Indian-origin cheetah Mukhi gives birth to 5 cubs
संदर्भ:
भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से 2022 में शुरू किए गए Project Cheetah के तहत 33 महीनों की भारतीय-मूल की जन्मी मादा चीता ‘मुखी’ द्वारा पाँच शावकों को जन्म दिया गया, जो चीता पुनर्स्थापन प्रोजेक्ट की एक बड़ी सफलता है।
कौन है मादा चीता ‘मुखी’?
मुखी, कूनो राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) में जन्मी भारत की पहली भारतीय-जन्मी मादा चीता है, जिसका जन्म मार्च 2023 में नामीबिया से लाई गई मादा चीता ‘सियाया’ से हुआ था। आज मुखी 33 माह की उम्र में स्वस्थ, पूर्ण विकसित और प्रजननक्षम मादा चीता बन चुकी है। नवंबर 2025 में उसने पाँच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया, जो भारतीय-जन्मे चीते द्वारा प्रजनन का पहला दर्ज उदाहरण है।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता पुनर्स्थापन:
-
- उद्यान का परिचय: कूनो राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना जिलों में स्थित है। यह विंध्यन पठार के दक्षिणी किनारे पर फैला एक महत्वपूर्ण संरक्षित क्षेत्र है जहाँ अर्ध-शुष्क जंगल, घासभूमि और नदी घाटियाँ मिलकर विविध पारिस्थितिकी तंत्र बनाती हैं। इस उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 748 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ की वनस्पति मुख्य रूप से शुष्क पर्णपाती (Dry Deciduous) और घासभूमि (Grassland) प्रकार की है। कूनो को मूलतः एशियाई शेर पुनर्स्थापन के लिए विकसित किया गया था।
- परियोजना का उद्देश्य: भारत से विलुप्त हो चुके एशियाई चीते के स्थान पर अफ्रीकी चीतों को लाकर एक स्वस्थ, स्वतंत्र और प्रजननक्षम जंगली जनसंख्या स्थापित करना और भारत के घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना है।
-
- संचालन: यह दुनिया का पहला अंतर-महाद्वीपीय लार्ज कार्निवोर ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट है। परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय (MoEFCC), NTCA (National Tiger Conservation Authority) और Cheetah Conservation Fund (Namibia) द्वारा मिलकर संचालित किया जा रहा है।
- निगरानी व्यवस्था: चीतों को विशेष “बोमा” में प्रारम्भिक अवधि के लिए रखा जाता है ताकि वे नए आवास के अनुकूल हो सकें। प्रत्येक चीते में सैटेलाइट-GPS कॉलर लगाया जाता है, जिससे रोज़ाना उनकी लोकेशन, मूवमेंट, स्वास्थ्य व्यवहार और शिकार पैटर्न की निगरानी होती है।
इस उपलब्धि का महत्व:
- अनुकूलन क्षमता की पुष्टि — यह दर्शाता है कि कूनो का पारिस्थितिकी तंत्र चीतों के लिए उपयुक्त बनता जा रहा है।
- दीर्घकालिक व्यवहार्यता (Viability) — प्राकृतिक प्रजनन आगे चलकर भारतीय चीता आबादी की स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
- मानव-प्रबंधित पालन का सफल उदाहरण — मानवीय देखभाल में पली मादा का प्राकृतिक प्रजनन करना एक दुर्लभ और सफल संरक्षण मॉडल है।
- स्वदेशी जीन पूल का जन्म — भारतीय स्थितियों में जन्मी और पली चीता अब आगे जीनगत विविधता बढ़ाएगी।
- पुनर्वन्यीकरण को नीति समर्थन: मुखी का प्राकृतिक प्रजनन नीतिगत हस्तक्षेपों आनुवंशिक, पारिस्थितिक को प्रोत्साहित करता है।
- Project Cheetah की प्रगति का संकेत — यह इस बात का प्रमाण है कि भारत की पुनर्वन्यीकरण नीतियाँ सही दिशा में अग्रसर हैं।
प्रोजेक्ट चीता का परिचय:
- प्रोजेक्ट चीता 2022 में शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य 1952 में भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से स्थापित करना है।
- प्रोजेक्ट चीता की औपचारिक शुरुआत 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने के साथ हुई।
- इस प्रोजेक्ट का वर्तमान प्रबंधन राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
- इस प्रोजेक्ट के तहत कुनो राष्ट्रीय उद्यान, गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (WLS) और नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य (प्रस्तावित) को चीतों के आवास के रूप में स्थापित किया जा रहा हैं।
- वर्तमान में भारत में कुल 27 चीते हैं, जिनमें से 16 का जन्म देश में हुआ है। इनमें से 24 चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान में और 3 गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में हैं।

