Net FDI inflow fell by 159% in August

संदर्भ:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 159% की तेज गिरावट के साथ नकारात्मक हो गया है। इस अवधि में विदेशी निवेश के बहिर्वाह (outflows) ने अंतर्वाह (inflows) को पार कर लिया, जिससे देश को $616 मिलियन का शुद्ध FDI बहिर्वाह दर्ज हुआ, जबकि पिछले वर्ष अगस्त में लगभग $1 बिलियन का शुद्ध प्रवाह (inflow) दर्ज किया गया था।
मुख्य विवरण:
- सकल प्रवाह में कमी: भारत में सकल FDI घटकर $6.05 बिलियन रह गया, जो अगस्त 2024 की तुलना में 30.6% और जुलाई 2025 से 45.5% कम है।
- रिपैट्रिएशन में वृद्धि: भारत में कार्यरत विदेशी कंपनियों द्वारा पूंजी वापसी और विनिवेश बढ़कर $4.93 बिलियन हो गया, जो जुलाई की तुलना में लगभग 30% अधिक है।
- आउटवर्ड FDI में गिरावट: भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किया गया निवेश घटकर $1.74 बिलियन रह गया।
- शुद्ध परिणाम: कुल आउटफ्लो (रिपैट्रिएशन + आउटवर्ड FDI) सकल इनफ्लो से अधिक होने के कारण $616 मिलियन का शुद्ध बहिर्वाह दर्ज हुआ, जो पिछले वर्ष के सकारात्मक प्रवाह की तुलना में 159% की गिरावट है।
- वित्त वर्ष में दूसरी बार: चालू वित्त वर्ष में यह दूसरी बार है जब शुद्ध FDI बहिर्वाह हुआ — पहली बार यह स्थिति मई 2025 में दर्ज की गई थी।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के बारे में:
परिभाषा: FDI का अर्थ है किसी विदेशी निवेशक द्वारा —
- किसी अनलिस्टेड भारतीय कंपनी में इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से निवेश करना या
- किसी लिस्टेड भारतीय कंपनी में 10% या उससे अधिक पोस्ट-इश्यू पेड-अप इक्विटी कैपिटल (फुली डायल्यूटेड बेसिस पर) का अधिग्रहण करना।
शासन एवं विनियमन:
- Consolidated Foreign Direct Investment Policy (2020)
- Foreign Exchange Management (Non-Debt Instruments) Rules, 2019
Gross और Net FDI का अर्थ:
- Gross FDI: विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत की उत्पादक परिसंपत्तियों में किया गया कुल निवेश।
- Net FDI: Inward FDI में से Outward FDI (यानी Repatriation + भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी निवेश) घटाने के बाद बचा हुआ अंतर।
प्रवेश मार्ग (Entry Routes):
- Automatic Route: RBI या केंद्र सरकार की पूर्व-स्वीकृति आवश्यक नहीं होती।
- 100% FDI की अनुमति वाले प्रमुख सेक्टर: कृषि एवं पशुपालन, कोयला एवं लिग्नाइट, तेल एवं गैस की खोज, हवाई अड्डे (ग्रीनफील्ड और मौजूदा), इंडस्ट्रियल पार्क, टेलीकॉम सेवाएं, ट्रेडिंग आदि।
- Government Route: पूर्व सरकारी स्वीकृति आवश्यक होती है, और निवेश सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुरूप होना चाहिए।
FDI के प्रमुख महत्व के क्षेत्र:
- आर्थिक विकास: विदेशी पूंजी नए व्यवसायों, परियोजनाओं और उद्योगों को वित्तीय सहयोग देकर GDP वृद्धि में मदद करती है।
- रोज़गार सृजन: विदेशी कंपनियों के आने से विभिन्न क्षेत्रों में नए रोजगार अवसर बढ़ते हैं।
- तकनीकी हस्तांतरण: विदेशी निवेश से नई तकनीक, प्रबंधन ज्ञान और नवाचार भारत में आते हैं।
- बुनियादी ढांचा विकास: FDI से सड़क, बंदरगाह, ऊर्जा और हवाई अड्डों जैसी अवसंरचना मजबूत होती है।
- निर्यात और विदेशी मुद्रा: विदेशी कंपनियाँ भारत को उत्पादन केंद्र बनाकर निर्यात और विदेशी मुद्रा आय बढ़ाती हैं।
- प्रतिस्पर्धा व नवाचार: विदेशी निवेश से स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे स्थानीय कंपनियाँ नवाचार को अपनाती हैं।
- औद्योगिक विविधता: विभिन्न उद्योगों में निवेश से अर्थव्यवस्था विविध और लचीली बनती है।
- निवेशक विश्वास: बढ़ता FDI प्रवाह भारत के स्थिर और निवेश-अनुकूल माहौल का संकेत देता है।
