Mass Surrender of Maoists

संदर्भ:
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक सामूहिक कार्यक्रम में कुल 210 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इसे राज्य में नक्सल विरोधी अभियानों के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक माओवादी आत्मसमर्पण बताया जा रहा है।
LWE प्रभावित क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति:
- सबसे प्रभावित जिले: प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 3 रह गई है — बिजापुर, सुकमा, नारायणपुर, सभी छत्तीसगढ़ में स्थित।
- कुल प्रभावित जिले: 2025 तक LWE-प्रभावित जिलों की संख्या घटकर 11 हो गई है, जो पहले 18 थी।
- हिंसा में कमी: 2010–2024 के बीच हिंसक घटनाओं में 81% की गिरावट आई है।
- राष्ट्रीय लक्ष्य: 31 मार्च 2026 तक Left Wing Extremism का पूर्ण उन्मूलन।
- तुलनात्मक दृश्य: 2013 में भारत के 126 जिले नक्सली हिंसा से प्रभावित थे।
माओवादी गतिविधियाँ या लेफ्ट–विंग एक्सट्रीमिज़्म (LWE):
- मूल विचारधारा: यह कट्टर कम्युनिस्ट विचारधारा पर आधारित है, जो राज्य को उखाड़ फेंकने और वर्गहीन समाज स्थापित करने के लिए सशस्त्र संघर्ष की वकालत करती है।
- भारत में उत्पत्ति: भारत में LWE की जड़ें 1967 के नक्सलबाड़ी विद्रोह (पश्चिम बंगाल) से जुड़ी हैं, जो माओ जेडॉन्ग की क्रांतिकारी रणनीतियों से प्रेरित थी।
- संगठनों का विकास: आंदोलन ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट–लेनिनिस्ट) और बाद में CPI (माओवादी) जैसे समूहों के गठन के माध्यम से गति प्राप्त की।
- रणनीति: ये समूह चुनावी राजनीति को अस्वीकार करते हैं और हिंसक क्रांति को अपनाते हैं।
सरकार की रणनीति: LWE से निपटने के लिए:
राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना (2015):
LWE से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाया गया है:
- सुरक्षा ढांचा और कर्मियों को सुदृढ़ बनाना।
- सड़क संपर्क और टेली-कॉम सुविधाओं को बढ़ावा देना।
- आदिवासी समुदायों के अधिकार और लाभ सुनिश्चित करना।
- विभिन्न मंत्रालयों में विकास योजनाओं का समन्वय।
सरकारी संकल्प:
- गृह मंत्रालय (MHA) ने 31 मार्च 2026 तक LWE को समाप्त करने का संकल्प दोहराया।
- माओवादी हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रेरित किए जा रहे हैं।
- हाल की जनसमूह आत्मसमर्पण की घटनाएँ आंदोलन में बढ़ती नाराजगी को दर्शाती हैं।
- पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत वित्तीय सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और आवास प्रदान किए जाते हैं ताकि पूर्व उग्रवादी समाज में पुनः शामिल हो सकें।
सुरक्षा उपाय:
- केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) और विशेष एंटी–नक्सल इकाइयों की तैनाती।
- ड्रोन और निगरानी प्रणालियों सहित तकनीक और खुफिया जानकारी का उपयोग।
- दूरदराज इलाकों में उपस्थिति बनाए रखने के लिए फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (FOBs) की स्थापना।
विकास पहल:
- आदिवासी क्षेत्रों में सड़क परियोजनाओं से पहुंच और गतिशीलता में सुधार।
- टेलीकॉम नेटवर्क, बिजली और बैंकिंग सेवाओं का विस्तार।
- शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका कार्यक्रमों पर ध्यान।
- लक्षित निवेश के माध्यम से ‘रेड जोन’ को विकास गलियारों में बदलना।
वैचारिक उपाय:
- समुदायिक जुड़ाव और जागरूकता अभियानों के माध्यम से माओवादी प्रचार का मुकाबला।
- Bharat Manthan 2025 – Naxal Mukt Bharat जैसे सेमिनार राज्यों में सर्वसम्मति और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का प्रयास।
