Ion Chromatography
संदर्भ:
ऑस्ट्रेलिया की तस्मानिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक पोर्टेबल आयन क्रोमैटोग्राफ ‘Aquamonitrix’ विकसित किया है, जो पारंपरिक महंगे लैब उपकरणों जितने सटीक परिणाम प्रदान करने में सक्षम है।
आयन क्रोमैटोग्राफी (Ion Chromatography)
आयन क्रोमैटोग्राफी (IC) एक विश्लेषणात्मक तकनीक है जिसका उपयोग किसी सैंपल में मौजूद आवेशित कणों (ions) को अलग करने और उनकी मात्रा ज्ञात करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक कॉलम के अंदर मौजूद charged stationary phase और सैंपल के आयनों के बीच होने वाली परस्पर क्रिया पर आधारित है।
कार्य करने का सिद्धांत:
- कॉलम (Column): रेज़िन (resin) से भरा हुआ कॉलम होता है, जिसमें स्थिर आवेश (stationary charge) होता है।
- इल्यूएंट: एक तरल वाहक (liquid carrier solution) कॉलम में लगातार प्रवाहित किया जाता है।
- सैंपल इंजेक्शन: सैंपल को इल्यूएंट की धारा में डाला जाता है।
- विभाजन (Separation):
- सैंपल के आयन रेज़िन से उनकी चार्ज और आकर्षण (affinity) के आधार पर प्रतिक्रिया करते हैं।
- विपरीत आवेश वाले आयन रेज़िन से आकर्षित होते हैं और समान आवेश वाले आयन प्रतिकर्षित होते हैं।
- इस कारण अलग-अलग आयन कॉलम से अलग-अलग गति से गुजरते हैं, जिससे उनका विभाजन हो जाता है।
- डिटेक्शन (Detection):
- एक डिटेक्टर (आमतौर पर conductivity meter) आयनों के गुजरने पर इल्यूएंट की चालकता (conductivity) में बदलाव को मापता है।
- क्रोमैटोग्राम (Chromatogram):
- डिटेक्टर से प्राप्त डेटा एक chromatogram पर दिखाया जाता है।
- इसमें विभिन्न आयनों के लिए अलग-अलग पीक दिखाई देती हैं, जो उनकी उपस्थिति और सांद्रता को दर्शाती हैं।