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आयकर विधेयक के प्रावधानों पर संसदीय पैनल (Parliamentary Panel on Income Tax Bill Provisions) | UPSC

Parliamentary Panel on Income Tax Bill Provisions

Parliamentary Panel on Income Tax Bill Provisions

Parliamentary Panel on Income Tax Bill Provisions – 

संदर्भ:

संसदीय चयन समिति ने आयकर विधेयक 2025 पर अपनी रिपोर्ट को लोकसभा में पेश की, जिसमें मूल विधेयक के अधिकांश प्रावधानों को बरकरार रखा गया है। हालांकि, समिति ने छोटे करदाताओं को राहत देने और चैरिटेबल तथा गैर-लाभकारी संस्थाओं से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करने के उद्देश्य से 285 से अधिक संशोधनों की सिफारिश की है।

संसदीय समिति की प्रमुख सिफारिशें

  1. टीडीएस रिफंड से संबंधित सुधार:
  • समस्या: देरी से टीडीएस रिफंड का दावा करने पर कठोर दंड।
  • सिफारिश:
    • यदि करदाता अन्यथा अनुपालक (compliant) है, तो ऐसे मामलों में कठोर दंड प्रावधान हटाए जाएं
    • उद्देश्य: ईमानदार करदाताओं के लिए प्रक्रियात्मक बोझ कम करना।
  1. धार्मिकसहचैरिटेबल ट्रस्टों को कर में राहत:
  • समस्या: गुमनाम दान पर 30% का फ्लैट टैक्स
  • सिफारिश:
    • ऐसे ट्रस्टों को कर में राहत दी जाए।
    • सामाजिक और धार्मिक कार्यों को प्रोत्साहन देने का प्रयास।
  1. GAAR (जनरल एंटीअवॉइडेंस रूल) से जुड़ी सुरक्षा:
  • समस्या: गैरनिवासी करदाताओं के लिए अनुपालन में जटिलता।
  • सिफारिश:
    • शून्य कर स्रोतनिरोध प्रमाण पत्र (Zero-tax withholding certificates) की बहाली
    • इससे सीमापार लेनदेन सुगम होंगे और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  1. लाभकारी स्वामित्व (Beneficial Ownership) की परिभाषा में स्पष्टता:
  • समस्या: अस्पष्ट परिभाषाओं के कारण कॉर्पोरेट टैक्सेशन में भ्रम
  • सिफारिश:
    • स्पष्ट और सटीक परिभाषाएं दी जाएं।
    • इससे पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी।
  1. दंड लगाने में विवेक की अनुशंसा:
  • समस्या: लेखांकन पुस्तकों के अभिलेख रखने पर स्वतः दंड लगना।
  • सिफारिश:
    • ऐसे मामलों में दंड स्वचालित होकर विवेकाधीन (discretionary) बनाए जाएं।
    • ईमानदार करदाताओं को मामूली चूक पर अनावश्यक दंड से सुरक्षा।

आयकर विधेयक 2025: प्रमुख विशेषताएँ:

  • टैक्स ईयर की अवधारणा: ‘आकलन वर्ष’ (Assessment Year) को हटाकर ‘टैक्स ईयर’ लागू किया गया है, जो अब वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के अनुरूप होगा।
  • डिजिटल एसेट्स पर कर व्यवस्था: क्रिप्टो और NFT जैसे वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) को पूंजीगत संपत्तियाँ (Capital Assets) माना गया है और इन्हें पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) के दायरे में लाया गया है।
  • सरल भाषा और प्रारूप: जटिल कानूनी भाषा की जगह अब संक्षिप्त धाराओं, तालिकाओं और अनुसूचियों का उपयोग किया गया है ताकि आम नागरिक भी इसे आसानी से समझ सके।
  • संभावित कराधान (Presumptive Taxation) की सीमा में वृद्धि:
    • छोटे व्यापारियों के लिए सीमा ₹2 करोड़ से बढ़ाकर ₹3 करोड़ की गई।
    • पेशेवरों (जैसे डॉक्टर, वकील) के लिए सीमा ₹50 लाख से बढ़ाकर ₹75 लाख की गई।
  • फेसलेस अपील प्रणाली: वीडियो सुनवाई अनिवार्य की गई है और द्वितीय स्तर की समीक्षा समितियाँ (Second-Level Review Panels) स्थापित की गई हैं ताकि न्यायिक प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो।
  • खोज और जब्ती की शक्तियाँ: कर अधिकारियों को पासवर्ड को दरकिनार कर ईमेल, सोशल मीडिया जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच की अनुमति दी गई है, जिससे डिजिटल साक्ष्यों तक सीधी पहुँच संभव हो सकेगी।
  • अब लोकसभा में होगी सिफारिशों पर चर्चा, 1 अप्रैल 2026 से लागू हो सकता है नया कानून: रिपोर्ट संसद में पेश होने के बाद अब लोकसभा समिति की सिफारिशों पर विचार करेगी और विधेयक के अंतिम रूप और पारित होने की दिशा में आगे बढ़ेगी। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो नया आयकर कानून 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी हो सकता है।

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