NASA-ISRO NISAR Satellite Sends First Earth Images
संदर्भ:
NASA और ISRO की संयुक्त सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) मिशन ने हाल ही में पृथ्वी की सतह की अपनी पहली तस्वीरें भेजी हैं। यह महत्वपूर्ण सफलता मिशन को 2025 के अंत तक पूर्ण वैज्ञानिक संचालन में प्रवेश करने से पहले एक बड़ा कदम है। प्राप्त डेटा वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन, अवसंरचना निगरानी और कृषि प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करेगा।
पहली तस्वीरें और उनका महत्व:
सबसे पहली रडार तस्वीरें मेन (Maine) के माउंट डेज़र्ट आइलैंड और नॉर्थ डकोटा (North Dakota) के उत्तर–पूर्वी हिस्से की ली गईं। इन तस्वीरों का महत्व इसलिए है क्योंकि इनमें –
- जलाशयों, जंगलों, खाली जमीन और मानव-निर्मित संरचनाओं को बहुत साफ़-साफ़ अलग-अलग पहचाना जा सकता है।
- रडार की क्षमता इतनी उन्नत है कि यह 5 मीटर तक छोटे-छोटे ऑब्जेक्ट भी पकड़ सकता है।
- इन तस्वीरों में भूमि उपयोग के पैटर्न जैसे कि वेटलैंड्स (दलदली क्षेत्र), कृषि क्षेत्र और सिंचाई की तकनीकें भी स्पष्ट दिखाई देती हैं।
निसार उपग्रह (NASA–ISRO SAR Mission):
निसार (NISAR – NASA–ISRO Synthetic Aperture Radar) नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह है। इसका प्रक्षेपण 30 जुलाई 2025 को किया गया। यह उपग्रह उन्नत एल–बैंड (L-Band) और एस–बैंड (S-Band) SAR तकनीक का उपयोग करता है, जो इसे दुनिया का पहला डुअल–फ्रिक्वेंसी रडार इमेजिंग उपग्रह बनाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह मौसम या दिन-रात की परवाह किए बिना पृथ्वी की सतह की उच्च–गुणवत्ता रडार छवियाँ प्रदान कर सकता है।
मिशन प्रोफ़ाइल:
- मिशन अवधि:न्यूनतम 3 वर्ष
- कक्षा (Orbit):
- ऊँचाई –747 किमी
- प्रकार –सूर्य–समकालिक कक्षा
- रिपीट साइकिल –12 दिन
- भार (Weight):लगभग 2800 किग्रा
- लागत (Cost):लगभग 5 अरब अमेरिकी डॉलर, अब तक के सबसे महंगे उपग्रह मिशनों में से एक
- विशेषता:दुनिया का पहला उपग्रह जो S और L बैंड दोनों फ्रिक्वेंसी पर कार्य करेगा।
रडार प्रौद्योगिकी (Radar Technology):
निसार को अब तक की सबसे उन्नत Synthetic Aperture Radar (SAR) तकनीक से बनाया गया है।
- एंटेना:विशाल 12-मीटर एंटेना लगाया गया है।
- स्वीप SAR तकनीक:
- 3D उच्च–रिज़ॉल्यूशन छवियाँउपलब्ध कराता है।
- एक बार में242 किमी चौड़ाई क्षेत्र को कवर कर सकता है।
L-Band SAR (NASA JPL द्वारा विकसित):
- तरंगदैर्घ्य (Wavelength):लगभग 24 सेमी
- विशेषता:वनस्पति और सतह सामग्री को भेदकर गहराई तक डेटा प्रदान करता है।
- उपयोग:
- ठोस पृथ्वी प्रक्रियाएँ(भूकंपीय गतिविधियाँ, भूगर्भीय परिवर्तन)
- हिम चादरों (Ice Sheets) की गतिशीलता
- बायोमास में परिवर्तनका अध्ययन
S-Band SAR (ISRO द्वारा विकसित):
- तरंगदैर्घ्य (Wavelength):लगभग 10 सेमी
- विशेषता:सतह की हल्की-सी विकृति (Surface Deformation) को पकड़ने में सक्षम।
उपयोग:
- भूकंप
- ज्वालामुखी गतिविधि
- भूस्खलनजैसी प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी
निसार के प्रमुख उपयोग (Key Applications):
- सतह निगरान:भूगर्भीय हलचल और संरचनात्मक बदलावों का पता लगाना।
- सभी मौसमों में:बादल, वर्षा या अंधकार की स्थिति में भी निरंतर डेटा।
- आपदा मानचित्रण:भूकंप, बाढ़, भूस्खलन और ज्वालामुखी जैसी आपदाओं का आकलन।
- हिमनद एवं हिमचादर अध्ययन:ग्लेशियर और हिमचादरों की निगरानी, समुद्र-स्तर अनुमान हेतु।
- कृषि एवं पारिस्थितिकी निगरानी (Agro-Ecosystem Monitoring):
- बायोमास मापन
- वनों की कटाई (Deforestation) की निगरानी
- फसलों की स्थिति और मृदा नमी (Soil Moisture) का पता लगाना