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जम्मू-कश्मीर में लिथियम ब्लॉक की नीलामी दूसरी बार रद्द

lithium

चर्चा में क्यों ?

निवेशकों (investors) की लगातार कमजोर प्रतिक्रिया के बाद खान मंत्रालय (Ministry of Mines) को दूसरी बार जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के रियासी जिले (Reasi district) में लिथियम ब्लॉक (lithium block) की नीलामी रद्द कर दिया है

बोलीकर्ताओं (bidders) की संख्या निर्धारित से कम होने की वजह से सरकार ने नीलामी रद्द की है। सरकार यह नीलामी अच्छे विकल्प और महत्वपूर्ण खनिजों (good alternatives and important minerals) के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए करने जा रही है।

UNFC के वर्गीकरण के आधार पर कश्मीर में लिथियम भंडार को जी3 (G3) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, जो दूसरा प्रारंभिक अन्वेषण चरण (exploration stage) है।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को 2023 में जम्मू और कश्मीर में मिला था लिथियम का भंडार (Geological Survey of India found lithium reserves in Jammu and Kashmir in 2023):

फरवरी 2023 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) को जम्मू और कश्मीर में अपना पहला लिथियम भंडार मिला, जिसका अनुमानित भंडार (reserves) 5.9 मिलियन मीट्रिक टन है।

नवंबर में इसकी पहली नीलामी घोषित की गई थी  लेकिन पहली नीलामी आवश्यक न्यूनतम तीन बोलियां प्राप्त करने में असफल रहने के बाद , इस ब्लॉक को मार्च 2024 में पुनः नीलामी के लिए रखा गया तथा बोलियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि 14 मई थी। लेकिन दूसरी बार भी निवेशकों (investors) ने अपनी तीव्र प्रतिक्रिया नहीं दिखाई।आगे की इस ब्लॉक की खोज के लिए किसी सरकारी एजेंसी (government agency) को खनन का काम दिए जाने की संभावना है।

लिथियम (Lithium):

लिथियम (Li) एक हल्का, चांदी-सफेद धातु (silvery-white metal) है जो अल्कली धातु समूह (alkali metal group) का सदस्य है। यह प्रकृति में पाया जाता है और विभिन्न प्रकार के खनिजों और नमक (minerals and salts) के रूप में मौजूद होता है।

उपयोग (Uses):

  • मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और ऊर्जा भंडारण (energy storage) प्रणालियों में व्यापक रूप से उपयोग होती हैं।
  • इसका उपयोग थर्मोन्यूक्लियर (thermonuclear) प्रतिक्रियाओं में भी किया जाता है।
  • इसका उपयोग एल्युमिनियम (aluminium) और मैग्नीशियम (magnesium) के साथ मिश्र धातु बनाने के लिए किया जाता है, जिससे उनकी ताकत बढ़ती है और वे हल्के बनते हैं।
  • मैग्नीशियम-लिथियम मिश्र धातु – कवच चढ़ाना के लिए।
  • एल्युमिनियम-लिथियम मिश्र धातु – विमान, साइकिल फ्रेम और हाई-स्पीड ट्रेनों में।

प्रमुख वैश्विक लिथियम उत्पादक देश (Major global lithium producers Country):

  • ऑस्ट्रेलिया (Australia)- 61,000 टन
  • चिली (Chile)- 39,000 टन
  • चीन (China)- 19,000 टन
  • अर्जेंटीना (Argentina)- 6,200 टन

प्रमुख वैश्विक लिथियम भंडारण देश (Major global lithium reserves):

  • चिली (Chile)- 9,300,000 मीट्रिक टन
  • ऑस्ट्रेलिया (Australia)- 4,800,000 मीट्रिक टन
  • अर्जेंटीना (Argentina)- 3,600,000 मीट्रिक टन
  • चीन (China)- 3,000,000 मीट्रिक टन

भारत में लिथियम भंडार (Lithium reserves in India):

