Maharashtra prepares to reform the turban system
संदर्भ:
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा me एक नया कानून लाकर सौ वर्ष से अधिक पुरानी पगड़ी प्रणाली को समाप्त करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया है। यह सुधार विशेष रूप से मुंबई जैसे महानगरों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
महाराष्ट्र की पगड़ी प्रणाली क्या है?
महाराष्ट्र में पगड़ी प्रणाली स्वतंत्रता-पूर्व की एक पारंपरिक किरायेदारी प्रणाली है, जिसमें किरायेदार को संपत्ति (भूमि नहीं) का सह-मालिक होने का विशेष दर्जा प्राप्त होता है, वह नाममात्र का, निश्चित किरायाअदा करता है और उसे स्थायी, वंशानुगत अधिभोग अधिकार प्राप्त होते हैं।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: यह प्रणाली ब्रिटिश काल के दौरान किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए अनौपचारिक, अक्सर मौखिक, समझौतों और एकमुश्त नकद भुगतानों के माध्यम से अत्यधिक करों से बचने के एक तंत्र के रूप में उभरी।
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कानूनी स्थिति: स्वतंत्रता के बाद यह प्रणाली महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम 1999 की धारा 56 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। इसमें किरायेदार को संरचना पर सह-अधिकार, लेकिन भूमि पर स्वामित्व नहीं मिलता है
- किराया संरचना: इन संपत्तियों का किराया अक्सर बेहद कम होता है (मुंबई के प्रमुख स्थानों में कभी-कभी कुछ सौ रुपये जितना कम) और बाजार में होने वाली बढ़ोतरी से सुरक्षित रहता है, जो दशकों तक अपरिवर्तित रहता है।
- लाभ साझाकरण: जब कोई किरायेदार अपने अधिकार बेचता है, तो बिक्री से प्राप्त राशि का एक पूर्व-सहमत हिस्सा (आमतौर पर 30-50%) मकान मालिक को दिया जाता है।
पगड़ी प्रणाली से उत्पन्न समस्याएँ:
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जर्जर भवन संकट: मुंबई में अनुमानतः 19,000 से अधिक पगड़ी इमारतें 60–80 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। कम किराये के कारण रखरखाव संभव नहीं, जिससे जनसुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ।
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पुनर्विकास में गतिरोध: स्वामित्व अस्पष्टता, किरायेदारों की सहमति और मुआवज़े को लेकर विवादों के कारण हजारों पुनर्विकास परियोजनाएँ अटकी रहीं।
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आर्थिक और प्रशासनिक विकृतियाँ: यह प्रणाली लंबे समय तक अनौपचारिक लेन-देन, कर जटिलताओं और न्यायालयों में लंबित मामलों का कारण बनी।
नए कानून की प्रमुख विशेषताएँ:
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स्वामित्व अधिकारों की स्पष्टता: नए कानून के तहत पुनर्विकास के बाद किरायेदारों को स्वामित्व फ्लैट या कानूनी रूप से सुनिश्चित आवास अधिकार दिए जाएंगे, जिससे उनकी स्थिति स्थायी होगी।
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पुनर्विकास को प्रोत्साहन: सरकार ने अतिरिक्त निर्माण क्षेत्र सूचकांक और स्पष्ट प्रक्रिया प्रदान कर डेवलपर, मकान मालिक और किरायेदार—तीनों के हितों में संतुलन बनाया है।
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नियामक पारदर्शिता: पुनर्विकसित पगड़ी संपत्तियों को रियल एस्टेट नियमन ढांचे के अंतर्गत लाया गया है, जिससे खरीदार और निवासियों के अधिकार सुरक्षित हों।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव:
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किरायेदारों का सशक्तीकरण: यह कानून दशकों से अनिश्चित स्थिति में रह रहे किरायेदारों को कानूनी सुरक्षा, बेहतर आवास और संपत्ति अधिकार प्रदान करता है।
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मकान मालिकों के लिए अवसर: मकान मालिकों को अपनी संपत्ति का आर्थिक उपयोग करने और मूल्य प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
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शहरी अवसंरचना में सुधार: नई इमारतों में लिफ्ट, अग्नि सुरक्षा, पार्किंग और आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी, जिससे जीवन गुणवत्ता सुधरेगी।
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सामाजिक न्याय: कानून आवास अधिकार, समावेशी विकास और न्यायसंगत शहरी नीति में सुधार कर सकता है।
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आर्थिक दृष्टि: यह सुधार निर्माण क्षेत्र, रोज़गार सृजन और अर्थव्यवस्था में अचल संपत्ति की भूमिका को सुदृढ़ करता है।

