New Rules for Satellite Internet Service in India
संदर्भ:
भारत में उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं (satcom) के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, दूरसंचार विभाग (DoT) ने सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये उपाय विशेष रूप से उन घटनाओं के बाद आए हैं, जहाँ बिना लाइसेंस वाले उपकरणों का उपयोग करके इंटरनेट शटडाउन को दरकिनार किया गया था, जैसे कि मणिपुर में Starlink उपकरणों का कथित उपयोग।
भारत में उपग्रह इंटरनेट सेवा के लिए नए नियम–
- सुरक्षा आवश्यकताएँ:
- स्थानीयकरण: उपग्रह इंटरनेट ऑपरेटरों को नेटवर्क नियंत्रण और निगरानी केंद्र को भारतीय क्षेत्र में स्थापित करना अनिवार्य है।
- रियल–टाइम निगरानी: यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत से उत्पन्न या भारत की ओर जाने वाला उपयोगकर्ता ट्रैफ़िक किसी भी गेटवे के माध्यम से भारतीय क्षेत्र के बाहर न जाए।
- डेटा सुरक्षा: भारतीय टेलीकॉम डेटा की कॉपी या डिक्रिप्शन भारतीय क्षेत्र के बाहर करने की अनुमति नहीं है।
- सीमावर्ती सुरक्षा उपाय:
- अप्रत्याशित कवरेज से बचाव:
- भौगोलिक–रोकथाम (Geo-fencing) तकनीक का उपयोग करके पड़ोसी देशों में सिग्नल का अनजाने में फैलाव रोकें।
- भारत में प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंच को अवरुद्ध करने में सक्षम होना चाहिए।
- उपयोगकर्ता पहुंच नियंत्रण: विशिष्ट उपयोगकर्ताओं या समूहों के लिए नेटवर्क तक पहुंच को अवरुद्ध, प्रतिबंधित या अस्वीकार करने के लिए सिस्टम को सक्षम करना होगा, जैसा कि प्राधिकरण द्वारा निर्देशित हो।
- डेटा निगरानी और साझा करने का दायित्व:
- संचार अवरोधन और निगरानी: उपयोगकर्ता गतिविधियों पर नजर रखने और सुरक्षा एजेंसियों के साथ डेटा साझा करने की क्षमता होनी चाहिए।
- उपयोगकर्ता टर्मिनल जानकारी:
- सभी उपग्रह इंटरनेट टर्मिनलों का पंजीकरण और प्रमाणीकरण भारतीय क्षेत्र में होना चाहिए।
- टर्मिनल को NavIC (भारत का अपना उपग्रह नेविगेशन सिस्टम) का समर्थन करना चाहिए।
- भारतीय उपग्रह इंटरनेट टर्मिनलों का विदेश में उपयोग प्रतिबंधित है।
- स्वदेशीकरण और डेटा केंद्र:
- स्वदेशी निर्माण योजना:
- जमीनी खंड (Ground Segment) के कम से कम 20% भाग को स्वदेशी बनाने के लिए वर्ष–वार चरणबद्ध योजना प्रस्तुत करनी होगी।
- पाँच वर्षों के भीतर टर्मिनल का भारत में निर्माण करना अनिवार्य है।
- डेटा केंद्र का स्थानीयकरण:
- डेटा केंद्रों को भारत के भौगोलिक क्षेत्र में स्थित होना चाहिए।
- डोमेन नाम प्रणाली (DNS) समाधान भारत के भीतर ही प्रदान किया जाना चाहिए।
- नियमों का महत्व:
- यह कदम भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं की सुरक्षा और गोपनीयता को बढ़ाने के लिए है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा और डेटा संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए ये कड़े नियम लागू किए गए हैं।
- उपग्रह इंटरनेट प्रदाताओं के लिए यह अनिवार्य है कि वे स्थानीय विनिर्माण और डेटा होस्टिंग को बढ़ावा दें।
निष्कर्ष:
DoT के ये नए दिशा-निर्देश भारत में उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। ये उपाय न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेंगे, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सुरक्षित और विश्वसनीय सेवाएं प्रदान करने में सहायक होंगे।