Peptide therapy for the treatment of fungal keratitis

संदर्भ:
हाल ही में एल. वी. प्रसाद नेत्र संस्थान और बोस संस्थान के वैज्ञानिकों ने फंगल केराटाइटिस के उपचार हेतु एक नवीन पेप्टाइड आधारित थेरेपी SA-XV विकसित की है। इस शोध को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल केमिस्ट्री (2025) में प्रकाशित किया गया है, जिसे भारत में नेत्र संक्रमण के उपचार में गेम-चेंजर माना जा रहा है।
फंगल केराटाइटिस:
- फंगल केराटाइटिस आंख की कॉर्निया का एक गंभीर संक्रमण है, जो दृष्टि हानि और अंधत्व का प्रमुख कारण बन सकता है।
- भारत जैसे उष्णकटिबंधीय देशों में यह रोग विशेष रूप से कृषि श्रमिकों में अधिक पाया जाता है, जहां आंखों में चोट और मिट्टी या जैविक कणों का संपर्क सामान्य है।
- अध्ययनों के अनुसार, भारत में कॉर्नियल संक्रमणों के लगभग 40 प्रतिशत मामलों के लिए फंगल कारण जिम्मेदार हैं।
- इसे विशेषज्ञ “धीमी महामारी” की संज्ञा देते हैं, क्योंकि यह धीरे-धीरे दृष्टि को नष्ट करता है और समय पर उपचार न होने पर कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की आवश्यकता पड़ सकती है।
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वर्तमान में फंगल केराटाइटिस के लिए उपलब्ध प्रमुख औषधि एम्फोटेरिसिन-बी है। हालांकि, इसके उपयोग से किडनी विषाक्तता (नेफ्रोटॉक्सिसिटी) और उच्च हीमोलाइटिक प्रभाव जैसे गंभीर दुष्प्रभाव सामने आते हैं, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
SA-XV पेप्टाइड थेरेपी:
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संरचना: वैज्ञानिकों ने मानव प्रोटीन S100A12 से व्युत्पन्न 15 अमीनो अम्लों वाला पेप्टाइड, जिसे SA-XV नाम दिया गया, विकसित किया है। यह एक एंटीमाइक्रोबियल पेप्टाइड है, जो फंगल रोगाणुओं के विरुद्ध अत्यंत प्रभावी पाया गया है। यह पेप्टाइड फ्यूजेरियम और कैंडिडा प्रजातियों के प्लैंकटोनिक और बायोफिल्म दोनों रूपों की वृद्धि को रोकने में सक्षम है।
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कार्यविधि: SA-XV की कार्यविधि बहुआयामी है। यह पहले फंगल कोशिका भित्ति और झिल्ली से संपर्क करता है, फिर कोशिका के भीतर प्रवेश कर साइटोप्लाज़्म में एकत्रित होता है। इसके बाद यह नाभिकीय डीएनए से जुड़कर कोशिका चक्र को रोक देता है, तथा अंततः माइटोकॉन्ड्रिया को क्षतिग्रस्त कर एपोप्टोसिस के माध्यम से फंगल कोशिका की मृत्यु कराता है।
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द्वि-लाभकारी क्षमता: अध्ययन में यह भी पाया गया कि SA-XV न केवल संक्रमण की तीव्रता को घटाता है, बल्कि कॉर्निया के घाव भरने की प्रक्रिया को भी तेज करता है।
