India Financial Sector Assessment 2025
संदर्भ:
- विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (World Bank – IMF) की संयुक्त टीम ने 2024 में भारत का Financial Sector Assessment Program (FSAP) किया। 30 अक्टूबर 2025 को विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें भारत के वित्तीय तंत्र की स्थिति और भविष्य के सुधारों की सिफारिशें दी गईं।
वित्तीय क्षेत्र मूल्यांकन (FSAP) 2025 के मुख्य बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत का वित्तीय ढांचा अब पहले से अधिक मज़बूत, विविध और समावेशी (resilient, diversified & inclusive) बन चुका है। 2017 में जहाँ Non-Banking Financial Institutions (NBFIs) और मार्केट फाइनेंसिंग का योगदान कुल वित्तीय परिसंपत्तियों में 35% था, वहीं अब यह 44% तक पहुँच गया है।
- 2047 के लक्ष्य की दिशा में सुधार: भारत को USD 30 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लिए अपने वित्तीय ढांचे का आधुनिकीकरण करना होगा—जिसमें पूंजी बाज़ारों को गहराई देना, ग्रीन फाइनेंसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को बढ़ावा देना शामिल है।
- Macroprudential Tools की आवश्यकता: बढ़ते जोखिमों को देखते हुए, रिपोर्ट में Debt Service to Income (DSTI) सीमा लागू करने और Counter-Cyclical Capital Buffers (CCyBs) जैसे उपायों की सिफारिश की गई है।
- नियामक ढांचे को सुदृढ़ बनाना: RBI, SEBI और IRDAI के बीच बेहतर समन्वय (coordination) की ज़रूरत है। साथ ही, राज्य-स्वामित्व वाली कंपनियों की निगरानी शक्तियों को और मज़बूत किया जाना चाहिए।
- NBFC और बैंकिंग सुधार: रिपोर्ट में IFRS 9 मानक, Pillar 2 capital add-ons, और state-owned NBFCs के लिए prudential छूट समाप्त करने का सुझाव दिया गया है।
- लीज़िंग (Leasing) पर कर उपचार (Tax Treatment):
MSME फाइनेंस को बढ़ावा देने के लिए, रिपोर्ट ने लीज़िंग और ऋण (lease vs loan) के बीच GST असमानता दूर करने की सिफारिश की है। - NHB का निगरानी कार्य RBI को स्थानांतरित करने की सिफारिश: HFCs की supervision अब RBI के अंतर्गत लाई जाए ताकि निगरानी और पारदर्शिता दोनों बढ़ें।
- MSME Financing के लिए सुझाव: TReDS प्लेटफॉर्म को e-invoicing पोर्टल से जोड़ने, राज्य उपक्रमों को invoice upload के लिए बाध्य करने, और NBFC bonds के लिए गारंटी सुविधाएं बढ़ाने की सलाह दी गई है।

