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महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन का अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day for the Elimination of Violence against Women) | UPSC

International Day for the Elimination of Violence against Women

International Day for the Elimination of Violence against Women

संदर्भ:

विश्व स्तर पर महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 25 नवम्बर को प्रतिवर्ष International Day for the Elimination of Violence against Women के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समाज का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना है कि हिंसा चाहे वह घरेलू हो, यौन, आर्थिक, साइबर अथवा संरचनात्मक हो, यह स्त्रियों की समानता, सुरक्षा और गरिमा के लिए बड़ी चुनौती है।

2025 का वैश्विक विषय “UNiTE to End Digital Violence Against All Women and Girls” है, जो डिजिटल स्पेस में बढ़ते उत्पीड़न, ऑनलाइन दुरुपयोग, डीपफेक, ट्रोलिंग और साइबर-स्टॉकिंग जैसी नई चुनौतियों पर केंद्रित है।

इस दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

इस दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 1960 में डोमिनिकन गणराज्य की राजनीतिक कार्यकर्ता मिराबल बहनों की हत्या से जुड़ी है, जिन्हें तानाशाह राफेल त्रूजिलो की क्रूरता के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। लातिन अमेरिकी नारीवादी आंदोलनों ने इस घटना को महिलाओं पर होने वाली हिंसा के व्यापक मुद्दे से जोड़ा। इसके बाद विश्व स्तर पर इस घटना की आलोचना होने लगी और 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने इसकी महत्ता को समझते हुए इसे औपचारिक अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस दिन के साथ ही 16 Days of Activism अभियान की भी शुरुआत होती है, जो 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर (मानवाधिकार दिवस) तक चलता है।

भारत में महिला सुरक्षा का समकालीन परिदृश्य:

भारत में पिछले दो दशकों में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के स्वरूप और माध्यमों में विविधता आई है—भौतिक हिंसा के साथ-साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उत्पीड़न, बदनामी, ब्लैकमेलिंगऑनलाइन प्रताड़ना के मामले तेज़ी से बढ़े हैं। भारत सरकार ने कानूनी, संस्थागत, पुलिस-प्रशासनिक और डिजिटल माध्यमों का उपयोग कर एक बहु-आयामी ढांचा विकसित किया है, जो महिलाओं की हिंसा संबंधी उन्मूलन में सहायक है। 

कानूनी एवं नीतिगत ढांचा:

    •  राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women – NCW): 1992 में स्थापित NCW महिलाओं के लिए संवैधानिक और विधिक प्रावधानों की निगरानी करता है और हिंसा संबंधी शिकायतों पर कार्रवाई हेतु एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है।

  • भारतीय दंड विधान में सुधार – भारतीया न्याय संहिता, 2023: 1 जुलाई 2024 से प्रभावी नई संहिता ने यौन अपराधों को लेकर कठोर दंड, त्वरित जांच, वीडियो-रिकॉर्डिंग आधारित बयान और नाबालिगों के विरुद्ध अपराधों पर आजीवन कारावास जैसे प्रावधान किए हैं।

  • घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम, 2005: यह अधिनियम घरेलू संबंधों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और शारीरिक, मानसिक, यौन, आर्थिक व मौखिक उत्पीड़न को दंडनीय बनाता है।

  • कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (POSH) अधिनियम, 2013: इस अधिनियम द्वारा हर संस्थान में Internal Committee (IC) की स्थापना अनिवार्य है। She-Box Portal कार्यस्थल उत्पीड़न मामलों की डिजिटल ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है।

संस्थागत समर्थन संरचना:

  • Mission Shakti: महिला सुरक्षा (Sambal) और सशक्तिकरण (Samarthya) को एकीकृत करता यह समग्र कार्यक्रम one-stop support system का निर्माण करता है और महिलाओं को जीवनचक्र के हर चरण में सहायता उपलब्ध कराता है।

  • One Stop Centres (OSCs): 2015 से स्थापित OSCs पुलिस सहायता, चिकित्सा सहायता, कानूनी सलाह, मनो-सामाजिक परामर्श और अस्थायी आश्रय की सुविधा एक ही स्थान पर प्रदान करते हैं।

    • Swadhar Greh: अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में फँसी महिलाओं के लिए आश्रय, परामर्श, पुनर्वास और आर्थिक सहायता की व्यवस्था करता है।

  • Women Helpline – 181 और Emergency Response Support System – 112: ये राष्ट्रीय हेल्पलाइन 24×7 सहायता प्रदान करती हैं और पुलिस व स्वास्थ्य सेवाओं से तत्काल संपर्क स्थापित करती हैं।

  • Fast Track Special Courts: 773 FTSCs (POCSO सहित) यौन अपराधों के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित कर रहे हैं।

डिजिटल हिंसा और तकनीक-आधारित समाधान:

2025 के वैश्विक विषय के अनुरूप भारत ने डिजिटल हिंसा से निपटने हेतु कई तकनीकी उपाय लागू किए हैं—

  • Digital Shakti Campaign: NCW द्वारा महिलाओं और लड़कियों को साइबर-सुरक्षा, डिजिटल शिष्टाचार और ऑनलाइन सुरक्षा कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है।

  • National Database on Sexual Offenders (NDSO): दोषसिद्ध यौन अपराधियों का केंद्रीकृत डेटाबेस, जिससे पुलिस त्वरित पहचान कर सके।

  • Investigation Tracking System for Sexual Offences (ITSSO): यौन अपराध मामलों में जांच की रियलटाइम निगरानी हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म।

  • Cri-MAC: राज्यों के बीच गंभीर अपराधों की सूचना त्वरित साझा करने की व्यवस्था।

इसका व्यापक प्रभाव:

इस दिवस का मूल उद्देश्य चेतना निर्माण के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना है कि समाज, सरकार और निजी क्षेत्र महिलाओं की सुरक्षा के लिए संयुक्त जिम्मेदारी स्वीकारें। यह दिवस—

  • महिलाओं के मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता को रेखांकित करता है।
  • लिंग आधारित हिंसा को निजी मुद्दे से सार्वजनिक-नीतिगत मुद्दा बनाता है।
  • कानून, संस्थान और समाज में संवेदनशीलता बढ़ाता है।
  • डिजिटल युग में नई तरह की हिंसा के प्रति सामूहिक प्रतिक्रिया को सक्रिय बनाता है।

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