India’s 7 properties have been added to the Tentative List of UNESCO’s World Heritage Convention
संदर्भ:
यूनेस्को ने भारत की 7 महत्वपूर्ण संपत्तियों को अपने विश्व धरोहर की अस्थायी सूची में शामिल करने की घोषणा की है। इन धरोहरों को “नेचुरल कैटेगरी” के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
अस्थायी सूची (Tentative List) में शामिल धरोहरें:
- सेंट मैरी द्वीप समूह की भूवैज्ञानिक विरासत (उडुपी, कर्नाटक)
- मेघालय युग की गुफाएँ (पूर्वी खासी हिल्स, मेघालय)
- नागा हिल ओफियोलाइट (किफिर, नागालैंड)
- एरा मट्टी डिब्बालु की प्राकृतिक विरासत (विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश)
- तिरुमाला हिल्स की प्राकृतिक विरासत (तिरुपति, आंध्र प्रदेश)
- वर्कला की प्राकृतिक विरासत (केरल)
- पंचगनी और महाबलेश्वर में डेक्कन ट्रैप (महाराष्ट्र)
- सेंट मैरी द्वीप ( Mary’s Islands), उडुपी – कर्नाटक:
- स्थान: अरब सागर, मालपे तट (उडुपी, कर्नाटक)
- द्वीप: कोकोनट आइलैंड, नॉर्थ आइलैंड, दर्या बहादुरगढ़ आइलैंड, साउथ आइलैंड (+ मिडल रॉक)
- भूवैज्ञानिक महत्व: 85–88 मिलियन वर्ष पुराने, भारत–मेडागास्कर के विभाजन से बने।
- विशेषता: कॉलमदार बेसाल्ट, रियोलाइटिक लावा संरचना, ग्रैनोफायरिक टेक्सचर (दुर्लभ)।
- कॉलम व्यास: लगभग 20–25 सेंटीमीटर, सीधी खड़ी चट्टानें।
सेंट मैरी द्वीप (St. Mary’s Islands) का ऐतिहासिक महत्व
- 1498 में वास्को–दा–गामा जब समुद्री मार्ग से भारत पहुँचे, तो सबसे पहले यहीं उतरे थे।
- उन्होंने इस द्वीप पर एक क्रॉस स्थापित किया और इसका नाम “O Padrão de Santa Maria” रखा, जो सेंट मैरी (ईसा मसीह की माता) को समर्पित था।
- मेघालय युग की गुफाएँ:
- स्थान: शिलांग पठार, मेघालय (गारो, खासी और जयंतिया पहाड़ियाँ)
- विशेषताएँ: चूना पत्थर से बनी, स्टैलेक्टाइट्स–स्टैलेग्माइट्स संरचनाएँ, 12 प्रमुख गुफाएँ।
- महत्वपूर्ण गुफाएँ: पूर्वी खासी पहाड़ियों की 4 गुफाएँ विशेष।
- मावम्लुह गुफा: यहाँ से मिले अवशेषों को होलोसीन काल के नवीनतम चरण का GSSP घोषित किया गया।
- इसी आधार पर काल का नाम रखा गया “मेघालयन युग“।
- एर्र मट्टी डिब्बालु (लाल रेत के टीले):
- स्थान: विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश (बंगाल की खाड़ी तट)
- क्षेत्रफल: लगभग 1,500 एकड़
- महत्व: दुर्लभ तटीय भू-आकृतिक संरचनाओं के कारण राष्ट्रीय भू–धरोहर स्मारक
- उत्पत्ति: लगभग 26 लाख वर्ष पूर्व, लेट क्वाटरनरी युग में जलवायु परिवर्तन व समुद्र तल उतार-चढ़ाव से निर्मित
- तिरुमला की प्राकृतिक धरोहर:
- स्थान व ऊँचाई: तिरुमला समुद्र तल से लगभग 3,200 फीट (980 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित।
- क्षेत्रफल: लगभग 8 वर्ग किलोमीटर (10.33 वर्ग मील) में फैला हुआ।
- सात पवित्र चोटियाँ (शेषाचलम श्रृंखला – पूर्वी घाट): शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषभाद्रि, नारायणाद्रि, वेंकटाद्रि – जहाँ श्री वेंकटेश्वर मंदिर स्थित है (सबसे पवित्र चोटी)।
- वारकला की अद्वितीय चट्टानें (केरल):
- स्थान: केरल के दक्षिण-पश्चिमी तट पर, अरब सागर किनारे।
- लंबाई: लगभग 5 किमी लंबी चट्टानी संरचना।
- भूवैज्ञानिक काल: मियो-प्लायोसीन युग की वर्कल्ली संरचना को उजागर करती है।
- निर्माण: समय के साथ हुए अपरदन (erosion) से बना आकर्षक परिदृश्य, भारतीय तटों पर विरल।
भूवैज्ञानिक विशेषताएँ
- परतें: कार्बोनसियस क्ले, लिग्नाइट, मार्कासाइट, रंग-बिरंगी मिट्टी और बलुआ पत्थर
- आधार: ये सभी परतें प्रीकैम्ब्रियन क्रिस्टलीय शैल (खोंडालाइट) पर स्थित।
- महत्व: विविध लिथोयूनिट्स इसकी भू-सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को बढ़ाते हैं।
- नागा हिल्स (Naga Hills) – ओफ़ियोलाइट:
भौगोलिक स्थिति
- स्थान: भारत के नागालैंड और म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में फैली पर्वत प्रणाली।
- श्रृंखला: अराकान पर्वत श्रृंखला का हिस्सा।
- ऊँचाई: अधिकतम 12,552 फीट।
- दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम (NE–SW)।
- विस्तार: मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर-पश्चिमी म्यांमार तक फैली