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भारत में नई समुद्री तितली प्रजातियों की खोज (New sea butterfly species discovered in India) | UPSC Preparation

New sea butterfly species discovered in India

New sea butterfly species discovered in India

संदर्भ:

हाल ही में शोधकर्ताओं ने समुद्री तितली वंश डायकावोलिनिया की चार प्रजातियों की पहचान की है। ये सूक्ष्म, कवचधारी प्राणीप्लवक निकोबार द्वीप समूह के तलछट के नमूनों में वर्ष 2011 में पाए गए थे। यह एक महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि ये समुद्री तितलियाँ एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र की सूचक हैं, वर्तमान में गर्म होते महासागरों के कारण वैश्विक स्तर पर इनकी आबादी घट रही है।

भारत में नई समुद्री तितली प्रजातियों की खोज:

भारतीय वैज्ञानिकों ने अंडमान–निकोबार क्षेत्र से समुद्री तितली (Sea Butterfly) की चार नई प्रजातियाँ—D. deshayesi, D. grayi, D. mcgowani, और D. strangulata की पहचान की है। ये प्रजातियाँ Diacavolinia वंश से संबंधित हैं और लगभग 200 मीटर गहराई से एकत्र पुराने समुद्री अवसादों में मिलीं।

समुद्री तितली प्रजातियों (Sea Butterflies) का वर्गीकरण:

  • जगत (Kingdom): समुद्री तितलियाँ जगत एनिमेलिया के अंतर्गत आती हैं, क्योंकि ये बहुकोशिकीय, गतिशील और पोषण के लिए परपोषी होती हैं। 
  • संघ (Phylum): ये प्रजातियाँ मोलस्का संघ से संबंधित हैं, जिसमें घोंघे, ऑक्टोपस और शंख जैसे जीव शामिल होते हैं।
  • वर्ग (Class): समुद्री तितलियाँ गैस्ट्रोपोडा वर्ग के अंतर्गत रखी जाती हैं, जहाँ अधिकांश प्रजातियाँ घोंघे या स्लग रूप में पाई जाती हैं। गैस्ट्रोपॉड्स की तरह इनका शरीर असममित होता है।
  • गण (Order): इनका संबंध प्टेरोपोडा गण से है, जिसे “Sea Butterflies” भी कहा जाता है। इस गण के जीव तैरने के लिए पंखनुमा लोब (parapodia) का उपयोग करते हैं।
  • कुल (Family): ये नई प्रजातियाँ कैवोलिनिडी कुल का हिस्सा हैं, जिनकी पहचान इनके विशिष्ट वायुगतिकीय आकार से होती है। 
  • वंश (Genus): नई खोजी गई प्रजातियाँ Diacavolinia वंश से संबंधित हैं। यह वंश प्टेरोपॉड्स के भीतर विशेष महत्व रखता है।

समुद्री तितली (Diacavolinia) प्रजातियों की जैविक विशेषताएँ:

  • शारीरिक संरचना: समुद्री तितलियों का शरीर छोटा, मुलायम और पारदर्शी होता है, जिसके बाहर नाजुक अरेगोनाइट से बना खोल पाया जाता है। इनका खोल द्विपार्श्वीय सममिति लिए होता है।
  • संचरण विधि: ये जीव तैरने के लिए विशेष परापोडिया या पंखनुमा लोब का उपयोग करते हैं, जिनकी धीमी फड़फड़ाहट तितली जैसी गति उत्पन्न करती है।
  • पोषण व्यवहार: ये सूक्ष्म प्लवकों को खाने वाले जीव हैं और भोजन पकड़ने के लिए म्यूकस जाल तथा सूक्ष्म सिलिया द्वारा निर्मित जलधारा का उपयोग करते हैं। 
  • जीवन चक्र: प्टेरोपॉड्स का जीवन चक्र पूर्णतः प्लवक-आधारित होता है और ये होलोप्लवक हैं, अर्थात् पूरा जीवन जल स्तंभ में व्यतीत करते हैं। इनमें प्रजनन आमतौर पर बाह्य निषेचन या मुक्त तैरने वाले लार्वा चरण के माध्यम से होता है।
  • पर्यावरणीय संवेदनशीलता: इनके खोल अत्यधिक घुलनशील कैल्शियम कार्बोनेट से बने होते हैं, इसलिए ये महासागर अम्लीकरण के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। ये उत्कृष्ट जल-रसायन संकेतक बनते हैं।

समुद्री पारिस्थितिकी में भूमिका:

  • समुद्री खाद्य श्रृंखला: प्टेरोपॉड उच्च लिपिड एवं कैल्शियम युक्त होने के कारण बड़ी मछलियों, समुद्री पक्षियों और व्हेल प्रजातियों के लिए अत्यंत पौष्टिक भोजन स्त्रोत हैं। इनके अभाव से समुद्री खाद्य श्रृंखला में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।
  • कार्बन चक्रण में योगदान: रात्रि में सतह के निकट आकर भोजन ग्रहण करने और सुबह पुनः गहराई में जाने की प्रक्रिया के माध्यम से ये समुद्री जल में ऊर्ध्वाधर कार्बन परिवहन को सक्षम बनाती हैं।
  • जीवाश्म अभिलेख: समुद्री तितलियों के खोल अपने मूल स्वरूप में संरक्षित रहते हैं, जिससे इनके माध्यम से अतीत के समुद्री तापमान, अम्लीकरण और पारिस्थितिकीय परिवर्तनों का अध्ययन संभव होता है।

चुनौतियाँ:

महासागरों में बढ़ते CO₂ अवशोषण से aragonite shells क्षरण का खतरा बढ़ रहा है। कई क्षेत्रों में विशेषकर अंटार्कटिका के निकट दक्षिणी महासागर में इनके छिद्रित और घुलते खोल देखे गए हैं, जो इनकी घटती आबादी का एक संकेत है।

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