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पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापन केस

2 अप्रैल 2024 को भ्रामक विज्ञापन केस में योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण की सुप्रीम कोर्ट में पेशी हुई। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया हैं। अदालत ने कहा कि एक हफ्ते में जवाब दाखिल कीजिए। अगली सुनवाई 10 अप्रैल 2024 को होगी।

पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापन केस:
मामला: 2023 में, भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पतंजलि अपने उत्पादों के लिए भ्रामक विज्ञापन जारी कर रहा है।

आरोप:

  • चिकित्सीय दावे: पतंजलि ने अपने उत्पादों के लिए कई चिकित्सीय दावे किए हैं, जैसे कि मधुमेह और अस्थमा का “पूरी तरह से इलाज” करना, जो कि भ्रामक और अस्पष्ट हैं।
  • वैज्ञानिक प्रमाण: पतंजलि अपने दावों का समर्थन करने के लिए अक्सर अपर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण प्रस्तुत करता है।
  • तुलनात्मक विज्ञापन: पतंजलि अक्सर अपने उत्पादों की तुलना एलोपैथिक दवाओं से नकारात्मक तरीके से करता है, जो कि भ्रामक और अनैतिक हो सकता है।

माफी: मार्च 2024 में, पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में अपने भ्रामक विज्ञापनों के लिए माफी मांगी।
नियमों का पालन: पतंजलि को अब विज्ञापनों के लिए Advertising Standards Council of India (ASCI) के नियमों का पालन करना होगा।

पतंजलि आयुर्वेद

पतंजलि आयुर्वेद एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है जिसका मुख्यालय हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत में है। इसकी स्थापना 2006 में योग गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने की थी। कंपनी आयुर्वेदिक दवाओं, खाद्य पदार्थों, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और घरेलू उत्पादों सहित विभिन्न प्रकार के उत्पादों का निर्माण करती है।

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