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स्वदेशी पनडुब्बी-रोधी युद्धक पोत आईएनएस माहे (Indigenous anti-submarine warfare ship INS Mahe) | Apni Pathshala

Indigenous anti-submarine warfare ship INS Mahe

 INS Mahe

संदर्भ: 

24 नवंबर 2025 को भारतीय नौसेना द्वारा स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC)—INS Mahe को नौसेना बेड़े में शामिल किया गया। यह एक बड़ी उपलब्धि है जो भारत की आत्मनिर्भर भारत की नीति को सुदृढ़ करती हैं और देश की निकट-समुद्री (littoral) रक्षा क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाती है।

स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) की पृष्ठभूमि: 

  • तटीय सुरक्षा की बढ़ती आवश्यकता: 2010 के बाद से भारतीय समुद्री क्षेत्र में विदेशी पनडुब्बी गतिविधियों के बढ़ने से यह स्पष्ट हुआ कि देश को गहरे समुद्र ही नहीं, बल्कि उथले जलक्षेत्र में भी प्रभावी ASW क्षमताओं की आवश्यकता है।
  • पुराने पोतों का प्रतिस्थापन: 1980 के दशक से सेवा में रहे Abhay-class corvettes पुरानी हो चुकी थीं। इसलिए अप्रैल 2019 में रक्षा मंत्रालय ने 16 ASW-SWC पोतों के निर्माण हेतु CSL और GRSE के साथ अनुबंध किए।
  • स्वदेशीकरण: भारतीय नौसेना लंबे समय से स्वदेशी समाधानों पर आधारित प्लेटफ़ॉर्म विकसित कर रही है। INS Mahe इस यात्रा का नया अध्याय है, जो नौसेना की दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता और उन्नत तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करता है।

INS Mahe का परिचय: 

INS माहे एक स्वदेशी एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) है। जिसका निर्माण Cochin Shipyard Limited (CSL) द्वारा किया गया है और यह अपनी श्रेणी के आठ पोतों में पहला है। लगभग 80% स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह पोत आधुनिक युद्धक सेंसरों और उन्नत ASW हथियारों से सुसज्जित है,

  • पोत की मूल संरचना: इसकी विस्थापन क्षमता 896–1100 टन, प्रणोदन: Water-Jet Propulsion, उच्च गतिशीलता, इसकी अधिकतम गति 25 Knots, रेंज: 1800 Nautical Miles (14 Knots पर) है। इसमें 57 सदस्य (7 अधिकारी + 50 नाविक) के रहने की व्यवस्था की गई है।
  • हथियार प्रणाली: INS Mahe अत्याधुनिक ASW हथियारों से लैस है। इसमें RBU-6000 Anti-Submarine Rocket Launcher, Lightweight Torpedo Tubes, Decoy Launchers शामिल हैं।
  • उन्नत युद्ध प्रबंधन प्रणाली: ये इसे शत्रु पनडुब्बियों को पहचानने, ट्रैक करने और नष्ट करने में अत्यधिक प्रभावी बनाते हैं।
  • सेंसर और सोनार प्रणाली: INS Mahe में DRDO द्वारा विकसित आधुनिक ASW सेंसर लगाए गए हैं। इसमें Abhay Hull-Mounted Sonar, Low Frequency Variable Depth Sonar (LFVDS), Integrated Platform Management System (IPMS) शामिल हैं।
  • Battle Damage Control System (BDCS): इसमें BDCS प्रणाली को शामिल किया गया है। ये प्रणालियाँ 360° निगरानी प्रदान करती हैं और पोत को जटिल परिस्थितियों में भी पनडुब्बी का पता लगाने में सक्षम बनाती हैं।
  • बहुउद्देशीय क्षमताएँ: यह पोत केवल ASW अभियानों के लिए ही नहीं बल्कि— Mine Laying, Subsurface Surveillance, Search and Rescue (SAR), Low Intensity Maritime Operations (LIMO) जैसे कार्यों में भी उपयोगी है।

इसका रणनीतिक महत्व:

  • Coastal Surveillance Grid को मजबूती: यह पोत भारत की समुद्री निगरानी प्रणाली (MDA) का महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा और तटीय क्षेत्रों में 24×7 डोमेन जागरूकता सुनिश्चित करेगा।
  • Sea Lanes of Communication (SLOCs) की सुरक्षा: भारत के व्यापार का लगभग 90% समुद्र के रास्ते होता है। INS Mahe ऐसे मार्गों की सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • भारत की आक्रामक क्षमता में वृद्धि: इसके उन्नत ASW हथियार नौसेना की Offensive Capabilities, Quick Reaction Capability, Stand-off Detection Range को बढ़ाते हैं।

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