India-Middle East-Europe Economic Corridor
संदर्भ:
भारत-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) अब सुर्खियों में है, क्योंकि पश्चिम एशिया में जारी भू-राजनीतिक तनाव और रेड सी में व्यवधानों ने इसकी भविष्य की व्यवहार्यता और रणनीतिक क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों में कॉरिडोर के सफल संचालन के लिए अनुकूलन और लचीली रणनीतियों की आवश्यकता है।
भू–राजनीतिक चुनौतियाँ और बदलते परिदृश्य:
- हामास–इज़राइल संघर्ष: 7 अक्टूबर 2023 के बाद से जारी हामास-इज़राइल संघर्ष ने पश्चिम एशिया में अस्थिरता बढ़ा दी है। इसने IMEC (India-Middle East-Europe Corridor) की व्यवहार्यता पर असर डाला और संघर्ष समाधान में बहुपक्षीय सुधार की आवश्यकता को उजागर किया।
- अब्राहम समझौते का प्रभाव: 2020 में हुए अब्राहम समझौते ने इज़राइल-अरब संबंधों में सुधार लाया था, लेकिन नई हिंसक घटनाओं के चलते इसका सकारात्मक प्रभाव कम हो गया है, जिससे वैश्विक व्यवस्था पर दबाव पड़ा है।
- रेड सी में हूथी हमले: रेड सी में हूथी हमलों के कारण वैश्विक व्यापार मार्ग बाधित हुए हैं। जहाजों को केप ऑफ गुड होप के माध्यम से पुनर्निर्देशित किया जा रहा है, जिससे लागत और समय दोनों बढ़ रहे हैं और आर्थिक नुकसान हो रहा है।
- IMEC मार्गों में अनुकूलन: भारत और अरब देशों को क्षेत्रीय शक्ति समीकरण और सुरक्षा चिंताओं के अनुसार IMEC मार्गों को अनुकूलित करना होगा, जिससे रणनीतिक योजना में आर्थिक संप्रभुता सुनिश्चित की जा सके।
- विशेषज्ञों की सलाह: क्षेत्रीय अस्थिरता के बावजूद IMEC की बहु–सदस्य संरचना का उपयोग करके लचीले साझेदारी मॉडल और निरंतर सहयोग बनाए रखना चाहिए, जो क्षेत्र के लिए नए आर्थिक सौदे की संभावना बढ़ा सकता है।
इंडिया–मिडिल ईस्ट–यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC): एक परिचय
- परियोजना का उद्देश्य: IMEC एक बहुराष्ट्रीय कनेक्टिविटी पहल है, जिसे 2023 में लॉन्च किया गया। इसका लक्ष्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को शिपिंग, रेलवे और सड़क मार्गों के नेटवर्क के माध्यम से जोड़ना है।
- संबंधित पहल: यह परियोजना पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (PGII) का हिस्सा है, जो G7 द्वारा संचालित है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में टिकाऊ बुनियादी ढांचा विकसित करने पर केंद्रित है।
- घोषणा और सदस्यता: IMEC की घोषणा सितंबर 2023 में न्यू दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई। समझौते में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, UAE, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के रणनीतिक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
- मुख्य मार्ग:
- ईस्टर्न कॉरिडोर: भारत और अरब की खाड़ी को समुद्री मार्ग से जोड़ता है।
- नॉर्दर्न कॉरिडोर: अरब की खाड़ी से यूरोप तक रेल और समुद्री मार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी प्रदान करता है। इसमें कई मध्य पूर्वी देशों के माध्यम से रेलवे नेटवर्क, हाइफा पोर्ट और यूरोप तक समुद्री मार्ग शामिल हैं।
- ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी: परियोजना में अंडरसी फाइबर ऑप्टिक केबल और क्लीन एनर्जी पाइपलाइन के माध्यम से ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी योजनाएं भी शामिल हैं।
- संभावित लाभ:
- ट्रांजिट समय और लागत में कमी।
- सप्लाई चेन का विविधीकरण, विशेषकर सुएज नहर के विकल्प के रूप में।
- आर्थिक वृद्धि और क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान।
- स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण और टिकाऊ विकास को बढ़ावा।