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भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक 2025 (Indian Higher Education Commission Bill 2025) | UPSC

Indian Higher Education Commission Bill 2025

Indian Higher Education Commission Bill 2025

संदर्भ: 

केंद्र सरकार 2025 संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) विधेयक 2025 को पेश करने वाली है, जो NEP 2020 में एकल उच्च शिक्षा नियामक की सिफारिश के पांच साल बाद लाया जाएगा।

HECI विधेयक 2025 का उद्देश्य:

HECI Bill 2025 उच्च शिक्षा के लिए एक एकीकृत, पारदर्शी और परिणामोन्मुख प्रणाली स्थापित करने की दिशा में एक दूरगामी कदम है। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्त, जिम्मेदार और गुणवत्तापरक बनाना है।

HECI विधेयक 2025 के मुख्य प्रावधान:

  • एकल नियामक: HECI में यूजीसी (सामान्य शिक्षा), AICTE (तकनीकी शिक्षा) और NCTE (शिक्षक शिक्षा) को एकीकृत किया जाएगा। चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा इसके दायरे से बाहर रहेगी।
  • चार स्वतंत्र निकाय: HECI विधेयक 2025 में उच्च शिक्षा प्रणाली के लिए चार स्वतंत्र ऊर्ध्वाधर निकायों (verticals) के गठन की अवधारणा प्रस्तुत की गई है।
    • राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक परिषद (NHERC): NHERC उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए नियामकीय ढांचा, संचालन मानक, संस्थागत अनुपालन और कानूनी प्रावधानों की निगरानी करेगी। इसका उद्देश्य प्रशासनिक हस्तक्षेप को न्यूनतम रखते हुए light but tight regulation को बढ़ावा देना है।

  • राष्ट्रीय मान्यता परिषद (NAC): NAC संस्थानों और उनके कार्यक्रमों की पूर्णतः वैज्ञानिक, डेटा-आधारित और तकनीक संचालित मान्यता प्रक्रिया को लागू करेगी। यह मापदंडों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाएगी और भारत को वैश्विक शिक्षा सूचकांकों में आगे ले जाने में मदद करेगी।

  • सामान्य शिक्षा परिषद (GEC): GEC भारतीय उच्च शिक्षा के अकादमिक ढांचे, सीखने के परिणाम, पाठ्यक्रम गुणवत्ता, और बहुविषयकता आधारित शिक्षा मॉडल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह परिषद NEP द्वारा सुझाए गए National Higher Education Qualification Framework (NHEQF) को प्रभावी बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाएगी।

इसका व्यापक प्रभाव: 

  • सुव्यवस्थित शासन: HECI के गठन से UGC, AICTE और NCTE जैसे अनेक नियामकों का विलय होगा, जिससे उच्च शिक्षा प्रणाली में वर्षों से मौजूद दोहराव, अस्पष्टता और प्रशासनिक जटिलताओं का समाधान होगा। इससे संस्थानों के लिए अनुपालन प्रक्रिया आसान होगी।
  • गुणवत्तापूर्ण मूल्यांकन : NAC के माध्यम से मान्यता प्रक्रिया अधिक वैज्ञानिक, पारदर्शी और प्रदर्शन-आधारित बनेगी। यह संस्थानों को प्रतिस्पर्धात्मक रूप से गुणवत्ता सुधार के लिए प्रेरित करेगा, जो शिक्षा की समग्र गुणवत्ता और वैश्विक रैंकिंग पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
  • अकादमिक मानकों का एकीकरण: GEC देश के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में अधिगम परिणामों, पाठ्यक्रम ढांचे और क्रेडिट संरचना को एक समान आधार देगा। इससे छात्रों के लिए क्रेडिट ट्रांसफर, बहु-विषयी शिक्षा और संस्थानों के बीच गतिशीलता (mobility) अधिक सहज होगी।
  • वित्तीय संसाधनों का वितरण: HEGC के माध्यम से अनुदान आवंटन पारदर्शी और परिणाम आधारित हो पाएगा। इससे संस्थानों को वित्तीय समर्थन पाने के लिए गुणवत्तापरक प्रदर्शन पर ध्यान देना पड़ेगा, जो दीर्घकाल में बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा।
  • अधिक जवाबदेही: HECI को गैर-अनुपालन पर कड़े वित्तीय दंड लगाने की शक्ति मिलेगी, जिससे संस्थान मानकों का उल्लंघन नहीं कर सकेंगे। यह कदम उच्च शिक्षा संस्थानों में जवाबदेही, पारदर्शिता और नैतिक प्रशासन को मजबूती देगा।

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