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इसरो ने छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए HAL के साथ समझौता किया (ISRO inks pact with HAL for transfer of small satellite launch vehicle technology) | UPSC Preparation

ISRO inks pact with HAL for transfer of small satellite launch vehicle technology

ISRO inks pact with HAL for transfer of small satellite launch vehicle technology

संदर्भ:

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), इसरो, इन-स्पेस (IN-SPACe) और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल तकनीक हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

समझौते की मुख्य बातें:

  • अवधि: समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख से 24 माह के भीतर संपूर्ण तकनीक हस्तांतरण प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य।
  • दायरा: इसरो, एचएएल को एसएसएलवी उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए प्रशिक्षण और सहयोग देगा, जिसमें शामिल हैं –
    • वाणिज्यिक प्रक्रियाएँ
    • प्रौद्योगिकी एकीकरण
    • उड़ान-तैयारी से जुड़े पहलू (Preparedness-to-flight aspects)
  • परिणाम: इस अवधि में इसरो के मार्गदर्शन में दो एसएसएलवी मिशनों का प्रक्षेपण किया जाएगा।
  • लक्ष्य: एचएएल का क्रमिक रूप से स्वतंत्र स्तर पर एसएसएलवी उत्पादन करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी को सशक्त बनाना।

समझौते का महत्व: यह समझौता अंतरिक्ष क्षेत्र को प्रोत्साहन देने वाले IN-SPACe द्वारा सक्षम किया गया 100वां प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता है।

स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) के बारे में

  • संरचना: एसएसएलवी एक 3-स्टेज लॉन्च व्हीकल है, जिसमें तीन सॉलिड प्रोपल्शन स्टेज और अंतिम चरण के रूप में लिक्विड प्रोपल्शन आधारित वेलॉसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) शामिल है।
  • आकार वजन: एसएसएलवी का व्यास 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है, जबकि इसका लिफ्ट-ऑफ वज़न लगभग 120 टन है।
  • क्षमता: यह यान 500 किलोग्राम तक के उपग्रह को 500 किलोमीटर प्लानर ऑर्बिट में स्थापित करने में सक्षम है। इसका प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC/SHAR) से किया जा सकता है।
  • मुख्य विशेषताएँ:
    • कम लागत (Low Cost)
    • तेज़ और कम समय में लॉन्च (Low Turn-around Time)
    • एक से अधिक उपग्रहों को साथ ले जाने की क्षमता
    • आवश्यकता अनुसार लॉन्च करने की सुविधा (Launch-on-Demand)
    • न्यूनतम प्रक्षेपण अवसंरचना की आवश्यकता

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर क्या है?

टेक्नोलॉजी ट्रांसफर वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत इसरो अपनी विकसित की गई तकनीक, बौद्धिक संपदा और विशेषज्ञता भारतीय सार्वजनिक एवं निजी उद्योगों के साथ साझा करता है। इसका उद्देश्य औद्योगिक विकास, तकनीकी आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय प्रगति को बढ़ावा देना है।

प्रक्रिया क्या है?

  • Department of Space (DOS): मूल निकाय, जो पूरी प्रक्रिया को अधिकृत करता है।
  • NewSpace India Limited (NSIL): इसरो की वाणिज्यिक इकाई, जो तकनीक के व्यावसायिक उपयोग और समझौतों की ज़िम्मेदारी संभालती है।
  • IN-SPACe: एकल-खिड़की एजेंसी, जो निजी उद्योगों की भागीदारी को प्रोत्साहित, नियंत्रित करती है तथा तकनीक हस्तांतरण के अनुरोधों को सुविधा देती है।

उद्देश्य:

  • स्वदेशीकरण: आयातित तकनीक पर निर्भरता घटाकर घरेलू विनिर्माण क्षमता का निर्माण।
  • औद्योगिक विकास: भारत के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना।
  • राष्ट्रीय विकास: देश की आर्थिक और तकनीकी प्रगति में योगदान।

व्यावसायीकरण: नई तकनीक आधारित उत्पाद, सेवाएँ और समाधान विकसित करना ताकि आम जनता को लाभ पहुँचे।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के  बारे मे:

भारत का सबसे बड़ा एयरोस्पेस और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSU), जो विमानन और एयरोस्पेस प्रणालियों के क्षेत्र में अग्रणी है।

  • मुख्यालय: बेंगलुरु, कर्नाटक
  • स्थापना: 23 दिसंबर 1940
  • नियंत्रण: रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार

उद्देश्य: लड़ाकू और परिवहन विमान, हेलीकॉप्टर, इंजन और एवियोनिक्स, अंतरिक्ष प्रणालियाँ व संरचनाएँ का डिज़ाइन, विकास, निर्माण और रखरखाव।

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