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भारत-यूरोपीय संघ व्यापार संबंध

सामान्य अध्ययन पेपर II: वैश्विक समूह, अंतर्राष्ट्रीय संधि और समझौते, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

चर्चा में क्यों? 

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार संबंध: हाल ही में, भारत-यूरोपीय संघ संबंधों में नया अध्याय जोड़ते हुए यूरोपीय आयोग (EC) की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के नेतृत्व में 27 में से 22 यूरोपीय आयुक्तों का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत दौरे पर रहा। जिसमें व्यापार, प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा व रक्षा सहयोग को नई गति देने हेतु कई महत्वपूर्ण समझौतों पर चर्चा की गई।

भारत-यूरोपीय संघ उच्चस्तरीय बैठक के प्रमुख बिंदु

भारत और यूरोपीय संघ (European Union- EU) के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए यूरोपीय आयोग की अध्यक्षता में 27-28 फरवरी 2025 को एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया। इस दौरान भारत-ईयू व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक भी आयोजित हुई, जिससे सहयोग के नए आयाम जुड़े।

  • व्यापार और आर्थिक सहयोग: दोनों पक्षों ने एक संतुलित, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का संकल्प लिया। उन्होंने निवेश संरक्षण और भौगोलिक संकेतों से जुड़े समझौतों पर वार्ता को भी गति देने का निर्णय लिया। इस साझेदारी के तहत व्यापारिक बाधाओं को कम करने, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और निवेश के अनुकूल माहौल तैयार करने पर सहमति बनी।
  • तकनीकी और नवाचार: भारत और ईयू ने सेमीकंडक्टर, 6G, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्षों ने सेमीकंडक्टर उत्पादन और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए सेमीकंडक्टर समझौता ज्ञापन (MoU) के प्रभावी कार्यान्वयन को प्राथमिकता देने पर सहमति व्यक्त की। साथ ही, भारत 6G गठबंधन और ईयू 6G स्मार्ट नेटवर्क इंडस्ट्री ग्रुप के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए गए।
  • हरित ऊर्जा और सतत विकास: भारत-ईयू साझेदारी के तहत स्वच्छ ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास को प्रमुखता दी गई। दोनों पक्षों ने हरित हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा, अपतटीय पवन ऊर्जा और स्मार्ट शहरीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया। इस संदर्भ में, भारत-ईयू हरित हाइड्रोजन फोरम और अपतटीय पवन ऊर्जा व्यापार शिखर सम्मेलन आयोजित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
  • रक्षा और सुरक्षा: भारत और ईयू ने समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने और वैश्विक शांति प्रयासों में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्षों ने भारतीय नौसेना और यूरोपीय समुद्री सुरक्षा एजेंसियों के बीच संयुक्त अभ्यास को प्राथमिकता देने पर बल दिया। भारत ने यूरोपीय संघ के स्थायी संरचित सहयोग (PESCO) और सूचना सुरक्षा समझौते (SOIA) में शामिल होने में रुचि दिखाई, जिससे रक्षा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को नया आधार मिला।
  • आर्थिक गलियारा: G20 शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया गया। इसके तहत व्यापार मार्गों को मजबूत करने, ऊर्जा सहयोग बढ़ाने और भौतिक एवं डिजिटल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने पर चर्चा हुई।
  • मानव संसाधन विकास: युवा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति जताई। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में कुशल भारतीय कार्यबल के लिए अवसरों को बढ़ाने और संगठित प्रवासन को प्रोत्साहित करने के लिए नीति-स्तर पर सुधारों की पेशकश की।
  • वैश्विक चुनौती: भारत और ईयू ने जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के वैश्विक शासन, आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय शांति जैसे विषयों पर संयुक्त रूप से कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई। यूक्रेन संकट और मध्य पूर्व के हालातों पर चर्चा करते हुए दोनों पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय कानून, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित स्थायी शांति के समर्थन की पुष्टि की।

यूरोपीय संघ: एकीकृत आर्थिक और राजनीतिक संगठन

  • यूरोपीय संघ (EU) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1 नवंबर 1993 को मास्ट्रिच संधि के तहत हुई। इसका उद्देश्य यूरोप में राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक सहयोग और आपसी विकास को बढ़ावा देना था।
  • यूरोपीय संघ में वर्तमान में 27 सदस्य देश हैं। क्रोएशिया (2013) इसमें शामिल होने वाला अंतिम देश था, जबकि यूनाइटेड किंगडम (UK) ने 31 जनवरी 2020 को इससे अलग होने का निर्णय लिया।
  • इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स और लक्ज़मबर्ग में स्थित है। EU की 24 आधिकारिक भाषाएँ हैं, जिससे यह दुनिया के सबसे बहुभाषी संगठनों में से एक बन जाता है।
  • यूरोपीय संघ ने एक एकल आंतरिक बाजार बनाया है, जिसमें सदस्य देश समान व्यापार और आर्थिक नीतियों का पालन करते हैं। 
  • 19 देश “यूरो” को आधिकारिक मुद्रा के रूप में अपनाते हैं, जबकि 9 देश अभी भी अपनी राष्ट्रीय मुद्रा का उपयोग करते हैं।
  • यूरोपीय संघ मानव कल्याण और आपदा राहत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हर साल 120 मिलियन से अधिक लोगों की सहायता करता है और वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार संबंध: इतिहास और संबंध

