India-USA signs first structured LPG import agreement
संदर्भ:
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2025 में अपने पहले संरचित LPG आयात समझौते को अंतिम रूप दिया, जिसके अंतर्गत 2026 के लिए 2.2 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) LPG की आपूर्ति अमेरिका के गल्फ कोस्ट से की जाएगी। यह समझौता वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता और मध्य-पूर्व पर अत्यधिक निर्भरता को देखते हुए भारत की दीर्घकालिक रणनीति के अनुरूप है।
भारत के LPG क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:
- पिछले एक दशक में भारत ने LPG पहुंच और उपभोग में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की है।
- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (2016) के बाद घरेलू LPG कवरेज 100% तक पहुँच गया।
- 2024 तक सक्रिय घरेलू उपभोक्ता 32.83 करोड़ से अधिक हो गए, जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा LPG उपभोक्ता बाजार बन गया।
- भारत ने 2023–24 में लगभग 18 मिलियन टन LPG का उत्पादन किया, जबकि 17 मिलियन टन आयात किया, जिससे स्पष्ट है कि लगभग आधी आवश्यकता आयात से पूरी होती है।
- भारत पारंपरिक रूप से सऊदी अरब, यूएई और कतर जैसे खाड़ी देशों पर निर्भर रहा है, लेकिन 2022 के बाद वैश्विक ऊर्जा उथल-पुथल के कारण भारत ने अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया से भी आपूर्ति मार्ग बढ़ाए है।
- कोच्चि, मुंद्रा और हल्दिया में नए आयात टर्मिनल स्थापित कर भारत ने बड़ी LPG कार्गो क्षमता और परिचालन दक्षता बढ़ाई है।
समझौते का महत्व:
- आयात विविधीकरण और जोखिम प्रबंधन: अमेरिका से 2.2 MTPA संरचित आपूर्ति भारत के लिए एक नया, दीर्घकालिक और स्थिर आपूर्ति मार्ग प्रशस्त होता है। यह पारंपरिक खाड़ी देशों पर निर्भरता कम करती है और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करती है।
- घरेलू मांग की सतत पूर्ति: भारत में स्वच्छ ऊर्जा के रूप में LPG की मांग लगातार बढ़ रही है। यह संरचित अनुबंध आपूर्ति को पूर्वानुमेय बनाता है और लाखों सब्सिडीधारी उपभोक्ताओं तक LPG उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
- मूल्य वार्ता में प्रतिस्पर्धा: अमेरिकी LPG प्रवेश से वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे भारत बेहतर वाणिज्यिक शर्तों पर भविष्य के अनुबंध कर सकेगा और मूल्य अस्थिरता से सुरक्षा मिलेगी।
- भू-राजनीतिक संतुलन: यह समझौता भारत-अमेरिका ऊर्जा साझेदारी को मजबूत करता है और भारत की विदेशी नीति में बहु-स्तरीय सहयोग को बल देता है।
भारत-अमेरिका ऊर्जा सहयोग का विकास:
- पिछले दो दशकों में दोनों देशों के संबंध तकनीकी, स्वच्छ ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन सहयोग तक विस्तृत हुए हैं। 2017 के बाद अमेरिका भारत का प्रमुख हाइड्रोकार्बन साझेदार बना।
- भारत ने 2015–20 के बीच अपनी रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR) क्षमता विकसित की, जिसमें अमेरिकी तकनीकी सहयोग शामिल था।
- Strategic Clean Energy Partnership (SCEP) ने दोनों देशों के मध्य नवीकरणीय ऊर्जा, उभरते ईंधन, हाइड्रोजन, बैटरी भंडारण और उन्नत तकनीकों में सहयोग को रूपरेखा प्रदान की।
- अमेरिका ने भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को गति देने के लिए Green Transition Fund में 500 मिलियन डॉलर तक की प्रतिबद्धता दर्शाई।
- RETAP (2023) के माध्यम से दोनों देश हाइड्रोजन, ऊर्जा भंडारण और ऑफशोर विंड तकनीकों के लिए रोडमैप तैयार कर रहे हैं।

