No PUC No Fuel policy implemented in Delhi
संदर्भ:
18 दिसंबर 2025 से दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देनज़र दिल्ली सरकार ने ‘नो पीयूसी नो फ्यूल’ नियम को लागू कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार 13 दिसंबर 2025 से गंभीर श्रेणी में बना हुआ है।
‘नो पीयूसी नो फ्यूल’ नीति:
- आशय: इस नीति के तहत दिल्ली के किसी भी पेट्रोल पंप पर वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) के बिना पेट्रोल या डीज़ल नहीं दिया जाएगा।
- निर्णय: इससे पहले वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा ग्रैडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) चरण-IV लागू किया गया है। पर्यावरण मंत्रालय और परिवहन विभाग के अनुसार, दिल्ली में स्थानीय वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का योगदान लगभग 30–40 प्रतिशत तक रहता है। यह नीति सीधे इसी प्रमुख स्रोत को लक्षित करती है।
- उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य पुराने और खराब रखरखाव वाले वाहनों को या तो सड़कों से हटाना है या उन्हें अनिवार्य रूप से दुरुस्त कराना है। इस नीति का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नियंत्रण कर स्वच्छ हवा के अधिकार को सुनिश्चित करना है, जो अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार से जुड़ा है।
कानूनी आधार और क्रियान्वयन तंत्र:
- यह नियम मोटर वाहन अधिनियम 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के प्रवर्तन का हिस्सा है।
- इसके लिए सरकार ने पेट्रोल पंपों पर स्वचालित नंबर प्लेट पहचान कैमरे, ऑडियो अलर्ट सिस्टम और पुलिस सहायता की व्यवस्था की है।
- इसके साथ ही BS-VI मानकों से कम उत्सर्जन वाले निजी वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर रोक लगाई गई है, जिससे अनुमानतः 12 लाख बाहरी वाहन प्रभावित होंगे।
- यह नीति प्रदूषक भुगतान सिद्धांत और निवारक सिद्धांत दोनों को व्यवहार में उतारती है।
GRAP चरण-IV और सहायक प्रतिबंध:
- GRAP चरण-IV के अंतर्गत निर्माण सामग्री ढोने वाले ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- इसके अतिरिक्त सरकारी और निजी कार्यालयों को वर्क फ्रॉम होम अपनाने के निर्देश दिए गए हैं, जहां अधिकतम 50 प्रतिशत स्टाफ ही कार्यालय आ सकता है।
- प्राथमिक विद्यालयों में भौतिक कक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। ये कदम दर्शाते हैं कि सरकार ने प्रदूषण को स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में स्वीकार किया है।
मानवीय और सामाजिक आयाम:
- दिल्ली की हवा में बढ़ता पीएम 2.5 केवल पर्यावरणीय आँकड़ा नहीं, बल्कि बच्चों के फेफड़ों, वृद्धों के हृदय और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अध्ययनों के अनुसार, दीर्घकालिक प्रदूषण श्वसन रोगों और समयपूर्व मृत्यु का प्रमुख कारण बन रहा है।
- ‘नो पीयूसी नो फ्यूल’ नीति नागरिकों को यह याद दिलाती है कि व्यक्तिगत वाहन भी सामूहिक प्रदूषण के भागीदार हैं और स्वच्छ हवा के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी आवश्यक है।
- दीर्घकालिक समाधान के लिए सार्वजनिक परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहन नीति और जन-जागरूकता आवश्यक है।

