Pak-Saudi Defence Agreement
Pak-Saudi Defence Agreement – संदर्भ:
सऊदी अरब और पाकिस्तान ने हाल ही में रियाद में एक सामरिक पारस्परिक रक्षा समझौते (Strategic Mutual Defence Agreement) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस (Pak-Saudi Defence Agreement) समझौते के तहत यह तय हुआ है कि किसी एक देश पर हमला, दोनों देशों पर हमले के समान माना जाएगा। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब पश्चिम एशिया, क़तर में इज़रायल के हमले के बाद बढ़ती अस्थिरता का सामना कर रहा है।
पाक–सऊदी रक्षा समझौते के रणनीतिक आयाम (Pak-Saudi Defence Agreement):
- समझौते (Pak-Saudi Defence Agreement) का दायरा:
- सभी सैनिक साधनों (military means) को शामिल करता है।
- इसमें संयुक्त प्रशिक्षण, खुफिया साझेदारी (intelligence sharing), और समन्वित अभ्यास शामिल हैं।
- पारस्परिक रक्षा प्रावधान:
- कहा गया है: “किसी भी देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा”।
- यह लंबे समय से चर्चा में रहे सुरक्षा सहयोग को औपचारिक रूप देता है।
- परमाणु छत्र:
- इस समझौते के तहत इस्लामाबाद की परमाणु क्षमता सऊदी अरब को उपलब्ध हो सकती है।
- यह पहली बार सार्वजनिक रूप से सऊदी अरब और पाकिस्तान के परमाणु निरोधक कनेक्शन को मान्यता देता है।
- पीछे का कारण: 1970s और 1980s में सऊदी वित्तीय समर्थन।
- Pak-Saudi Defence Agreement – निर्भरता और रणनीतिक पुनर्विचार:
- पारंपरिक रूप से सऊदी अरब संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भर रहा है।
- पाकिस्तान के साथ यह रक्षा समझौता सऊदी सुरक्षा रणनीति में पुनर्मूल्यांकन (recalibration) दर्शाता है।
- कारण: यूएस पर दीर्घकालिक भरोसे में कमी।
- सऊदी अरब की स्थिति:
- समझौते को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की दिशा में कदम बताया गया।
- समय और हालात स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि यह कतर में इज़राइल के हमले के बाद बदलते संतुलन का संकेत है।
अमेरिका के रवैये के कारण हुआ समझौता:
अमेरिका अब तक मिडिल ईस्ट में सुरक्षा गारंटी देता था, लेकिन 9 सितंबर को इज़रायल के क़तर पर हमले में उसने कोई मदद नहीं की। इससे मुस्लिम देशों का भरोसा टूटा और वे नए सुरक्षा साझेदार खोजने लगे। इसी असुरक्षा ने सऊदी अरब और पाकिस्तान को रक्षा समझौता (Pak-Saudi Defence Agreement) करने के लिए प्रेरित किया।
पाक–सऊदी समझौता (Pak-Saudi Defence Agreement) और NATO का तुलनात्मक दृष्टिकोण
NATO का Article-5
- NATO में 32 देश शामिल (अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप आदि)।
- Article-5 के तहत: किसी भी सदस्य देश पर हमला: सभी देशों पर हमला माना जाएगा।
- परिणाम: दूसरे विश्व युद्ध के बाद NATO देशों को कभी भी Full Scale War में शामिल नहीं होना पड़ा।
पाकिस्तान–सऊदी रक्षा समझौते (Pak-Saudi Defence Agreement) की समानता
- Pak-Saudi Defence Agreement समझौते का Mutual Defence Clause Article-5 जैसा है।
- कहा गया है: “किसी भी देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा।”
भारत के लिए निहितार्थ (Implications):
- पाकिस्तान की मज़बूत स्थिति: सऊदी सहयोग से पाकिस्तान को राजनीतिक और आर्थिक बल मिलेगा, जो कश्मीर और आतंकवाद के मुद्दों पर भारत के लिए चुनौती बन सकता है।
- नई सुरक्षा चिंताएँ: सऊदी फंडिंग से पाकिस्तानी सेना और सक्षम हो सकती है, जिससे भारत की सुरक्षा रणनीति जटिल होगी।
- गल्फ में डोमिनो प्रभाव: इस pact से अन्य देशों में भी रक्षा गठबंधन की प्रवृत्ति बढ़ सकती है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता और भारत की ऊर्जा व प्रवासी सुरक्षा प्रभावित होगी।
- रणनीतिक निवारण: पाकिस्तान इसे भारत के खिलाफ सुरक्षा कवच या निवारक शक्ति के रूप में देख सकता है।
- IMEC पर असर: सऊदी प्राथमिकताओं में पाकिस्तान की ओर झुकाव होने से भारत की रणनीतिक और आर्थिक परियोजनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।
- कूटनीतिक संतुलन: भारत को सऊदी अरब (ऊर्जा व निवेश) और इज़रायल (रक्षा व तकनीक) दोनों के साथ रिश्तों में संतुलन साधना होगा।
- पाकिस्तान का भू–राजनीतिक लाभ: यह pact पाकिस्तान को पश्चिम एशिया में सुरक्षा प्रदाता के रूप में वैधता और पैन-इस्लामिक भूमिका प्रदान करता है।