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अरब सागर में नई जलीय प्रजाति टैनिंगिया सिलासी की खोज हुई (New aquatic species Taningia silasii discovered in the Arabian Sea) | UPSC Preparation

New aquatic species Taningia silasii discovered in the Arabian Sea

New aquatic species Taningia silasii discovered in the Arabian Sea

संदर्भ:

हाल ही में, ICAR–केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), कोच्चि ने अरब सागर की 390 मीटर गहराई में एक नई गहरे समुद्री स्क्विड प्रजाति Taningia silasii की खोज की है। यह प्रजाति Marine Biodiversity नामक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में औपचारिक रूप से प्रकाशित हुई है। इस खोज का विशेष महत्व है क्योंकि यह Taningia वंश (genus) से संबद्ध है, जो विश्व स्तर पर अत्यंत दुर्लभ माना जाता है।

इस खोज का वैज्ञानिक नेतृत्व:

यह खोज CMFRI की वैज्ञानिक टीम—डॉ. गीता सासीकुमार, प्रिंसिपल साइंटिस्ट और डॉ. सजीकुमार के.के., टेक्निकल ऑफिसर—के नेतृत्व में हुई। अनुसंधान दल में Dr. Shijin Ameri और Toji Thomas भी शामिल थे। प्रजाति का नाम भारत के विख्यात समुद्री जीवशास्त्री और पूर्व CMFRI निदेशक डॉ. ई.जी. सिलास के सम्मान में रखा गया है, जिन्हें देश में सेफालोपॉड अनुसंधान के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है।

नई जल प्रजाति ‘ऑक्टोपस स्क्विड’ का वर्गीकरण:

श्रेणी

विवरण

वैज्ञानिक नाम

Taningia silasii

वंश (Genus)

Taningia — वैश्विक स्तर पर अत्यंत दुर्लभ

कुल (Family)

Octopoteuthidae (Octopus squids)

समूह

Cephalopoda (Squids, Octopus, Cuttlefish आदि)

नई जल प्रजाति की मुख्य विशेषताएँ:

  • ‘टेन्टेकल-रहित’ वयस्क: हालाँकि यह प्रजाति स्क्विड है, लेकिन इसमें सामान्य स्क्विड की तरह दो लंबे टेन्टेकल नहीं होते। इसमें केवल आठ भुजाएँ (eight arms) होती हैं—इसी कारण इसे सामान्यतः “Octopus Squid” कहा जाता है।

  • आकार: खोजा गया नमूना 45 सेमी लंबा है (Dorsal Mantle Length)। हालाँकि इस वंश की अटलांटिक प्रजाति 2.3 मीटर लंबाई और 60 किलोग्राम से अधिक वजन तक पहुँच सकती है।

  • विशिष्ट संरचनात्मक अंतर: इसमें गिल लैमेलाएँ कम (26 बनाम 38–44) पाई गई है। इनमें फ़नल-मैन्टल लॉकिंग कार्टिलेज अंडाकार और निचला चोंच (lower beak) स्पष्ट रूप से भिन्न पाया गया है।

  • आनुवांशिक अंतर: इनमें DNA बारकोडिंग से 11% जेनेटिक अंतर पाया गया—जो इसे Taningia danae से अलग एक स्वतंत्र प्रजाति सिद्ध करने हेतु पर्याप्त है।

भारत के समुद्री अनुसंधान के लिए महत्व:

    • CMFRI की वैज्ञानिक क्षमता का प्रमाण: यह खोज दर्शाती है कि भारत के पास डीप-सी अन्वेषण, DNA विश्लेषण और उन्नत गुणसूत्रीय तकनीकों का उपयोग करने वाली सक्षम वैज्ञानिक संस्थागत प्रणाली है।

  • ‘ब्लू इकोनॉमी’ दृष्टि में योगदान: भारत की राष्ट्रीय समुद्री नीति (Blue Economy Vision) समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग एवं संरक्षण पर बल देती है। नई प्रजातियों की खोज समुद्री पारिस्थितिक आंकड़ों को समृद्ध करती है और भविष्य की नीति-निर्माण प्रक्रियाओं को मजबूत करती है।

    • खाद्य-जाल में भूमिका: Octopoteuthidae परिवार के सदस्य गहरे समुद्री मछलियों और समुद्री स्तनधारियों के लिए महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत होते हैं। इनका व्यवहार, प्रवास और शिकारी-शिकार संबंध महासागरीय गतिशीलता पर प्रभाव डालता है।

  •  संरक्षण-नीति निर्माण में प्रासंगिकता: नई प्रजातियों की पहचान IUCN आकलन, संरक्षण प्राथमिकता क्षेत्रों (Conservation Priority Areas) और समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPAs) के निर्धारण में मदद करती है।

  • भारतीय महासागर क्षेत्र में जैव-विविधता: लगभग 400 से अधिक स्क्विड प्रजातियाँ विश्व में ज्ञात हैं, लेकिन भारतीय तटीय गहराइयों में उनकी संरचना और वितरण पर अभी भी सीमित अध्ययन है। यह खोज भारत को वैश्विक सेफालोपॉड टैक्सोनॉमी अनुसंधान के केंद्र में लाती है।

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