    • इतिहास: भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच कूटनीतिक संबंध 1962 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) के साथ स्थापित हुए थे। यह संबंध समय के साथ मजबूत होते गए और कई महत्वपूर्ण पड़ावों को पार किया। 
      • 1993 में संयुक्त राजनीतिक वक्तव्य पर हस्ताक्षर और 1994 में सहयोग समझौते की स्थापना ने इस साझेदारी को औपचारिक रूप दिया। 
      • 2000 में लिस्बन में पहला भारत-ईयू शिखर सम्मेलन हुआ, जिसके बाद 2004 में इसे रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया। 
      • 2020 में भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी रोडमैप 2025 को अपनाया गया, जिससे व्यापार, सुरक्षा, डिजिटल नवाचार और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गति मिली।
  • व्यापार और निवेश संबंध: भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा पिछले 15 वर्षों से चल रही है, जिसे 2021 में फिर से शुरू किया गया। 
    • वर्तमान में यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और भारतीय निर्यात के लिए भी दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है। 
    • 2023-24 में भारत-ईयू के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 135 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का निर्यात 76 बिलियन डॉलर और आयात 59 बिलियन डॉलर रहा। सेवा क्षेत्र में भी 53 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ। 
    • यूरोपीय संघ भारत में विदेशी निवेश का एक प्रमुख स्रोत है, जिसने 2000-2024 के बीच 117.4 बिलियन डॉलर का निवेश किया, जो भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह का 16.6% है। 
    • वहीं, भारतीय कंपनियों ने भी यूरोपीय संघ में 40.04 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। यह साझेदारी भारतीय उद्योगों के लिए नए अवसर और यूरोपीय बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित कर रही है।
  • प्रौद्योगिकी संबंध: भारत और ईयू उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर मिलकर कार्य कर रहे हैं।
    • 2022 में शुरू हुई भारत-ईयू व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) डिजिटल और रणनीतिक तकनीकों, हरित ऊर्जा नवाचार, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ बनाने के लिए कार्यरत है। 
    • 2022 में भारत और ईयू ने उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (HPC) के क्षेत्र में सहयोग हेतु समझौता किया।
    • नवंबर 2023 में अर्धचालक (Semiconductor) अनुसंधान एवं विकास पर समझौता ज्ञापन (MoU) हुआ, जिससे इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ा। 
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा में भी दोनों पक्ष मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे डिजिटल संप्रभुता और डेटा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
  • हरित ऊर्जा में सहयोग: भारत और ईयू की साझेदारी में नवीन ऊर्जा स्रोतों, विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 
    • 2024 में ब्रुसेल्स में आयोजित यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह में भारत को विशेष साझेदार के रूप में आमंत्रित किया गया, जिससे हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में निवेश और अनुसंधान को बढ़ावा मिला। 
  • यूरोपीय निवेश बैंक (EIB) ने भारत में हाइड्रोजन परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देने के लिए 1 बिलियन यूरो (लगभग 9,000 करोड़ रुपये) की प्रतिबद्धता जताई है। इन प्रयासों से 2030 तक भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और 2050 तक यूरोपीय संघ की कार्बन-न्यूट्रल रणनीति में योगदान देने की योजना है।

मुक्त व्यापार समझौता क्या हैं?

मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) दो या अधिक देशों के बीच किया गया एक समझौता होता है, जिसके तहत व्यापार को सुगम बनाने के लिए सीमा शुल्क, कोटा, नियामक बाधाओं और सब्सिडी जैसे नियमों में छूट दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार की लागत को कम करना, आर्थिक विकास को गति देना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना होता है। मुक्त व्यापार संधियाँ देशों को उनके तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage) के आधार पर व्यापार करने का अवसर देती हैं, जिससे उत्पाद सस्ते होते हैं और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलते हैं।

