INS Aravali
संदर्भ:
12 सितंबर, 2025 को गुरुग्राम में नौसेना का नया नेवल बेस INS अरावली को नौसेना में शामिल किया गया। इसका नाम प्रसिद्ध अरावली पर्वत श्रृंखला पर रखा गया और इसका उद्देश्य नौसेना के विभिन्न सूचना एवं संचार केंद्रों को मजबूत समर्थन प्रदान करना है।
- इस बेस में इंफॉरमेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) और इनफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओशन रीजन (IFC-IOR) जैसी महत्वपूर्ण इकाइयाँ मौजूद है, जो भारत और भारतीय नौसेना की कमांड, कंट्रोल और समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA) के लिए बेहद जरूरी है।
नाम और प्रतीक का महत्व:
- ‘आईएनएस अरावली‘ का नाम प्रसिद्ध अरावली पर्वत श्रृंखला से लिया गया है। यह वही पर्वत श्रृंखला है, जिसने इतिहास में कई पश्चिमी हमलों का सामना किया और सैकड़ों वर्षों तक देश को विदेशी आक्रमणकारियों से सुरक्षित रखा। इसलिए गुरुग्राम में इस नेवल बेस का होना विशेष महत्व रखता है।
- ‘आईएनएस अरावली‘ का आदर्श वाक्य है: “सामुद्रिकसुरक्षायाः सहयोगं”, जो समुद्र में भारतीय नौसेना की ताकत और सहयोगात्मक भूमिका का संदेश देता है।
इस बेस के प्रतीक चिन्ह में अरावली पर्वत सुरक्षा और मजबूती का प्रतीक है, जबकि उगता हुआ सूरज ऊर्जा और उज्जवल भविष्य का संदेश देता है।
उद्देश्य:
- तटीय और समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा को मजबूत करना।
- समुद्र से डेटा एकत्र कर उसका विश्लेषण करना।
- संबंधित अधिकारियों और मैरीटाइम संगठनों के साथ जानकारी साझा करना।
- रियल-टाइम डेटा संकलन और विश्लेषण पर विशेष ध्यान देना।
भारत के लिए INS अरावली कितना महत्वपूर्ण:
- रियल–टाइम निगरानी: INS अरावली और इसमें मौजूद IFC-IOR से हिंद महासागर में हर गतिविधि, जहाज, पनडुब्बी और संदिग्ध मूवमेंट की लगातार निगरानी की जाती है।
- AI और डेटा एनालिसिस: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा सिस्टम की मदद से दुश्मन और मित्र देशों की पहचान और गतिविधियों का विश्लेषण आसान होता है।
- वैश्विक कनेक्टिविटी:
- 25 देशों के 43 मल्टीनैशनल सेंटर से लाइव फीड जुड़ी हुई है।
- अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ सीधा सहयोग होता है।
गैरकानूनी गतिविधियों पर रोक: INS अरावली समुद्री डकैती, आतंकवाद, मानव तस्करी, ड्रग्स स्मगलिंग और अवैध मछली पकड़ने (IUU Fishing) जैसी गतिविधियों पर निगरानी रखता है।
सुचना और संचार केंद्रों को समर्थन: यह बेस भारत के कमांड, नियंत्रण और एमडीए ढांचे के लिए महत्वपूर्ण सूचना और संचार केंद्रों को समर्थन देगा।
रणनीतिक लोकेशन:
- हिंद महासागर से दुनिया का 80% से ज्यादा तेल और 75% समुद्री व्यापार गुजरता है।
- चीन जैसी बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत की समुद्री पकड़ मजबूत होती है।
भारतीय नौसेना को इससे कितना फायदा?
- इसकी स्थापना से भारतीय नौसेना को न केवल समुद्री परिस्थितियों और गतिविधियों की बेहतर और रियल-टाइम जानकारी हासिल होगी, बल्कि यह विभिन्न सुरक्षा और सैन्य एजेंसियों के बीच सहयोग और समन्वय को भी और मजबूत करेगा। इसके जरिए नौसेना समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का तेजी से विश्लेषण और समाधान कर पाएगी, साथ ही समुद्री क्षेत्र में सभी संबंधित एजेंसियों के साथ समान दृष्टिकोण और रणनीतिक तालमेल सुनिश्चित किया जा सकेगा।
गुरुग्राम को ही क्यों चुना गया?
- गुरुग्राम में IMAC पहले से काम कर रहा है और NC3I नेटवर्क का नोडल केंद्र है।
- दिल्ली हेडक्वार्टर के नजदीक और एयरपोर्ट से बेहतर कनेक्टिविटी।
- अरावली की पहाड़ियों और जंगल में सुरक्षित स्थान।
अब इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लोग शामिल होंगे, जिससे यह मल्टी-एजेंसी NDMA सेंटर बन जाएगा। और यह NDMA प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना द्वारा टर्नकी बेसिस (turnkey basis) पर संभाला जाएगा।