में लगभग एक-चौथाई योगदान देता है, जिससे वैश्विक डेयरी उत्पादन में इसकी अहम भूमिका और मजबूत हुई है।
भारत का डेयरी सेक्टर: महत्व और विकास:
परिचय
- भारत का डेयरी सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था, ग्रामीण आजीविका और पोषण सुरक्षा का आधार है।
- ऑपरेशन फ्लड (श्वेत क्रांति) के कारण भारत दूध-अभावी देश से बदलकर दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बना।
- हालाँकि, इस क्षेत्र को उत्पादकता, अवसंरचना और स्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए व्हाइट रेवोल्यूशन 2.0 जैसी पहल जरूरी हैं।
विकास और महत्व (Growth and Significance)
- सबसे बड़ा दूध उत्पादक (Largest Milk Producer): भारत दुनिया के कुल दूध उत्पादन का23–24% हिस्सा रखता है।
- आर्थिक योगदान (Economic Contribution):
- डेयरी क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था (GDP) में लगभग5% योगदान देता है।
- यह करोड़ों ग्रामीण परिवारों, विशेषकरसीमांत और छोटे किसानों के लिए स्थिर आय का स्रोत है।
- रोज़गार सृजन (Employment Generation):
- डेयरी क्षेत्र में8 करोड़ से अधिक किसान काम करते हैं।
- इनमें से लगभग70% महिलाएँ हैं, जिससे ग्रामीण महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है।
- पोषण सुरक्षा (Nutritional Security):
- दूधप्रोटीन और कैल्शियम का प्रमुख स्रोत है।
- यह भारत की विशाल जनसंख्या कीकुपोषण की समस्या दूर करने और आहार संबंधी ज़रूरतें पूरी करने में अहम है।
- सामाजिक–आर्थिक उत्थान:
- फसल असफल होने पर भी डेयरी खेती किसानों कोस्थायी आय का साधन देती है।
- सहकारी मॉडल (Cooperative Model) ने ग्रामीण महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करके उन्हेंआर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण प्रदान किया है।
भारत में डेयरी क्षेत्र की प्रमुख पहलें
- ऑपरेशन फ्लड (1970): श्वेत क्रांति की शुरुआत, NDDB व डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में सहकारी मॉडल (अमूल उदाहरण)।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (2014): देशी नस्लों का संरक्षण, उच्च गुणवत्ता वाले सांड, सेक्स-सॉर्टेड सीमेन, “गोकुल ग्राम” की स्थापना।
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम: दूध की गुणवत्ता, संग्रहण, प्रोसेसिंग और विपणन का ढांचा मजबूत करना।
- डेयरी एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम: नाबार्ड द्वारा डेयरी क्षेत्र में स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता।
- डेयरी प्रोसेसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF): डेयरी प्रोसेसिंग का आधुनिकीकरण, सब्सिडाइज्ड लोन।
- व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0: महिलाओं का सशक्तिकरण, दूध उत्पादकता वृद्धि, इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ीकरण और निर्यात प्रोत्साहन।