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भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में परिवर्तन हेतु शांति विधेयक (Peace Bill to transform India nuclear energy sector) | Apni Pathshala

Peace Bill to transform India nuclear energy sector

Peace Bill to transform India nuclear energy sector

संदर्भ:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शांति विधेयक (Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India Bill) को स्वीकृति दी है। यह विधेयक भारत के अब तक अत्यधिक नियंत्रित परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को पहली बार निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोलने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना है।

शांति विधेयक (SHANTI Bill) का उद्देश्य और पृष्ठभूमि:

  • ऊर्जा आवश्यकता: भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए परमाणु ऊर्जा को एक स्वच्छ, स्थिर और बेस-लोड ऊर्जा स्रोत के रूप में देखा जा रहा है। वर्तमान क्षमता लगभग 7.5 गीगावाट है, जो कुल बिजली उत्पादन का बहुत छोटा हिस्सा है।

  • नीतिगत बदलाव: अब तक परमाणु ऊर्जा अधिनियम निजी कंपनियों और राज्य सरकारों को परमाणु संयंत्र संचालित करने से रोकता था। सभी 24 वाणिज्यिक रिएक्टर केवल न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा संचालित हैं।

शांति विधेयक के प्रमुख प्रावधान:

  • निजी और विदेशी निवेश की अनुमति: शांति विधेयक के तहत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी और 49 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति प्रस्तावित है। इससे पूंजी, तकनीक और प्रबंधन क्षमता में वृद्धि होगी।

  • दायित्व कानून में संशोधन: विधेयक नागरिक परमाणु क्षति दायित्व कानून में संशोधन का प्रस्ताव करता है। इसके तहत संयंत्र संचालकों को कानूनी सुरक्षा, उपकरण आपूर्तिकर्ताओं की दायित्व सीमा तय और भारतीय परमाणु बीमा पूल के अंतर्गत प्रति घटना ₹1,500 करोड़ की बीमा व्यवस्था है।

  • एकीकृत कानूनी ढांचा: विधेयक परमाणु ऊर्जा से जुड़े विभिन्न कानूनों को एक एकीकृत कानूनी ढांचे में लाने का प्रस्ताव करता है, जिससे नीति स्पष्टता और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।

  • विशेष परमाणु न्यायाधिकरण: विवादों के शीघ्र निपटारे के लिए एक विशेष परमाणु न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिससे परियोजनाओं में देरी कम होगी।

  • रणनीतिक क्षेत्रों पर राज्य का नियंत्रण: सरकार ने स्पष्ट किया है कि परमाणु ईंधन उत्पादन, हेवी वाटर, और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर परमाणु ऊर्जा विभाग का नियंत्रण बना रहेगा।

इसका महत्व:

  • ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन: यह कदम भारत के स्वच्छ ऊर्जा की ओर संक्रमण, ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • आर्थिक अवसर: इससे इंजीनियरिंग, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए एक नया बाजार बनेगा, जिससे रोजगार सृजन और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
  • नीतिगत मिसाल: यह सुधार अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए अपनाए गए मॉडल का अनुसरण करते हुए, अन्य राज्य-संरक्षित क्षेत्रों को निजी खिलाड़ियों के लिए खोलने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  • परमाणु ऊर्जा से संबंध: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2025 के बजट में निजी भागीदारी की घोषणा के साथ ₹20,000 करोड़ के परमाणु ऊर्जा मिशन की शुरुआत की। इसके अंतर्गत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर पर अनुसंधान और 2033 तक पाँच स्वदेशी SMR को चालू करने का लक्ष्य निर्धारित है।

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