Inter-state tiger translocation project begins in Rajasthan
संदर्भ:
भारत में बाघ संरक्षण को नया आयाम देते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिज़र्व से एक स्वस्थ बाघिन को राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTR) में एयरलिफ्ट करने की योजना को मंजूरी दी है। यह राजस्थान का पहला अंतराज्यीय बाघ स्थानांतरण है, जिसमें एक बाघिन को हेलीकॉप्टर के माध्यम से सुरक्षित रूप से नए निवास क्षेत्र में भेजा जाएगा।
अंतराज्यीय टाइगर ट्रांसलोकेशन प्रॉजेक्ट:
- परिचय: अंतर्राज्यीय टाइगर ट्रांसलोकेशन प्रोजेक्ट भारत में बाघ संरक्षण की एक वैज्ञानिक, नियामित और दीर्घकालिक रणनीति है, जिसके तहत किसी राज्य के टाइगर रिज़र्व से दूसरे राज्य के टाइगर रिज़र्व में बाघ या बाघिन को स्थानांतरित किया जाता है।
- उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य आबादी संतुलन, आवास क्षमता प्रबंधन (Carrying Capacity Management), अनुवांशिक विविधता बढ़ाना (Genetic Diversity Enhancement) और नए टाइगर लैंडस्केप का विकास करना है।
- संचालन: यह प्रक्रिया राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA), वन मंत्रालय, संबंधित राज्य सरकारों, और IUCN के अंतरराष्ट्रीय ट्रांसलोकेशन प्रोटोकॉल के नियमन के तहत संचालित होती है।
- वैज्ञानिक आधार: बाघ एक संगठित मेटा-पॉपुलेशन प्रजाति है, जिसकी सुरक्षित उपस्थिति के लिए विशाल, जुड़े हुए और आनुवांशिक रूप से विविध आवासों की आवश्यकता होती है। भारत के कई टाइगर रिज़र्व “सैचुरेशन” की स्थिति में पहुँच चुके हैं। असंतुलन को दूर करने के लिए वैज्ञानिक ट्रांसलोकेशन अपनाया जाता है ताकि नए क्षेत्रों में स्थायी, प्रजननक्षम और स्वस्थ जनसंख्या विकसित हो सके।
- पूर्व अनुमोदन: 2018 में ओडिशा के सतकोसिया रिज़र्व के लिए कान्हा और बांधवगढ़ से बाघों का ट्रांसलोकेशन इसी कानूनी ढांचे के तहत हुआ था, हालांकि स्थानीय सामाजिक-पर्यावरणीय स्थिति के कारण यह असफल रहा।
पेंच से रामगढ़ विषधारी तक ट्रांसलोकेशन की प्रक्रिया:
- चयन और ट्रेंकुलाइज: टाइग्रेस को पहचानने के लिए उसकी आयु, स्वास्थ्य, प्रजनन क्षमता, व्यवहारिक स्थिरता का आकलन किया जा रहा है। चयनित बाघिन को पहले GPS-VHF रेडियो कॉलर से लैस किया जाएगा। ट्रैंक्विलाइज़ करने के बाद उसे एक विशेष वायुवेध्य क्रेट (Ventilated Transport Crate) में सुरक्षित रूप से रखा जाएगा।
- निगरानी और रिलीज: बाघिन को सीधे जंगल में छोड़ने के बजाय पहले उसे सॉफ्ट-रिलीज़ बाड़े में रखा जाएगा। यह चरण उसके लिए नए पर्यावरण के साथ धीरे-धीरे अनुकूलन का अवसर प्रदान करता है। इस चरण में उसकी गतिशीलता, शिकार व्यवहार, और संभावित संघर्ष जोखिम का आकलन किया जाएगा। सही समय पर, जब उसका व्यवहार स्थिर और पर्यावरण-अनुकूल होगा तब उसे खुले जंगल में प्रवेश दिया जाएगा।
पेंच टाइगर रिज़र्व (Pench Tiger Reserve) का परिचय:
पेंच टाइगर रिज़र्व, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित भारत के सबसे महत्वपूर्ण और जैव-विविधता-समृद्ध बाघ आवासों में से एक है।
