PM E-Drive Scheme
संदर्भ:
सितंबर 2024 में शुरू की गई पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE) योजना की अवधि दो से बढ़ाकर चार वर्ष कर दी गई है, जो अब 31 मार्च 2028 तक लागू रहेगी। यह विस्तार ई-ट्रक, ई-बस और टेस्टिंग एजेंसियों के लिए है, जबकि छोटे ईवी वर्गों के लिए समयसीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
PM Electric Drive Revolution in Innovative Vehicle Enhancement
(PM E-DRIVE Scheme)
शुरुआत: 1 अक्टूबर 2024
कैबिनेट अनुमोदन: 29 सितंबर 2024
बजटीय प्रावधान: ₹10,900 करोड़ (फंड-लिमिटेड), वैधता 31 मार्च 2028 तक (मूल रूप से 31 मार्च 2026 तक)।
क्रियान्वयन एजेंसी: भारी उद्योग मंत्रालय (MHI)
- CESL (Convergence Energy Services Limited): इलेक्ट्रिक बस खरीद के लिए एग्रीगेटर।
- समन्वय: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW), और विद्युत मंत्रालय (MoP)।
मुख्य उद्देश्य:
- विभिन्न सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को तेजी से अपनाना।
- शहरी क्षेत्रों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना।
- मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत Phased Manufacturing Programme (PMP) के जरिए घरेलू EV विनिर्माण को सशक्त करना।
- इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देकर वायु गुणवत्ता में सुधार और परिवहन से होने वाले उत्सर्जन में कमी लाना।
पात्रता: केवल उन्नत बैटरी वाले EVs पर लागू।
पीएम ई–ड्राइव योजना का महत्व–
- ईवी अपनाने में तेजी – आंतरिक दहन इंजन (ICE) वाहनों से इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की ओर तेज़ बदलाव को प्रोत्साहित करती है, जिससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम होती है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी – भारत के 2070 तक नेट ज़ीरो लक्ष्य और पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) प्रतिबद्धताओं को समर्थन देती है।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा – मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में ईवी, बैटरी और संबंधित घटकों के निर्माण को प्रोत्साहित करती है।
- नवाचार को समर्थन – बैटरी तकनीक, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में अनुसंधान एवं विकास (R&D) को प्रोत्साहित करती है।
- रोज़गार सृजन – ईवी निर्माण, रखरखाव, बैटरी रीसाइक्लिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर खोलती है।
- उपभोक्ताओं के लिए कम परिचालन लागत – सब्सिडी और लागत में कमी के उपाय लंबे समय में ईवी को अधिक किफायती बनाते हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा – नवीकरणीय ऊर्जा आधारित परिवहन समाधानों को बढ़ावा देकर तेल आयात बिल में कमी लाती है।
- शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार – वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद करती है, जो शहरों में वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है।