No discrimination in grant of permanent commission to women Short Service Commission officers: Centre
संदर्भ:
केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) की महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया कि महिला अधिकारियों का मूल्यांकन पुरुष अधिकारियों के समान मानकों पर किया जा रहा है और चयन प्रक्रिया में सभी निर्धारित नियमों का पालन किया जा रहा है।
क्या है ‘नियुक्ति मानदंड‘ (Criteria Appointments)?
‘नियुक्ति मानदंड’ का आशय उन विशेष जिम्मेदारियों या नियुक्तियों से है, जिनमें अफसर को बेहद कठिन, संवेदनशील और रणनीतिक महत्व वाले इलाकों में कमान संभालनी पड़ती है। जैसे- दुश्मन सीमा से सटे क्षेत्रों में तैनाती, उच्च जोखिम वाले अभियानों में भागीदारी या ऐसी जगह सेवा करना जहां सैन्य दबाव और चुनौतियां अधिक हों।
- पुरुष अफसरों के लिए ऐसी पोस्टिंग को उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) में ‘मानदंड रिपोर्ट’ (Criteria Report) के रूप में दर्ज किया जाता है। यह उनके मूल्यांकन और स्थायी कमीशन (Permanent Commission) पाने की संभावना को मजबूत करता है।
- वहीं, महिला अफसरों के मामले में, भले ही उन्होंने कठिन और संवेदनशील इलाकों में कमान संभाली हो, उनकी पोस्टिंग को अक्सर ‘गैर–मानदंड रिपोर्ट‘ (Non-Criteria Report) बताया गया। परिणामस्वरूप उनकी सेवाओं को आधिकारिक रूप से उस महत्व का दर्जा नहीं मिला, जिससे उनके करियर विकास और स्थायी कमीशन पर प्रतिकूल असर पड़ा।
महिला अफसरों का योगदान : प्रमुख उदाहरण
- लेफ्टिनेंट कर्नल वनीता पाधी को कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन और फिरोजपुर (पंजाब) बॉर्डर एरिया में कंपनी कमांडर की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- लेफ्टिनेंट कर्नल चांदनी मिश्रा 88 देशों में पहली महिला पायलट बनीं, जिन्होंने MEAT (Manoeuvrable Expendable Aerial Target) उड़ाने का कार्य किया।
- लेफ्टिनेंट कर्नल गीता शर्मा को लद्दाख में गलवान ऑपरेशन के दौरान कम्युनिकेशन यूनिट की कमान दी गई।
- लेफ्टिनेंट कर्नल स्वाति रावत को ऑपरेशन सिंदूर और जम्मू-कश्मीर के बासौली क्षेत्र में काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन्स की कमांडिंग पोस्टिंग दी गई।
- एक महिला अफसर ने बालाकोट एयर स्ट्राइक से विमान सुरक्षित वापस लाने का कार्य किया, लेकिन उन्हें केवल एक सप्ताह बाद ही सेवा छोड़ने के लिए कहा गया।
महिला अफसरों और स्थायी कमीशन विवाद:
महिला अफसरों का तर्क:
- उन्होंने कहा कि उन्हें स्थायी कमीशन (Permanent Commission) से वंचित करना,
- अनुच्छेद 14 – समानता के अधिकार, और
- अनुच्छेद 15 – लैंगिक भेदभाव पर रोक,
का स्पष्ट उल्लंघन है।
- उनका कहना था कि समान जिम्मेदारियों और योगदान के बाaवजूद उनके साथ भेदभाव किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (फरवरी 2020)
- महिला अफसरों को केवल स्टाफ पदों तक सीमित रखना “असंगत और अवैध” बताया।
- आदेश दिया गया कि योग्य महिला अफसरों को स्थायी कमीशन दिया जाए।
महिला अफसरों की बढ़ती संख्या:
- साल 2014 में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में महिला अफसरों की संख्या लगभग 3,000 थी। आज यह संख्या 11,000 से भी अधिक हो गई है, जो न केवल संख्या में बढ़ोतरी बल्कि संस्थागत मानसिकता में बदलाव का भी संकेत देती है।
- सरकार ने वर्षों में महिलाओं के लिए रक्षा क्षेत्र में नए अवसर खोले हैं, जिनमें महिला अफसरों को स्थायी कमीशन (Permanent Commission) देने का कदम शामिल हैं।
निष्कर्ष: महिला अफसरों ने कई बार समान परिस्थितियों में पुरुष अफसरों के बराबर या बेहतर प्रदर्शन किया है। गलवान, बालाकोट और ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील अभियानों में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा। इसके बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन में समान अवसर नहीं मिला। यह मामला समान जिम्मेदारी निभाने वाले अफसरों के मूल्यांकन और करियर विकास के पैमानों पर सवाल उठाता है।