PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana
संदर्भ:
प्रधानमंत्री धन–धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के अंतर्गत 100 आकांक्षी कृषि जिलों को विकसित करने की योजना की घोषणा की गई है। यह पहल 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगी, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे अधिक 12 जिलों के साथ अग्रणी है।
प्रधानमंत्री धन–धान्य कृषि योजना (PMDDKY) – 100 आकांक्षी कृषि जिले
प्रमुख विशेषताएँ:
- 100 जिलों का चयन कम उत्पादकता, मध्यम फसल सघनता और ऋण तक सीमित पहुंच जैसे मानदंडों के आधार पर किया गया।
- कोई अलग बजटीय आवंटन नहीं; मौजूदा योजनाओं के समन्वय के माध्यम से कार्यान्वयन।
- 11 विभागों की 36 योजनाओं को एकीकृत कर कृषि और किसान कल्याण पर ध्यान केंद्रित।
- अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का कार्य।
जिला आवंटन:
- उत्तर प्रदेश: 12 जिले (जैसे महोबा, सोनभद्र, हमीरपुर)
- महाराष्ट्र: 9 जिले (जैसे पालघर, यवतमाल)
- मध्य प्रदेश और राजस्थान: 8-8 जिले
- बिहार: 7 जिले (जैसे मधुबनी, दरभंगा)
- आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल: 4-4 जिले
- असम, छत्तीसगढ़, केरल: 3-3 जिले
- जम्मू–कश्मीर, झारखंड, उत्तराखंड: 2-2 जिले
- अन्य 11 राज्य: प्रत्येक में 1 जिला (जैसे अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हरियाणा)
प्रधानमंत्री धन–धान्य कृषि योजना (PMDDKY) –
जिलों के चयन के मानदंड:
- कम फसल उत्पादकता: प्रमुख फसलों की कम पैदावार वाले जिले।
- मध्यम फसल सघनता: कृषि संभावनाओं का अधूरा उपयोग।
- संस्थागत ऋण तक सीमित पहुँच: इससे कृषि निवेश प्रभावित होता है।
- संतुलित क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व: प्रत्येक राज्य में जिलों की संख्या नेट फसल योग्य क्षेत्र और संचालित कृषि इकाइयों के आधार पर तय की गई।
कार्यान्वयन:
- निगरानी के लिए 100 केंद्रीय नोडल अधिकारी (CNO) नियुक्त, मुख्य रूप से संयुक्त सचिव।
- प्रत्येक जिले के लिए जिला कृषि विकास योजना तैयार की जाएगी।
इस योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार और किसानों की आय बढ़ाना है।
योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- अभिसरण और विकेन्द्रीकृत नियोजन:विभिन्न योजनाओं को एक छत के नीचे लाकर प्रभावी ढंग से लागू करना.
- जिला–स्तरीय योजना:प्रत्येक जिले में स्थानीय ज़रूरतों के अनुसार योजना बनाना.
- वास्तविक समय निगरानी:मासिक आधार पर 117 प्रमुख संकेतकों के माध्यम से प्रगति की निगरानी करना.
- साझेदारी: किसानों, स्थानीय स्वशासन, कृषि विश्वविद्यालयों और व्यापारियों के संगठनों को शामिल करना.