Melioidosis
संदर्भ:
आंध्र प्रदेश में मेलियोइडोसिस का पहला पुष्ट मामला सामने आया है। यह मामला तुरकापालेम गांव से जुड़ा है, जहां जुलाई से अब तक 23 रहस्यमय मौतें हो चुकी हैं।
मेलियोइडोसिस (Melioidosis): यह संक्रमण Burkholderia pseudomallei नामक बैक्टीरिया से होता है।
संक्रमण:
- यह बैक्टीरिया मिट्टी और पानी में पाया जाता है और कई वर्षों तक जीवित रह सकता है।
- व्यक्ति से व्यक्ति में संक्रमण बहुत ही दुर्लभ है।
- जानवर से इंसान या कीड़े से इंसान में संक्रमण अब तक दर्ज नहीं हुआ है।
संवेदनशीलता:
- सामान्य स्वस्थ व्यक्ति में यह रोग आमतौर पर घातक नहीं होता।
- मधुमेह, किडनी/लीवर की पुरानी बीमारी, शराब की लत या कैंसर वाले मरीजों में यह गंभीर हो सकता है।
- उच्च जोखिम वाले समूह: सैन्य कर्मी, साहसिक यात्री, इको-टूरिस्ट, निर्माण कार्यकर्ता, धान की खेती करने वाले किसान, मछली पालन और वानिकी (Forestry) से जुड़े लोग।
भौगोलिक प्रसार (Geographic Prevalence):
- यह बीमारी मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है।
- भारत में यह मौजूद है लेकिन अक्सर निदान (Diagnosis) और रिपोर्टिंग कम होती है।
- भारत का पहला मामला 1991 में मुंबई में दर्ज किया गया था।
मौसमी प्रभाव: लगभग 75–85% मामले बरसात के मौसम में सामने आते हैं।
लक्षण (Symptoms):
- सामान्य: फ्लू जैसे लक्षण – बुखार, सिरदर्द।
- गंभीर: निमोनिया, लगातार खाँसी, सीने में दर्द, त्वचा पर घाव (Skin sores), या शरीर के अंगों में पस से भरे फोड़े।
- यह बीमारी टीबी जैसी लग सकती है, इसलिए अक्सर गलत निदान हो जाता है।
रोकथाम और प्रबंधन (Prevention & Management):
- सुरक्षित पानी का उपयोग, सुरक्षात्मक कपड़े और स्वच्छता का पालन।
- अभी तक इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।