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भारत-EU मुक्त व्यापार समझौता (India-EU Free Trade Agreement) | UPSC Preparation

India-EU Free Trade Agreement

India-EU Free Trade Agreement

संदर्भ:

भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने FTA की 12वीं दौर की वार्ता में वस्तुओं और सेवाओं को लेकर प्रस्तावों का आदान-प्रदान किया है। इस चरण में जोखिम आकलन और क्षेत्रीयकरण (Regionalization) जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन समरूपता (Harmonization) और विवाद निवारण तंत्र (Dispute Resolution Mechanism) जैसे अहम पहलू अब भी अनसुलझे बने हुए हैं।

भारतEU मुक्त व्यापार समझौता (India-EU Free Trade Agreement): पृष्ठभूमि, प्रगति और महत्व

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • भारत और यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) के बीच कूटनीतिक संबंध 1960 के दशक की शुरुआत में स्थापित हुए थे।
  • 2004 में भारतEU रणनीतिक साझेदारी की घोषणा हुई।
  • 2007 में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौते (Bilateral Trade and Investment Agreement – BTIA) की वार्ताएं शुरू हुईं।
  • 2013 में 15 दौर की वार्ताओं के बाद FTA वार्ताएं महत्वाकांक्षा के अंतर के कारण ठप हो गईं।
  • EU की मांग: वाइन, चीज़, स्पिरिट्स जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में बाजार तक पहुँच।
  • भारत की प्राथमिकता: सेवाओं के व्यापार और वीजा तक आसान पहुँच।

वार्ताओं की पुनः शुरुआत:

  • जून 2022 में FTA वार्ताएं फिर से शुरू की गईं।
  • वर्तमान में वार्ताएं तीन प्रमुख समझौतों पर केंद्रित हैं: मुक्त व्यापार समझौता (FTA), निवेश संरक्षण समझौता (IPA), भौगोलिक संकेत (GI) समझौता

वर्तमान व्यापारिक स्थिति (2023-24):

  • भारतEU वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार: $137.41 अरब
    • निर्यात: $75.92 अरब
    • आयात: $61.48 अरब
  • भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार (वस्तुओं के व्यापार में): EU
  • भारत का कुल निर्यात में EU की हिस्सेदारी: लगभग 17%
  • EU का कुल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी: लगभग 9%
  • सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार (2023): $51.45 अरब

भारत के लिए समझौते का महत्व:

  • निर्यात विविधीकरण और विस्तार: वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के नए अवसर।
  • वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (Global Value Chains) में एकीकरण।
  • विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर।
  • बड़े वैश्विक साझेदारों के साथ संतुलित और रणनीतिक व्यापारिक समझौते का निर्माण।

भारतEU मुक्त व्यापार समझौता (FTA):

प्रमुख विवादास्पद क्षेत्र:

कृषि और डेयरी क्षेत्र:

  • भारत का रुख: छोटे किसानों की सुरक्षा हेतु भारत 39% तक ऊँचा टैरिफ लगाता है।
    • डेयरी क्षेत्र में विदेशी प्रतिस्पर्धा से स्थानीय उत्पादकों को खतरा।
  • EU की मांग: कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए भारतीय बाजार तक पहुँच। EU ने FTA से कृषि क्षेत्र को बाहर रखने का प्रस्ताव दिया है ताकि अन्य क्षेत्रों में समझौते को आगे बढ़ाया जा सके।

सेवाएं और मोबिलिटी:

  • भारत की मांग: पेशेवर योग्यता की आपसी मान्यता (MRAs), वीज़ा नियमों में ढील और मोबिलिटी में सुविधा।
  • EU की बाधा: डिजिटल सेवाओं में बाधा क्योंकि EU ने भारत को डेटा सिक्योर देश का दर्जा नहीं दिया (GDPR के तहत)।

सततता और CBAM:

  • EU की नीति: CBAM के तहत EU कार्बन-गहन उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाता है। इसका उद्देश्य जलवायु संरक्षण है।
  • भारत की आपत्ति:
    • यह MSMEs पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
    • भारत ने इसे विकासशील देशों के लिए अनुचित और डेटा मांगों के कारण बोझिल बताया है।

स्वच्छता और पादप स्वच्छता (SPS) उपाय:

  • EU के खाद्य सुरक्षा मानक WHO Codex से भी अधिक सख्त हैं: कीटनाशक अवशेष अफ्लाटॉक्सिन सीमा
  • इन पर अभी भी दोनों पक्षों के बीच मतभेद बने हुए हैं।

भारतीय निर्यात पर प्रभाव:

  • कृषि निर्यात: EU के कठोर SPS मानकों के कारण कॉफी, चाय, मसाले, और चावल जैसे उत्पादों की खेप अक्सर अस्वीकृत हो जाती है।
  • निर्यात वृद्धि सीमित:
    • FY2019 में कृषि निर्यात: $3.02 अरब
    • FY2025 में कृषि निर्यात: $4.54 अरब (मामूली वृद्धि)

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