Natural Farming
संदर्भ:
केंद्र सरकार ने 25 नवंबर 2024 को राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) को मंजूरी दी, जिसे 15वें वित्त आयोग (2025-26) तक एक स्वतंत्र केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
- इस योजना का उद्देश्य कृषि पद्धतियों को वैज्ञानिक आधार पर अधिक टिकाऊ, जलवायु सहनशील और सुरक्षित खाद्य उत्पादन की दिशा में सशक्त बनाना है।
- इसके तहत मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्बहाली और किसानों की लागत घटाकर जलवायु सहनशीलता को बढ़ाना शामिल है।
प्राकृतिक खेती (Natural Farming)
परिभाषा:
प्राकृतिक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जो प्रकृति की प्रक्रियाओं के साथ सामंजस्य में फसलों को टिकाऊ और समग्र तरीके से उगाने पर जोर देती है।
- यह स्थानीय कृषि-पर्यावरणीय सिद्धांतों, स्वदेशी ज्ञान, स्थान-विशिष्ट तकनीकों और स्थानीय कृषि-पर्यावरण के अनुकूलन पर आधारित है।
- इसका मुख्य उद्देश्य बाहरी इनपुट्स पर निर्भरता कम करना और एक ऐसा कृषि तंत्र बनाना है जो लंबे समय तक स्वयं को बनाए रख सके।
मुख्य विशेषताएँ:
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- मिट्टी में न्यूनतम हस्तक्षेप (Minimal Soil Disturbance)
- जैविक इनपुट्स का उपयोग (Use of Organic Inputs)
- जैव विविधता और बहु-फसली खेती (Biodiversity and Polyculture)
- जल संरक्षण (Water Conservation)
- कीट प्रबंधन के लिए प्राकृतिक तरीके
चुनौतियाँ:
- स्थानीय पारिस्थितिकी का ज्ञान: इसे प्रभावी ढंग से अपनाने के लिए समय और गहन समझ आवश्यक।
- श्रम–प्रधान: परिवर्तन काल में अधिक श्रम और प्रारंभिक तौर पर कम उपज।
- बाज़ार की मांग: जैविक उत्पाद लोकप्रिय हो रहे हैं, परंतु प्राकृतिक खेती के उत्पाद हमेशा बाज़ार के प्रमाणन मानकों पर खरे नहीं उतरते।
सरकारी पहलें:
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY): ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा, जो प्राकृतिक खेती में अनुकूल हैं।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: 2015 में शुरू, किसानों को मिट्टी के पोषण स्तर और pH की जानकारी देने के लिए।
- राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA): 2014 में शुरू, मिट्टी की सेहत, जल संरक्षण और उत्पादकता सुधार के लिए।
- राष्ट्रीय जैविक खेती अनुसंधान संस्थान (NOFRI): मिट्टी की सेहत सुधारने, जैविक तकनीक विकसित करने और सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए।
प्रमुख राज्य जहाँ प्राकृतिक खेती हो रही है: आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, केरल, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु।
आगे की राह:
सरकार पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने, किसानों की आय में सुधार लाने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्राकृतिक खेती के महत्व को तेजी से पहचान रही है।