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राष्ट्रीय एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस कार्य योजना 2.0 (National Antimicrobial Resistance Action Plan 2.0) | UPSC Preparation

National Antimicrobial Resistance Action Plan 2.0

National Antimicrobial Resistance Action Plan 2.0

संदर्भ:

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2025–29 के लिए राष्ट्रीय एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस कार्य योजना (NAP-AMR 2.0) जारी की है। इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के World AMR Awareness Week (18–24 नवंबर 2025) के पहले दिन लॉन्च किया। इस नए संस्करण में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से उत्पन्न गंभीर स्वास्थ्य खतरों को One Health Approach के माध्यम से संबोधित करने पर जोर दिया गया है।

AMR क्या है?

  • परिचय: एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) वह स्थिति है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं जो सामान्यतः उन्हें नष्ट करती हैं। यह वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।

  • चिंताएं: AMR के कारण उपचार में देरी होती है। सर्जरी, कैंसर थेरेपी, प्रत्यारोपण जैसे चिकित्सा उपाय जोखिमपूर्ण हो जाते हैं। स्वास्थ्य व्यय और सामाजिक-आर्थिक बोझ भी इससे बढ़ता है। भारत जैसे देश जहाँ संक्रमणों का बोझ अधिक है, वहाँ AMR का प्रभाव अधिक गंभीर माना गया है। दवाओं का असर घटने से संक्रमण का उपचार कठिन हो जाता है। गंभीर संक्रमणों से मृत्यु दर बढ़ती है।

NAP-AMR 2.0 का उद्देश्य:

नई कार्य योजना में पहली कार्य योजना (2017–21) की कमियों की पहचान करके अधिक केंद्रित, बहु-क्षेत्रीय और मजबूत रणनीति विकसित की गई है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं—

  • AMR पर राष्ट्रीय स्वामित्व और जवाबदेही बढ़ाना।
  • मानव–पशु–पर्यावरण सेक्टरों के बीच समन्वय मज़बूत करना।
  • निजी क्षेत्र व स्वास्थ्य संस्थानों को योजना में सक्रिय रूप से शामिल करना।
  • प्रयोगशालाओं की क्षमता, संक्रमण नियंत्रण और निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करना।
  • सार्वजनिक जागरूकता और प्रशिक्षण को व्यापक बनाना।

NAP-AMR 2.0 की मुख्य विशेषताएँ:

  • One Health Approach का व्यावहारिक कार्यान्वयन: कार्य योजना मानव स्वास्थ्य, पशु पालन, कृषि, पर्यावरण और अनुसंधान क्षेत्रों के लिए अलग-अलग एक्शन प्लान और स्पष्ट समयसीमा प्रदान करती है। लगभग 20 मंत्रालयों के साथ परामर्श के बाद यह समन्वित ढांचा तैयार किया गया है।

  • निगरानी एवं प्रयोगशाला क्षमता का विस्तार: माइक्रोबियल निगरानी नेटवर्क को और विस्तृत किया जाएगा। सार्वजनिक अस्पतालों तथा अनुसंधान संस्थानों में विशेष AMR डायग्नोस्टिक सुविधाएँ विकसित की जाएँगी।

  • एंटीबायोटिक उपयोग पर नियमन: एंटीबायोटिक दुरुपयोग रोकने हेतु राज्यों के नियम सख्त होंगे। केरल और गुजरात ने पहले ही ओवर-द-काउंटर एंटीबायोटिक बिक्री पर प्रतिबंध लागू किए हैं, जिसे राष्ट्रीय मॉडल के रूप में प्रोत्साहित किया जा रहा है।

  • नवाचार एवं शोध को बढ़ावा: India AMR Innovation Hub के माध्यम से राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का सहयोग बढ़ाया जाएगा। इससे नए डायग्नोस्टिक, वैक्सीन और विकल्पी उपचार तकनीकों पर अनुसंधान को प्रोत्साहन मिलेगा। 

  • विस्तार क्षेत्र: अस्पतालों में Infection Prevention & Control (IPC) और Antimicrobial Stewardship कार्यक्रमों के विस्तार पर बल दिया गया है।

सरकारी प्रयास और संस्थागत तंत्र:

  • National Task Force on AMR (2010)
  • National Policy on AMR Containment (2011)
  • NAP-AMR (2017–21)

निष्कर्ष:

NAP-AMR 2.0 भारत की AMR चुनौती से निपटने की एक समग्र, क्रॉस-सेक्टोरल और भविष्य उन्मुख रणनीति है। यह न केवल स्वास्थ्य प्रणाली को सुदृढ़ करेगा बल्कि मानव, पशु और पर्यावरण, तीनों के स्वास्थ्य को एकीकृत संरक्षण ढांचे में जोड़कर One Health Vision को वास्तविक रूप देगा। 

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