Nobel Prize in Physics
संदर्भ:
2025 का नोबेल पुरस्कार भौतिकी में जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोरेट और जॉन एम. मार्टिनिस को उनके इलेक्ट्रिक सर्किट में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटाइजेशन की खोज के लिए दिया गया।
नोबेल विजेता और उनकी खोज:
विजेताओं का परिचय:
- जॉन क्लार्क: यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले के प्रोफेसर और 1980 के प्रयोगों के पर्यवेक्षक।
- मिशेल एच. डेवरट: येल यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सैंटा बारबरा के प्रोफेसर; गूगल क्वांटम AI में चीफ साइंटिस्ट।
- जॉन एम. मार्टिनिस: यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सैंटा बारबरा के प्रोफेसर और क्वांटम कंप्यूटिंग स्टार्टअप के सह-संस्थापक।
खोज का असर: इनकी खोज ने क्वांटम टेक्नोलॉजी को नया मुकाम दिया और क्वांटम कंप्यूटिंग की नींव रखी।
खोज: क्वांटम का कमाल:
- क्वांटम मैकेनिक्स: छोटे कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन) का विज्ञान, जिसमें अजीब व्यवहार होते हैं – जैसे टनलिंग (दीवार पार करना) और एनर्जी का क्वांटाइजेशन (ऊर्जा के छोटे पैकेट)।
- मैक्रोस्कोपिक क्वांटम टनलिंग: सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स में इलेक्ट्रॉन बिना ऊर्जा खर्च किए ‘टनल’ करके बाधा पार करते हैं, जिससे सर्किट सुपरफास्ट बनता है।
- एनर्जी क्वांटाइजेशन: सर्किट में ऊर्जा छोटे स्तरों पर रहती है, जैसे सीढ़ियाँ। इससे क्यूबिट्स 0 और 1 दोनों स्थिति में रह सकते हैं।
खोज क्यों महत्वपूर्ण है: क्वांटम क्रांति
- क्वांटम कंप्यूटिंग: क्यूबिट्स से सुपरकंप्यूटर बनेंगे, जो दवाएं खोजने, मौसम का अनुमान लगाने और क्रिप्टोग्राफी में मदद करेंगे।
- सेंसर: बेहतर MRI मशीनें और डिटेक्टर।
सुपरकंडक्टर्स: ऊर्जा हानि रहित वायर, जिससे बिजली की बचत होगी।