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OIDAR सेवाओं में कर चोरी पर नियंत्रण

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जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) खुफिया महानिदेशालय (DGCEI) ने ई-गेमिंग, ऑनलाइन शिक्षा और विज्ञापन जैसी  OIDAR  (ऑनलाइन सूचना और डेटाबेस एक्सेस या रिट्रीवल) सेवाओं में कर चोरी को रोकने के लिए उपाय सुझाए हैं। यह कदम विदेशी सरकारों के साथ सूचना साझा करने, प्रवर्तन उपायों को मजबूत करने और वेबसाइटों को अवरुद्ध करने के लिए पारस्परिक व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में है।

OIDAR सेवाएँ

OIDAR सेवाएँ वे हैं जो इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क के माध्यम से प्रदान की जाती हैं और जिनकी आपूर्ति सूचना प्रौद्योगिकी के बिना असंभव होती है। इसमें शामिल हैं:

  • क्लाउड सेवाएँ
  • डिजिटल सामग्री
  • ऑनलाइन गेमिंग
  • ऑनलाइन विज्ञापन

जब ये सेवाएँ किसी अपतटीय (Offshore) इकाई द्वारा गैर-कर योग्य प्राप्तकर्ताओं को प्रदान की जाती हैं, तो आपूर्तिकर्ता को GST पंजीकरण प्राप्त करने और GST का भुगतान करने की जिम्मेदारी होती है।

वर्तमान स्थिति:

  • पंजीकृत संस्थाएँ: वर्तमान में 574 अपतटीय संस्थाएँ GST विभाग के साथ पंजीकृत हैं।
  • राजस्व वृद्धि: वित्त वर्ष 2017-18 में 80 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 2,675 करोड़ रुपये हो गया है।

चुनौतियाँ और कदम:

  • चुनौतियाँ: कई अपतटीय संस्थाएँ जो कर चोरी करती हैं, जैसे कि ऑनलाइन कैसीनो, कर-हेवन देशों में स्थित होती हैं और वीपीएन या क्लाउड-आधारित प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से काम करती हैं। ये संस्थाएँ जानबूझकर कर अनुपालन से बचती हैं।
  • सुझाए गए कदम:
    • विदेशी सरकारों के साथ सूचना साझा करने और प्रवर्तन उपायों को मजबूत करने के लिए पारस्परिक व्यवस्था स्थापित करना।
    • गैर-अनुपालन सेवा प्रदाताओं की वेबसाइटों को अवरुद्ध करना।
    • कोडेक्स प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकरण करने और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ समन्वय करके विदेशी मुद्रा लेनदेन से संबंधित डेटा प्राप्त करना।

रिपोर्ट के निष्कर्ष: DGCEI की रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी अपतटीय आपूर्तिकर्ताओं (Offshore suppliers)  से निपटना एक चुनौती है, लेकिन सही दिशा में उठाए गए कदम इस क्षेत्र में कर चोरी को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। कुछ संस्थाएँ जैसे यूडेमी, कैनवा, और ब्लैकबोर्ड ने DGCEI के प्रयासों के बाद खुद को पंजीकृत किया और कर देयता का भुगतान किया है। हालांकि, अन्य संस्थाएँ सहयोग नहीं करती हैं और कर अनुपालन से बचती हैं।

जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGCEI):

  • स्थापना और नाम परिवर्तन: 1979 में राजस्व खुफिया निदेशालय के तहत स्थापित, इसे 2000 में डीजीसीईआई और 2017 में जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGCEI) नाम दिया गया।
  • अधीनता: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के तहत कार्य करता है, जीएसटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर की चोरी से संबंधित खुफिया जानकारी संकलित करता है।
  • कार्य और भूमिका: देशभर में कर चोरी के नए क्षेत्रों की पहचान, मोडस ऑपरेंडी और अलर्ट सर्कुलर जारी करना, और जीएसटी व शुल्क चोरी पर अभियान चलाना।
  • विकास: 2000 में क्षेत्रीय इकाइयों का विस्तार, 2002 में अहमदाबाद और बेंगलुरु में नई इकाइयाँ, 2014 में कैडर-पुनर्गठन के बाद 04 महानिदेशक कार्यालय, 26 और 40 क्षेत्रीय इकाइयाँ शामिल की गईं।

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