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संदर्भ:
भारत को 2047 तक उच्च आय वाले देश का दर्जा हासिल करने के लिए अगले 22 वर्षों तक औसतन 7.8% की दर से आर्थिक वृद्धि दर्ज करनी होगी।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विश्व बैंक की सिफारिशें:
- निवेश और पूंजी निर्माण में वृद्धि:
- निवेश दर: 2035 तक GDP का 40% (वर्तमान में 33.5%)
- निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना
- वित्तीय क्षेत्र के नियमों में सुधार और FDI प्रतिबंधों में ढील
- MSME को ऋण उपलब्ध कराना और व्यापार नियमों को सरल बनाना
- श्रम शक्ति भागीदारी में सुधार:
- कुल श्रम भागीदारी: 56.4% से बढ़ाकर 65%
- महिला श्रम भागीदारी: 35.6% से बढ़ाकर 50%
- रोजगार–प्रधान क्षेत्रों (उद्योग, पर्यटन, परिवहन और देखभाल अर्थव्यवस्था) को प्रोत्साहन
- संरचनात्मक परिवर्तन और व्यापार एकीकरण:
- कृषि क्षेत्र में रोजगार 45% से कम करना और श्रम को विनिर्माण व सेवाओं की ओर स्थानांतरित करना
- इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारना, नई तकनीक अपनाना, और श्रम कानून सरल बनाना
- वैश्विक मूल्य श्रृंखला (GVC) भागीदारी बढ़ाना, ताकि भारत वियतनाम, थाईलैंड और चीन से प्रतिस्पर्धा कर सके
- राज्यों के बीच संतुलित विकास को बढ़ावा देना:
- कम विकसित राज्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार
- औद्योगीकृत राज्यों में व्यापार सुधार और GVC भागीदारी को गहराई देना
- शहरी चुनौती निधि (Urban Challenge Fund) जैसे प्रोत्साहन कार्यक्रमों का विस्तार
2047 तक उच्च आय वर्ग (HIC) में पहुंचने की प्रमुख चुनौतियाँ:
- धीमा संरचनात्मक परिवर्तन:
- कृषि क्षेत्र में अभी भी 45% श्रमिक कार्यरत (2023-24)
- पारंपरिक बाजार सेवाएं और निर्माण क्षेत्र (कम उत्पादकता वाले) कुल श्रम बल का लगभग 30%
- उद्योग (Manufacturing) में रोजगार केवल 11%
- आधुनिक बाजार सेवाओं (Modern Market Services) की हिस्सेदारी मात्र 7%.
- घटता निजी निवेश:
- 1990 के आर्थिक सुधारों के बाद निजी निवेश में उछाल, लेकिन 2008 की वैश्विक वित्तीय संकट के बाद GDP में इसका अनुपात घटा
- निवेश की धीमी वृद्धि से अवसंरचना विकास और रोजगार सृजन पर असर
- जनसांख्यिकीय लाभांश का कम उपयोग:
- 2000-2019 के दौरान कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या 37.4% बढ़ी, लेकिन रोजगार वृद्धि केवल 15.7%
- इस दौरान श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 58% से गिरकर 49% (जो मध्य-आय वर्गीय देशों के मानकों से कम)
2047 तक उच्च आय वर्ग (HIC) बनने के लिए आगे का मार्ग:
- अवसंरचना और निवेश सुधार में तेजी:
- भूमि एवं श्रम कानूनों में सुधार
- FDI नियमों को आसान बनाना
- व्यवसायों के लिए अनुपालन (Compliance) बोझ कम करना
- रोजगार और महिला श्रम भागीदारी का विस्तार:
- रोजगार-समृद्ध क्षेत्रों में नीतिगत सहयोग
- महिलाओं के लिए सुरक्षा एवं चाइल्डकैअर सुविधाएं बढ़ाना
- वैश्विक व्यापार और विनिर्माण को सशक्त बनाना:
- निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना
- वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (GVCs) में एकीकरण
- राज्यों में समान विकास सुनिश्चित करना:
- पिछड़े राज्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में सुधार
- विकसित राज्यों में आर्थिक सुधारों को और आगे बढ़ाना
- प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देना: AI, ऑटोमेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को अपनाकर उत्पादकता और आर्थिक दक्षता में वृद्धि