Maitri-II Antarctic Research Station

संदर्भ:
हाल ही में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत के प्रस्तावित मैत्री-II अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन के लिए ₹29.2 करोड़ की स्वीकृति दी है। जिसे 2032 तक पूर्ण रूप से संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है।
मैत्री-II अंटार्कटिक अनुसंधान स्टेशन:
मैत्री-II (Maitri-II) अंटार्कटिका में भारत का नया, अत्याधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल अनुसंधान केंद्र है, जिसे पुराने मैत्री स्टेशन की जगह पर बनाया जा रहा है, ताकि ध्रुवीय विज्ञान, जलवायु अध्ययन और महासागर अनुसंधान में भारत की क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।
-
- स्थान और लक्ष्य: मैत्री-II नया स्टेशन अंटार्कटिका के शिरमाकर ओएसिस क्षेत्र में वर्तमान मैत्री स्टेशन (1989) के निकट विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की कुल समय-सीमा लगभग 7 वर्ष आंकी गई है और लक्ष्य है कि स्टेशन 2032 तक संचालन में आ जाए।
- संचालन: मैत्री-II भारत का चौथा अंटार्कटिक स्टेशन होगा, जिसे राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागरीय अनुसंधान केंद्र (NCPOR), गोवा संचालित करेगा।
-
परियोजना की आवश्यकता: मैत्री स्टेशन वर्ष 1989 से संचालित है और अपनी मूल डिजाइन आयु से अधिक समय तक उपयोग में रहा है। वर्तमान स्टेशन में अपशिष्ट प्रबंधन और संरचनात्मक सीमाओं जैसी समस्याएँ हैं।
नए मैत्री-II स्टेशन की प्रमुख विशेषताएँ:
- मैत्री-II को एक वर्षभर संचालित होने वाला अत्याधुनिक अनुसंधान केंद्र बनाया जा रहा है।
- इसमें जैवविज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, हिमनद विज्ञान, वायुमंडलीय अध्ययन और पर्यावरण निगरानी के लिए विशेष प्रयोगशालाएँ होंगी।
- हिम-कोर संग्रहण और विश्लेषण की सुविधा से जलवायु परिवर्तन पर उच्च गुणवत्ता का डेटा प्राप्त होगा। स्टेशन में लगभग 90 कर्मियों के ठहराव की क्षमता होगी।
- मैत्री-II को हरित और सतत स्टेशन के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा, जो अंटार्कटिक संधि के पर्यावरणीय प्रोटोकॉल के अनुरूप है।
- इसके निर्माण में पूर्व-निर्मित संरचनाओं का प्रयोग किया जाएगा ताकि पर्यावरणीय प्रभाव न्यूनतम रहे।
पर्यावरण और कानूनी ढांचा:
- नया स्टेशन भारत की बहुविषयक वैज्ञानिक उपस्थिति को सुदृढ़ करेगा और अंटार्कटिक संधि प्रणाली (1959) के अंतर्गत भारत की जिम्मेदार भूमिका को मज़बूती देगा।
- सभी गतिविधियाँ भारतीय अंटार्कटिक अधिनियम 2022 के तहत संचालित होंगी, जो खनन और परमाणु गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है।
भू-राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व:
- अंटार्कटिका में पृथ्वी के लगभग 75 प्रतिशत मीठे जल का भंडार है। इसके हिम-पत्रों का अध्ययन समुद्र-स्तर वृद्धि और वैश्विक जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- मैत्री-II भारत की पूर्वी अंटार्कटिका में रणनीतिक उपस्थिति को मज़बूत करेगा, जहाँ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। यह स्टेशन भारत को वैश्विक जलवायु वार्ताओं और ध्रुवीय शासन में वैज्ञानिक आधार पर सशक्त आवाज़ प्रदान करेगा।
भारतीय अंटार्कटिक अभियानों का ऐतिहासिक संदर्भ:
- दक्षिण गंगोत्री (1983): भारत का पहला अंटार्कटिक स्टेशन, 1990 में हिम में दबने के बाद निष्क्रिय।
- मैत्री (1989): वर्तमान अंतर्देशीय स्टेशन।
- भारती (2012): तटीय आधुनिक स्टेशन, मैत्री से लगभग 3000 किलोमीटर पूर्व।
