New Hoya davodiensis species discovered in Arunachal Pradesh
संदर्भ:
अरुणाचल प्रदेश के विजयनगर क्षेत्र में हाल ही में वैज्ञानिकों ने Hoya dawodiensis नाम की एक नई पुष्पीय पौधों की प्रजाति खोजी है। यह खोज भारत की वनस्पति विविधता (Floral Diversity) को समृद्ध करती है।
खोज का पृष्ठभूमि:
Hoya dawodiensis की खोज चांगलांग जिले के विजय नगर क्षेत्र में हुई, जो अत्यंत दूरस्थ, दुर्गम और जैव-विविधता से भरपूर इलाका है। इस क्षेत्र तक पहुँचना कठिन है। यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्षेत्र Namdapha National Park से सटा है, जो विश्व के सबसे विविधतापूर्ण संरक्षण क्षेत्रों में से एक है।
पिछले वर्षों में इसी क्षेत्र में उभयचर, ऑर्किड और बाल्सम जैसी कई नई प्रजातियों की खोज हो चुकी है। यह खोज बताती है कि पूर्वोत्तर भारत में अब भी कई अनछुए पारिस्थितिक क्षेत्र मौजूद हैं।
इस वनस्पति का वर्गीकरण व विशेषताएँ:
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वर्गीकरण (Taxonomy): Hoya dawodiensis को Apocynaceae परिवार और Hoya वंश के अंतर्गत रखा गया है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली सुगंधित व वैक्स जैसी बनावट वाले पुष्पीय पौधों का बड़ा समूह है।
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यह वंश एशिया के पर्वतीय और आर्द्र वनों में व्यापक रूप से पाया जाता है तथा इसकी कई प्रजातियाँ लता-स्वरूप होती हैं, जो पेड़ों या झाड़ियों पर सहारे से बढ़ती हैं।
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Hoya dawodiensis की विशिष्ट आकृति, पुष्प संरचना और स्थानीय अनुकूलन इसे अन्य ज्ञात Hoya प्रजातियों से अलग पहचान देती है।
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वनस्पति विशेषताएँ (Botanical Features): Hoya dawodiensis एक नाजुक, पतली, सहारे से ऊपर चढ़ने वाली लता है, जो प्रायः नदी किनारे के वृक्षों पर सहारा लेकर बढ़ती है और उच्च आर्द्रता तथा छायादार उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में पनपती है।
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इसके फूल चमकदार सफेद, मोमी सतह वाले और तारे के आकार के होते हैं, जो गुच्छों (umbels) में व्यवस्थित रहते हैं;
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यह फूल मुख्यतः सितंबर के अंत से नवंबर के दौरान खिलते हैं। इसकी पत्तियाँ मोटी, चिकनी और जल–संरक्षण में सक्षम होती हैं, जो इसे पर्वतीय आर्द्र वनों की बदलती परिस्थितियों के अनुकूल बनाती हैं।
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संरक्षण स्थिति व खतरे:
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संरक्षण स्थिति (Status): Hoya dawodiensis को Critically Endangered माना गया है। वैज्ञानिकों ने केवल 3–4 पौधों को ही जंगल में दर्ज किया है।
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मुख्य खतरे (Major Threats): स्थानीय समुदायों में प्रचलित झूम खेती (Shifting Cultivation)। दुर्गम क्षेत्र होने के कारण सीमित संरक्षण निगरानी और आवासीय क्षरण (Habitat Degradation) और जलवायु परिवर्तन से बढ़ते जोखिम।