- इसका नाम पेंच नदी के नाम पर पड़ा है, जो रिज़र्व के मध्य से प्रवाहित होती है और पूरे लैंडस्केप को जीवन प्रदान करती है।
- 1977 में इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया, 1992 में राष्ट्रीय उद्यान और बाद में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिज़र्व का दर्जा मिला।
- यह राष्ट्रीय उद्यान रुडयार्ड किपलिंग की जंगल बुक का भी प्रेरणास्रोत रहा है।
- पेंच में बाघों की घनत्व दर अत्यंत उच्च है, और यह वर्तमान में एक स्रोत आबादी (Source Population) के रूप में देशभर में महत्वपूर्ण माना जाता है।
- यहाँ 40 से अधिक बाघ, समृद्ध शाकाहारी जनसंख्या, 250+ पक्षी प्रजातियाँ, और मिश्रित पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (Ramgarh Vishdhari Tiger Reserve) का परिचय:
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व, राजस्थान में बूंदी जिले और कोटा-भोपालगढ़ लैंडस्केप के मध्य स्थित भारत का 52वाँ टाइगर रिज़र्व है, जिसे 2022 में आधिकारिक दर्जा मिला।
- यह राजस्थान के तीन प्रमुख टाइगर लैंडस्केप—रणथंभौर, मुकुंदरा हिल्स, और रामगढ़ विषधारी के बीच एक महत्वपूर्ण जैविक कॉरिडोर लिंक प्रदान करता है, जो बाघों की सुरक्षित आवाजाही और जीन प्रवाह के लिए आवश्यक है।
- ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र शुष्क पर्णपाती वनों, पहाड़ी ढलानों, नदी घाटियों और समृद्ध शाकाहारी आबादी वाला क्षेत्र रहा है। इसे अब वैज्ञानिक प्रबंधन, आवास सुधार, शिकार आधार विस्तार और सुरक्षित कोर-बफर संरचना के माध्यम से एक नए उभरते टाइगर लैंडस्केप के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- वर्तमान ट्रांसलोकेशन कार्यक्रम के तहत पेंच सहित अन्य टाइगर रिज़र्वों से बाघिनों को यहाँ लाकर एक स्थायी प्रजनन आबादी स्थापित करने का लक्ष्य है, जिससे राजस्थान में बाघ संरक्षण को एक नई दिशा और स्थिरता मिल सके।
इसका महत्व:
- अनुवांशिक विविधता:अलग-अलग राज्यों के बाघ आपस में न मिलने के कारण इनब्रीडिंग का खतरा बढ़ता है। ट्रांसलोकेशन जीन फ्लो को पुनर्जीवित करता है और बाघों को अधिक स्वस्थ, सक्षम और प्रजननशील बनाता है।
- नए टाइगर लैंडस्केप: भारत के 53 टाइगर रिज़र्वों में कई नए घोषित क्षेत्रों जैसे रामगढ़ विषधारी (Rajasthan) या अमरकंटक (MP) को आबादी बढ़ाने के लिए स्रोत जनसंख्या की आवश्यकता होती है।
- मेटा-पॉपुलेशन स्थिरता: बाघों को आपस में जुड़े परिदृश्यों (corridor landscapes) में स्थायी रूप से वितरित करने से मानव–बाघ संघर्ष कम होता है और संपूर्ण लैंडस्केप की स्थिरता बढ़ती है। इससे उच्च घनत्व क्षेत्रों में दबाव कम होता है।
- पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था: नए क्षेत्रों में बाघों की उपस्थिति ईको-टूरिज्म और स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देती है, जिससे संरक्षण में स्थानीय स्वीकृति बढ़ती है।

