India-UAE joint military exercise Desert Cyclone-II
संदर्भ:
हाल ही में भारतीय सेना का एक दल भारत–संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) संयुक्त सैन्य अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन–II में भाग लेने हेतु यूएई के लिए रवाना हुआ। यह इस अभ्यास का दूसरा संस्करण है, जो 18 से 30 दिसंबर 2025 तक अबू धाबी में आयोजित किया जाएगा।
संयुक्त सैन्य अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन–II:
- डेजर्ट साइक्लोन भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आयोजित किए जाने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है। जिसका दूसरा संस्करण इस वर्ष अबू धाबी में आयोजित किया जा रहा है।
- इससे पहले पहला संस्करण जनवरी 2024 में महाजन, राजस्थान में आयोजित हुआ था।
- इस अभ्यास में भारतीय सेना की ओर से 45 सैन्यकर्मी भाग ले रहे हैं, जो मुख्यतः यंत्रीकृत पैदल सेना रेजिमेंट की एक बटालियन से हैं।
- यूएई की ओर से समान संख्या में सैनिक 53 यंत्रीकृत पैदल सेना बटालियन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
- दोनों देशों की थल सेनाओं की यह संयुक्त भागीदारी पेशेवर तालमेल और संचालनात्मक समझ को बढ़ाने का माध्यम है। जो भारत और यूएई के बीचर सैन्य कूटनीति को दर्शाता है।
इस अभ्यास का उद्देश्य:
- डेजर्ट साइक्लोन–II का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना और यूएई थल सेना के बीच अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना और रक्षा सहयोग को सुदृढ़ करना है।
- अभ्यास का फोकस शहरी वातावरण में उप-पारंपरिक अभियानों पर है, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के अंतर्गत अंजाम दिया जाता है।
- यह अभ्यास दोनों सेनाओं को शांति स्थापना, आतंकवाद विरोधी और स्थिरता अभियानों के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने के लिए तैयार करता है।
प्रशिक्षण गतिविधियाँ और तकनीकी आयाम:
- लगभग दो सप्ताह तक चलने वाले इस अभ्यास में दोनों देशों के सैनिक निर्मित क्षेत्रों में युद्ध, हेलिबोर्न अभियान, और विस्तृत संयुक्त मिशन योजना जैसे सामरिक अभ्यास करेंगे।
- इस संस्करण में मानवरहित विमान प्रणालियों और उनके प्रतिरोधी उपायों का एकीकरण किया जाएगा, जो शहरी अभियानों में आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति को दर्शाता है।
रणनीतिक और कूटनीतिक महत्व:
- यह अभ्यास भारत की एक्ट वेस्ट नीति के अनुरूप है, जो पश्चिम एशिया में भारत की सक्रिय भागीदारी को दर्शाती है।
- यूएई भारत का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार है और यह अभ्यास क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- यह सहयोग I2U2 समूह और भारत–मध्य पूर्व–यूरोप आर्थिक गलियारे जैसे व्यापक क्षेत्रीय प्रयासों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।