  • भारत और मुक्त व्यापार
  • भारत 1947 से ही गेट (GATT – सामान्य टैरिफ और व्यापार समझौता) का संस्थापक सदस्य रहा है, जो 1995 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) में परिवर्तित हो गया। हालाँकि, भारत 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद मुक्त व्यापार संधियों को लेकर अधिक सक्रिय हुआ। इससे भारत का व्यापार-से-जीडीपी अनुपात उल्लेखनीय रूप से बढ़ा। हाल के वर्षों में, द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार समझौतों पर भारत का ध्यान अधिक केंद्रित हुआ है।
  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) एक मेगा मुक्त व्यापार समझौता है, जिसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 16 देश शामिल हैं। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार नियमों को सरल और उदार बनाना है ताकि व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिल सके। भारत ने शुरू में इसमें रुचि दिखाई थी, लेकिन घरेलू उद्योगों और किसानों के हितों की रक्षा के लिए 2019 में इससे बाहर रहने का निर्णय लिया। 
  • वैश्विक अनुभव: मुक्त व्यापार संधियों के लाभों को लेकर कई तर्क दिए जाते हैं, लेकिन व्यावहारिक अनुभव मिश्रित रहे हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (NAFTA) 1994 में लागू किया गया था और इससे मैक्सिको में 200,000 नई नौकरियाँ बनने की उम्मीद थी, लेकिन 2010 तक अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ गया और करीब 7 लाख नौकरियाँ समाप्त हो गईं। इससे यह स्पष्ट होता है कि मुक्त व्यापार संधियाँ हमेशा अपेक्षित परिणाम नहीं देतीं और कई बार स्थानीय उद्योगों और नौकरियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
  • भविष्य: भारत को मुक्त व्यापार संधियों को अपनाने में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। किसी भी एफटीए को लागू करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि घरेलू उद्योगों, किसानों और रोजगार के अवसरों पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े। भारत वर्तमान में यूरोपीय संघ (EU), ब्रिटेन (UK), कनाडा और खाड़ी देशों (GCC) के साथ एफटीए वार्ताएँ कर रहा है, जिनसे व्यापार अवसरों का विस्तार हो सकता है। हालाँकि, इन समझौतों में समान अवसर, व्यापार असंतुलन की रोकथाम और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने वाले प्रावधानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार संबंध की चुनौतियाँ 

  • व्यापार विविधीकरण की कमी: भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच व्यापारिक विविधता की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत के कुल निर्यात में केवल 20 उत्पाद श्रेणियाँ ही 90% हिस्सेदारी रखती हैं, जिससे अन्य संभावित क्षेत्रों की उपेक्षा हो रही है। भारत की व्यापार नीति में विभिन्न गैर-टैरिफ बाधाएँ जैसे तकनीकी व्यापार अवरोध (TBT), स्वच्छता और फाइटो-सेनेटरी (SPS) मानदंड शामिल हैं, जो व्यापार विस्तार को बाधित करते हैं। 
  • गैर-टैरिफ बाधाएँ: यूरोपीय संघ ने फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में कई गैर-टैरिफ बाधाएँ लगा रखी हैं, जिनमें विश्व व्यापार संगठन (WTO) के गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) प्रमाणन, आयात प्रतिबंध, एंटी-डंपिंग उपाय और पूर्व-शिपमेंट निरीक्षण आवश्यकताएँ शामिल हैं। भारतीय दवा उद्योग, जो वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इन बाधाओं के कारण यूरोपीय संघ में अपनी उपस्थिति मजबूत करने में कठिनाई महसूस कर रहा है। 
  • कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM): यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) से भारत की निर्यात क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इस प्रणाली के तहत भारत से निर्यात किए जाने वाले ऊर्जा-गहन उत्पादों पर 25% तक अतिरिक्त कर लगाया जाएगा, जिससे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है।
  • FTA में देरी: भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत 2007 में शुरू हुई, लेकिन 2013 के बाद यह लगभग निष्क्रिय हो गई और 2021 में फिर से शुरू की गई। इस देरी का मुख्य कारण डिजिटल विनियमन, द्विपक्षीय निवेश संधियों, विवाद निपटान प्रक्रिया और निवेशकों की सुरक्षा जैसे विषयों पर मतभेद हैं। 
  • मानवाधिकार मानकों पर मतभेद: भारत और यूरोपीय संघ के बीच श्रम कानूनों, मानवाधिकारों और पर्यावरणीय मानकों को लेकर मतभेद बने हुए हैं, जो यूरोपीय कंपनियों के भारतीय बाजार में निवेश करने में संकोच का कारण बनते हैं। यूरोपीय संघ की व्यापार नीति में सख्त पर्यावरणीय और सामाजिक मानक शामिल हैं, जबकि भारत की नीति अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास पर अधिक केंद्रित है। 

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)

प्रश्न (2023): निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

यूरोपीय संघ का ‘स्थिरता एवं सवृद्धि (स्टेबिलिटी ऐंड ग्रोथ पैक्ट)’ ऐसी संधि है, जो

1. यूरोपीय संघ के देशों के बजटीय घाटे को सीमित करती है।

2. यूरोपीय संघ के देशों के लिए अपनी आधारभूत संरचना सुविधाओं को आपस में बाँटना सुगम  बनाती है

3. यूरोपीय संघ के देशों के लिए अपनी प्रौद्योगिकी को आपस में बाँटना सुगम बनाती है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

  • केवल एक
  • केवल दो
  • सभी तीन
  • कोई भी नहीं

उत्तर: केवल एक

प्रश्न (2018): निम्नलिखित देशों पर विचार करें:

1. ऑस्ट्रेलिया

2. कनाडा

3. चीन

4. भारत

5. जापान

6. संयुक्त राज्य अमेरिका

उपरोक्त में से कौन आसियान के ‘मुक्त व्यापार साझेदारों’ में से हैं?

  • 1, 2, 4 और 5
  • 3, 4, 5 और 6
  • 1, 3, 4 और 5
  • 2, 3, 4 और 6

उत्तर: 1, 3, 4 और 5

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