India-Nepal border dispute
संदर्भ:
भारत ने चीन के साथ लिपुलेख दर्रे के माध्यम से सीमा व्यापार फिर से शुरू करने पर नेपाल की आपत्तियों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है और कहा है कि काठमांडू के दावे ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। भारत और चीन ने लिपुलेख और दो अन्य व्यापारिक बिंदुओं के जरिए व्यापार पुनः शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है, जबकि नेपाल का कहना है कि यह क्षेत्र उसके अधिकार क्षेत्र का हिस्सा है।
भारत–नेपाल सीमा विवाद:
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- भारत-नेपाल की सीमा 1816 के सुगौली संधि के तहत तय की गई थी, जिसमें काली नदी को सीमा माना गया।
- नेपाल का दावा: नदी का स्रोत लिंपियाधुरा में है, जिससे कलापानी और लिपुलेख नेपाल के क्षेत्र में आते हैं।
- भारत का दावा: नदी का स्रोत इससे नीचे है, इसलिए यह क्षेत्र उत्तराखंड का हिस्सा है।
- दोनों देश ब्रिटिश युग के नक्शों का हवाला देते हैं।
- यह विवाद 1960 के दशक से जारी है और अभी तक अंतिम समाधान नहीं हुआ।
महत्व:
- लिपुलेख पास: भारत और चीन को जोड़ने वाला रणनीतिक पर्वतीय मार्ग।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग; 2020 में सड़क को अपग्रेड किया गया।
- LAC के पास भारत की रणनीतिक मौजूदगी बढ़ाता है।
- ग्रीष्मकाल में भारत-चीन सीमा व्यापार की सुविधा देता है।
राजनयिक विकास और तनाव:
- नेपाल की आपत्ति भारत की सड़क निर्माण और व्यापार पुनः आरंभ के बाद बढ़ी।
- नेपाल का कहना है कि यह द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है।
- भारत का कहना: लिपुलेख के माध्यम से व्यापार दशकों से चल रहा है और नेपाल का दावा ऐतिहासिक आधारहीन है।
- कोविड-19 और राजनीतिक कारणों से राजनयिक वार्ता स्थगित रही।
भारत–चीन–नेपाल त्रिकोणीय गतिशीलता:
- यह क्षेत्र भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, विशेषकर दक्षिण एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव के समय।
- 1962 के चीन युद्ध के बाद भारत ने कलापानी में सीमा सुरक्षा बल तैनात किया।
- नेपाल इसे अतिक्रमण मानता है।
- चीन आधिकारिक तौर पर तटस्थ है लेकिन लिपुलेख के माध्यम से भारत-चीन व्यापार का समर्थन करता है।
- क्षेत्र की रणनीतिक महत्वता बढ़ी है।
भारत–नेपाल संबंधों पर प्रभाव:
- सीमा विवाद ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ाया।
- नेपाल में भारत कीएकपक्षीय कार्रवाई के प्रति अविश्वास बढ़ा।
- नेपाल में राजनीतिक बदलाव, खासकर पीएमकेपी शर्मा ओली के नेतृत्व में, चीन की ओर झुकाव देखा गया।
- भारत द्वारा नेपाल मेंआंशिक रूप से समर्थन किए गए बंद और सीमा विवाद ने संबंध और जटिल बना दिए।
- खुले सीमा और जन-जन संपर्क के बावजूद राजनयिक संवाद सतर्क और संवेदनशील बना हुआ है।
लिपुलेख दर्रा:
- स्थिति: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में, समुद्र तल से लगभग 5,334 मीटर (17,500 फीट) ऊँचाई पर।
- त्रि–सीमा: भारत, नेपाल और चीन की सीमा के पास स्थित।
- भौगोलिक महत्व: भारत को तिब्बत से जोड़ता है।
- धार्मिक महत्व: कैलाश मानसरोवर यात्रा का पारंपरिक मार्ग; तीर्थयात्रियों को सीधे कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक पहुंच प्रदान करता है।
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व: प्राचीन काल से भारत और तिब्बत के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान–प्रदान का प्रमुख मार्ग।
- रणनीतिक महत्व: त्रिकोणीय भूभाग में होने के कारण भू–राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील।
- विवाद: इसकी संवेदनशील स्थिति के कारण समय-समय पर सीमा विवाद और राजनयिक तनाव सामने आते रहे हैं।