Jane Street and SEBI dispute
संदर्भ:
अमेरिका स्थित हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म Jane Street ने भारतीय बाजार नियामक सेबी के खिलाफ मामला दायर किया है। सेबी ने Jane Street पर भारतीय शेयर बाजार में मार्केट मैनिपुलेशन (Market Manipulation) करने का आरोप लगाया था।
Jane Street ने SEBI पर लगाया आरोप:
अमेरिका स्थित ट्रेडिंग फर्म Jane Street ने SEBI के खिलाफ SAT में अपील दायर की है।
- कंपनी का आरोप है किसेबी उन्हें वह डेटा और दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करा रहा, जो मार्केट मैनिपुलेशन के आरोपों का जवाब देने के लिए जरूरी हैं।
- सूत्रों के मुताबिक, Jane Street ने अपनी अपील मेंSAT से अनुरोध किया है कि सेबी को निर्देश दिया जाए कि वह कंपनी को सभी आवश्यक दस्तावेज और डेटा उपलब्ध कराए, ताकि वे अपने बचाव में सही तरीके से जवाब दे सकें।
Jane Street और SEBI विवाद: पूरा मामला–
- सेबी का आरोप:
- 3 जुलाई 2025 को SEBI ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street पर भारतीय शेयर बाजार में बैंक निफ्टी और निफ्टी 50 इंडेक्स में हेरफेर (Manipulation) करने का आरोप लगाया।
- SEBI के अनुसार, फर्म ने डेरिवेटिव्स मार्केट में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग की, जिससे इंडेक्स की कीमतें प्रभावित हुईं।
- इस हेरफेर से कंपनी ने भारी मुनाफा कमाया, जबकि छोटे निवेशकों को नुकसान हुआ।
- सेबी की कार्रवाई:
- SEBI ने Jane Street को भारतीय बाजार से अस्थायी रूप से प्रतिबंधित (Temporary Ban) कर दिया।
- कंपनी के 48.4 अरब रुपये (लगभग 567 मिलियन डॉलर) जब्त किए गए, जिन्हें SEBI ने “अवैध लाभ” बताया।
- Jane Street का मुनाफा और नुकसान:
- SEBI का आरोप है कि फर्म ने ऑप्शंस ट्रेडिंग से 44,358 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
सिक्योरिटीज अपील ट्रिब्यूनल (SAT) क्या है?
- स्थापना: यह एक अर्ध-न्यायिक संस्था (quasi-judicial body) है, जिसेSecurities and Exchange Board of India Act, 1992 के तहत बनाया गया।
- मुख्य उद्देश्य: SEBI या अधिनियम के तहत किसी नियुक्त अधिकारी द्वारा दिए गए आदेशों के खिलाफ अपील सुनना और उनका निपटारा करना।
- क्षेत्राधिकार: पूरे भारत में लागू, मुख्यालय मुंबई में है।
- किसके आदेशों पर अपील?
- SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया)
- IRDAI (भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण)
- PFRDA (पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण)
SAT के प्रमुख अधिकार:
- अपील और न्यायिक समीक्षा
- SEBI, IRDAI और PFRDA के आदेशों पर अपील सुन सकता है।
- आदेशों कोस्वीकृत, संशोधित या रद्द कर सकता है।
- सुनिश्चित करता है कि नियामक संस्थाओं की कार्रवाईकानूनन और निष्पक्ष हो।
- सिविल कोर्ट जैसे अधिकार
- गवाहों को तलब करने और शपथ पर पूछताछ करने का अधिकार।
- दस्तावेज़ों की खोज, प्रस्तुति और शपथपत्र पर साक्ष्य स्वीकार करने का अधिकार।
- गवाहों/दस्तावेज़ों की जाँच के लिए आयोग जारी कर सकता है।
- अपने ही निर्णय की समीक्षा कर सकता है और डिफ़ॉल्ट याex parte (एकपक्षीय) आदेश पारित कर सकता है।
- अंतरिम राहत: आपातकालीन मामलों में अस्थायी आदेश जारी कर सकता है, सुनवाई के दौरान नुकसान से बचाने के लिएजुर्माना या नियामक कार्रवाई को स्थगितकर सकता है।