दक्षिणी कर्नाटक के मांड्या जिले (district of southern Karnataka) मे 14,100 टन का अनुमानित लिथियम भंडार प्राप्त हुए है, इसके अलावा राजस्थान, बिहार, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ मे भी के लिथियम भंडार है 

भारत में लिथियम मांग की पूर्ति (Lithium Demand in India)-

भारत लिथियम-आयन के आयात पर बहुत ज़्यादा निर्भर है, जो 2014-15 में 94 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2023-24 में लगभग 3 बिलियन डॉलर हो गया है। भारत अपनी ज़रूरत का लगभग 70-80 प्रतिशत लिथियम मे 70 प्रतिशत लिथियम-आयन चीन (China)से तथा बाकी का अन्य देश ऑस्ट्रेलिया (Australia) और अर्जेंटीना (Argentina) से आयात करता है।

भारत के लिए लिथियम की खोज का महत्व (Importance of discovery of Lithium for India)?

लिथियम-आयन बैटरी की बढ़ती मांग को पूरा करना:- भारत में लिथियम की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है इसका कारण लोगों के पास फ़ोन, इलेक्ट्रिक कार जैसी चीज़ों का इस्तेमाल ज्यादा हो गया है । भविष्य मे भारत में लिथियम की माँग 2050 तक 60,000 से 93,000 टन के बीच हो जायेगी ।

भारत ने 2070 तक अपने उत्सर्जन (emissions) को शून्य (zero) तक कम करने का संकल्प लिया है, जिसके लिए इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में लिथियम की उपलब्धता आवश्यक है।

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने इलेक्ट्रिक वाहनों और रिचार्जेबल बैटरियों (rechargeable batteries) की बढ़ती मांग के कारण वैश्विक लिथियम (global lithium) की कमी की चेतावनी दी है, इसलिए भी भारत के लिए लिथियम की आवश्यकता जरूरी हो जाती है

United Nations Resource Classification Framework (UNFC)

संयुक्त राष्ट्र संसाधन वर्गीकरण रूपरेखा (UNFC) एक अंतरराष्ट्रीय मानक है जिसका उपयोग खनिज, पेट्रोलियम और अन्य ऊर्जा संसाधनों के मूल्यांकन और वर्गीकरण के लिए किया जाता है। यह रूपरेखा विभिन्न संसाधनों की मात्रा, गुणवत्ता, और संभाव्यता (quality, and potential) का आकलन करने के लिए एक संगठित दृष्टिकोण प्रदान करती है।

वर्गीकरण को चार चरणों में विभाजित किया गया है (The classification is divided into four stages):

G4: अन्वेषण (Reconnaissance): सबसे प्रारंभिक चरण जहां केवल संभावित क्षेत्रों की पहचान की जाती है।

G3: प्रारंभिक अन्वेषण (Preliminary Exploration): इस चरण में संभावित क्षेत्रों का प्रारंभिक अध्ययन और परीक्षण किया जाता है।

G2: विस्तृत अन्वेषण (Detailed Exploration): विस्तृत अध्ययन और परीक्षण के माध्यम से संसाधनों की मात्रा और गुणवत्ता का अधिक सटीक आकलन किया जाता है।

G1: विस्तृत विकास (Detailed Development): इस चरण में संसाधनों की व्यावसायिक निकासी और विकास के लिए पूर्ण योजना और डिजाइन तैयार किया जाता है।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India):

यह केंद्रीय खान मंत्रालय (Union Ministry of Mines) के अधीन आता है।

स्थापना (Establishment): 1851

मुख्यालय (Headquarters): कोलकाता (Kolkata), भारत (India)

उद्देश्य (Objectives):

  • खनिज संसाधनों की खोज और मूल्यांकन / Exploration and evaluation of mineral resources
  • भूवैज्ञानिक मानचित्रण और भूवैज्ञानिक शोध / Geological mapping and geological research

भूकंप, सुनामी और अन्य भूवैज्ञानिक आपदाओं की निगरानी / Monitoring of earthquakes, tsunamis and other geological disasters

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