Kashiwazaki-Kariwa Nuclear Power Plant

संदर्भ:
हाल ही में जापान ने अपने काशिवाज़ाकी-कारीवा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kashiwazaki-Kariwa nuclear plant) को लगभग दो दशकों के बाद फिर से शुरू करने की मंज़ूरी दे दी है। यह निर्णय 2011 की फुकुशिमा आपदा के बाद जापान की ऊर्जा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
काशिवाज़ाकी-कारीवा परमाणु ऊर्जा संयंत्र का परिचय:
- अवस्थिति: काशिवाज़ाकी-करीवा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) जापान के निगाटा प्रान्त (Niigata Prefecture) में स्थित है।
- क्षमता: यह दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा केंद्र है, जिसकी कुल स्थापित क्षमता 8,212 मेगावाट (MW) है।
- संचालन: यह टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (TEPCO) द्वारा संचालित किया जाता है।
- विशेषता: इसमें कुल 7 रिएक्टर हैं। इनमें से पांच ‘उबलते पानी के रिएक्टर’ (BWR) हैं और दो ‘उन्नत उबलते पानी के रिएक्टर’ (ABWR) हैं।
पृष्ठभूमि:
- 2011 की फुकुशिमा दाइची दुर्घटना के बाद, जापान ने अपनी परमाणु नीति की समीक्षा की और काशिवाज़ाकी-करीवा सहित सभी संयंत्रों को सख्त सुरक्षा मानकों के तहत बंद कर दिया गया।
- दिसंबर 2023 में, जापान के परमाणु नियामक ने संयंत्र के परिचालन प्रतिबंध को हटा दिया। 2024 और 2025 में, जापान सरकार और TEPCO रिएक्टरों को फिर से शुरू करने (Restart) की प्रक्रिया में जुटे हैं।
महत्व:
- ऊर्जा सुरक्षा: जापान अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए आयातित जीवाश्म ईंधन (LNG और कोयला) पर बहुत अधिक निर्भर है, जो उसकी कुल बिजली का 60-70% है। वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में अस्थिरता और कीमतों में उतार-चढ़ाव ने घरेलू और स्थिर ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।
- आर्थिक अनिवार्यता: जीवाश्म ईंधन के आयात पर सालाना लगभग 10.7 ट्रिलियन येन (लगभग $68 बिलियन) खर्च होता है। परमाणु ऊर्जा की बहाली से TEPCO की परिचालन लागत में कमी आएगी और व्यापारिक स्थिति में सुधार होगा, क्योंकि प्रत्येक रिएक्टर की पुनः शुरुआत से लगभग 100 बिलियन येन की वार्षिक बचत का अनुमान है।
- डीकार्बोनाइज़ेशन लक्ष्य: परमाणु ऊर्जा को एक निम्न-कार्बन स्रोत माना जाता है। जापान का लक्ष्य 2040 तक अपने ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी को लगभग 20% तक बढ़ाना है, ताकि वह अपने जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताओं (नेट-ज़ीरो एमिशन) को पूरा कर सके।
- बढ़ती बिजली की मांग: एआई डेटा सेंटर और सेमीकंडक्टर संयंत्रों जैसी ऊर्जा-गहन उद्योगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्थिर बिजली आपूर्ति महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा चिंताएँ:
- उच्च भूकंपीय जोखिम: यह संयंत्र एक सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है। 2007 के ‘चुएत्सु अपतटीय भूकंप’ (Chuetsu Offshore Earthquake) ने संयंत्र को गंभीर नुकसान पहुँचाया था, जिससे भविष्य में बड़े भूकंपों के दौरान इसकी स्थिरता और विकिरण रिसाव (radiation leak) को लेकर वैज्ञानिकों में गहरी चिंता बनी रहती है।
- सुरक्षा उल्लंघन और प्रबंधन की कमी: संयंत्र के संचालक TEPCO को सुरक्षा प्रबंधन में गंभीर खामियों के लिए ‘रेड’ रेटिंग दी गई थी। 2021 में घुसपैठ पहचान प्रणालियों की विफलता और आईडी कार्ड के धोखाधड़ीपूर्ण उपयोग जैसे सुरक्षा उल्लंघनों के कारण इस पर परिचालन प्रतिबंध लगा दिया गया था।
- निकासी योजना की चुनौतियाँ: स्थानीय लोगों को डर है कि किसी आपदा की स्थिति में निकासी योजनाएँ (evacuation plans) पर्याप्त नहीं हैं। विशेष रूप से सर्दियों में भारी बर्फबारी के दौरान, आपदा के समय सड़कों का जाम होना विकिरण के संपर्क में आने के जोखिम को अत्यधिक बढ़ा सकता है।
